
Cancer Survivor Day: किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार... जीना इसीका नाम है
भोपाल। हमारा शरीर कई सारी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। समय के हिसाब से ये कोशिकाएं अपना आकार लेती रहती है। पर, कई बार ये कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती है और जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है। जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी बनकर हमारे सामने आती है। देश में बहुत से ऐसे लोग है इस जो बीमारी से लड़ रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी है, जिन्होंने इस बीमारी पर जीत हासिल की है। ऐसे ही लोगों को ध्यान में रखते हुए आज का दिन कैंसर सर्वाइवर डे के तौर पर मनाया जा रहा है। कैंसर से लड़ पाना कितना मुश्किल है। यह बात एक कैंसर पीड़ित ही समझ सकता है।
यदि हम राजधानी की बात करें तो राजधानी में कई ऐसे लोग है। जिन्होंने कैंसर पर जीत हासिल की है। आज कैंसर सर्वावर डे पर पत्रिका टीम ने उन लोगो से बात की जो कैंसर से लड़ रहे है। भोपाल के अशोकागार्डन में रहने वाले डी पी सूरमा जो एक रिटायर्ड स्पोर्ट टीचर है। उनकी उम्र करीब 61 वर्ष है। उन्हें चार महीने पहले ही पता चला कि उन्हें लीवर कैंसर है।
उन्होंने बताया कि बहुत समय से ऐसा हो रहा था कि मैं कुछ भी खाता था और सब बाहर आ जाता है। बहुत परेशान होने के बाद जब डॉक्टर से इसका चैकअप करवाया तो पता चला कि मुझे लीवर कैंसर है। यह बात सुनकर पहले तो मैं डर गया। पर, फिर सोचा जितनी उम्र बाकी है क्यों न उसमें कैंसर से लड़ने का काम किया जाएं। बस तब से अब तक हमारी हर वह कोशिश जारी है। जो कैंसर से लड़ने में मदद करती है। सुबह जल्दी उठकर योगा करना, डाइट फॉलो करना आदि।
इस उम्र में भी मैं कैंसर को हराकर जीना चाहता हूं। मैं एक स्पोर्ट टीचर हूं और मैं जानता हूं कि किसी भी खेल में जीतना जरूरी नहीं, हिस्सा लेना जरूरी होता है। इस वक्त मुझे कैंसर के साथ खेलने में मजा आ रहा है।
वही दूसरी ओर भोपाल के रचना नगर में रहने वाली सृष्टि दीक्षित की मॉ को भी 2001 से पेट में कैंसर है। सृष्टि ने बताया कि जब मॉ को कैंसर वाली बात चली उस समय वह बहुत छोटी थी। उन्होंने अपनी मॉ को दर्द से कराहते हुए देखा है। उन्होंने अपनी मॉ को बार बार कीमो थैरेपी के लिए परेशान होते देखा है। सृष्टि ने बताया कि वे कभी नहीं चाहती कि किसी को भी कैंसर जैसी बीमारी हो, कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए शारीरिक नुकसान के साथ साथ आर्थिक नुकसान भी होता है। उसके बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि आपकी अपनी जिंदगी पर, कितना हक है।
पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को होता है कैंसर
राजधानी के डॉक्टर दिनेश चौधरी और शीतल चौधरी ने बताया कि कैंसर पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को होता है। महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर और सवाईकल कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। जबकि पुरूषों को मुंह के कैंसर का खतरा रहता है। ज्यादातर ऐसा तंबाकू खाने से होता है। मिस्टर एंड मिसेज चौधरी ने बताया कि कैंसर जैसी बीमारी का इलाज संभव है। पर, यह तभी संभव है जब पहली ही स्टेज में पकड़ में आ जाएं। क्योंकि कैंसर जैसी बीमारी कई बार पकड़ में नहीं आती। इसके लिए जरूरी है। कि हम रूटीन चैकअप करतवाते रहे। जिससे शरीर में कुछ भी उपर नीचे होने पर आसानी से किसी बीमारी का पता लगाया जा सके।
मांसपेशियों में खिचाव के लिए योग जरूरी
योगा ट्रेनर आदित्य प्रकाश खरे ने बताया कि कैंसर के मरीजों को योग थैरेपी का सहारा लेना चाहिए। इससे वे कैंसर को लंबा खीच सकते है। क्योंकि इससे मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है। कैंसर के मरीज जिन्हें मांसपेशियों का दर्द व अनिद्रा, चिंता, तनाव रहता है। वे प्रणायम व ध्यान कर इसे कुछ हद तक कम कर सकते हैं। कैंसर जैसी बीमारी में योग काम्पलीमेंटरी और अल्टरनेट थैरेपी दोनों का उपयोग कर सकते हैं। योग, कैंसर मरीज को सकारात्मक परिणाम देता है। योग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। जिससे रक्त संचार बढ़ता है और मांसपेशियों में खिचाव उत्पन्न होता है।
Published on:
03 Jun 2018 12:25 pm
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