
भाजपा के दिग्गज नेता का निधन, मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में ली अंतिम सांस
भोपाल. भाजपा से 5 बार सांसद रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता फूल चंद वर्मा का बुधवार को निधन हो गया। फूलचंद वर्मा को अक्टूबर महीने की शुरुआत में तबीयत बिगड़ने के बाद एयर एंबुलेंस से मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल ले जाया गया था और वहीं पर उनका इलाज चल रहा था जहां बुधवार को उन्होंने 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वर्मा के निधन की खबर के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई। फूल चंद वर्मा भाजपा के उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे जो जनसंघ के समय से पार्टी से जुड़े थे और अपना पहला लोकसभा चुनाव भी उन्होंने जनसंघ से ही लड़ा था और देवास सीट जो कि पहले शाजापुर नाम से थी से जीत दर्ज की थी।
5 बार सांसद रहे फूलचंद वर्मा
फूलचंद वर्मा देवास सीट (पहले शाजापुर नाम ) से 4 बार और फिर 1 बार उज्जैन सीट से सांसद रहे। साल 1971 में फूल चंद वर्मा ने पहली बार उज्जैन सीट से सांसद बने थे। तब उज्जैन जिले की सभी सीटों के अलावा सोनकच्छ, खातेगांव व हाटपिपल्या विधानसभा सीटें इसमें थीं। लेकिन बाद में जब आपातकाल के बाद देवास-शाजापुर सीट में देवास, हाटपिपल्या और सोनकच्च की विधानसभा सीटें आ गईं और खातेगांव भोपाल लोकसभा सीट में चली गई तो वर्मा 1977 से यहीं से चुनाव लड़ने लगे और चार बार देवास-शाजापुर सीट से सांसद बने। वे इस बीच केवल एक बार इंदिरा लहर में 1984 में चुनाव हारे थे।
1996 से हांसिये पर गए
पांच बार के सांसद रहे फूलचंद वर्मा बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे लेकिन साल 1996 के बाद हाशिये पर चले गए थे। 1996 में उनका टिकट काटकर भाजपा ने थावरचंद गहलोत को टिकट दिया था। उसके बाद वर्मा टिकट मांगते रहे पर उन्हें टिकट नहीं मिला। बताया जाता है कि फूलचंद वर्मा के टिकट कटने का कारण उनका संसद में सिंधिया घराने के विरोध में खड़ा होना था। तब संसद में कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने माधवराव सिंधिया से एक बहस के दौरान उमा भारती ने गद्दार कह दिया था और फूलचंद वर्मा इसके समर्थन में खड़े होने वाले सांसदों में से एक थे। जिस वक्त ये सारा वाक्या हुआ था तब संसद में भाजपा से सांसद विजयाराजे सिंधिया भी थीं और माना जाता है कि इसी विरोध के चलते भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था और फिर कभी उन्हें टिकट नहीं दिया।
Published on:
16 Nov 2022 07:40 pm
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