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आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, ‘आउटसोर्स सेवा निगम’ की मांग तेज, कब मिलेगा फायदा?

MP News: मध्यप्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी ठेकेदारी प्रथा के कारण लंबे समय से शोषण का शिकार हो रहे है। इसके लिए कोई विशेष नीति नहीं है। उत्तर प्रदेश में हाल ही में 'आउटसोर्स सेवा निगम' का गठन किया है। इसमें न्यूनतम वेतन 20 हजार रुपाए तय किया है, साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी जाएगी। अगर उप्र की तरह यहां भी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बने तो कर्मचारियों को राहत मिल सकती है।

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madhya pradesh outsourced employees

madhya pradesh outsourced employees (फोटो सोर्स : पत्रिका)

MP News: मध्यप्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी(Outsourced Employees) ठेकेदारी प्रथा के कारण लंबे समय से शोषण का शिकार हो रहे है। इसके लिए कोई विशेष नीति नहीं है। उत्तर प्रदेश में हाल ही में आउटसोर्स सेवा निगम का गठन किया है। इसमें न्यूनतम वेतन 20 हजार रुपाए तय किया है, साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी जाएगी। देश के कुछ और राज्यों में इस तरह की व्यवस्था है। अगर उप्र की तरह यहां भी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बने तो कर्मचारियों को राहत मिल सकती है। आउटसोर्स कर्मचारी लगातार इसे लेकर मांग भी कर रहे है। सरकार के तकरीबन हर विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी है। प्रदेश में इन कर्मचारियों की संख्या 2 लाख से अधिक है।

ठोस नीति तैयार करने की मांग

इसमें 50 हजार ऐसे कर्मचारी है, जिन्हें कुछ समय के लिए काम और जरूरत के हिसाब से रखा जाता है। विभिन्न विभागों में प्राइवेट एजेंसी के जरिए कर्मचारियों को रखा जाता है। ऐसे में न तो सरकारी सुविधा मिल रही है और न ही पीएफ, ग्रेज्यूटी, स्वास्थ्य बीमा सहित अन्य योजनाओं का लाभ मिल रहा है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया कि कई स्थानों पर तो 5 से 6 माह तक वेतन नहीं मिला है। हमारी मांग है कि आउटसोर्स कर्मचारियों(Outsourced Employees) के लिए ठोस नीति तैयार की जाए।

आर्थिक संकट का सामना

मप्र संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कोमल सिंह ने बताया कि विभागों और सरकार ने कोई नियम नहीं बनाए है। जिलों के अधिकारियों द्वारा नियम विरुद्ध निजी आउटसोर्स एजेंसियों से अनुबंध किए जाते है। इसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। श्रम विभाग द्वारा निर्धारित दर अनुसार वेतन ना देते हुए मात्र 60 से 70% वेतन दिया जाता है। न समय पर ईपीएफ, ईएसआई कटोत्रा किया जाता है न वेतन दिया जाता है।

उप्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश की तरह मिले सुविधा

ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक मनोज भार्गव ने बताया कि हम कई सालों से कर्मचारियों की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उप्र सरकार ने वहां के कर्मचारियों के लिए आउटसोर्स सेवा निगम का गठन कर सराहनीय कार्य किया है। इसी प्रकार हरियाणा में कौशल रोजगार निगम, आंध प्रदेश में सेवा निगम है। जबकि प्रदेश में कर्मचारियों के लिए इस तरह कोई व्यवस्था नहीं है। इसे लेकर हम सरकार से मांग कर रहे हैं। यहां वेतन भी काफी कम दिया जाता है। न्यूनतम वेतन अधिनियम की धारा 1948 की धार 3 के अनुसार हर पांच साल में वेतन बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन पिछले 20 सालों से 8 से 9 वे साल में वेतन रिवाइज होता है। वर्तमान महंगाई को देखते हुए न्यूनतम वेतन 20 हजार रुपए होना चाहिए।

वेतन सिर्फ 10 से 13 हजार रुपए

विभिन्न विभागों में आउटसोर्स कर्मचारी अलग-अलग श्रेणियों में है। इसमें अकुशल, अर्धकुशल, कुशल और उच्च कुशल श्रेणी है। कलेक्टर दर के हिसाब से इन्हें 10 से 13 हजार रुपए तक का वेतन दिया जाता है। इसमें कुछ विभागों में पीएफ आदि काटा जाता है