
भोपाल। साल का पहला चंद्रग्रहण आज यानि बुधवार को 31 जनवरी 2018 को लग रहा है। चंद्र ग्रहण के दिन भगवान के दर्शन करना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन मंदिर के पट बंद रहेंगे। मध्यप्रदेश सहित भारत में चंद्रग्रहण दिखाई देने से सूतक काल भी शुरू हो गया है।
तीन रंगों में दिखेगा चांद:
मध्यप्रदेश के भोपाल सहित अन्य जिलों में चंद्र ग्रहण अलग-अलग शहरों में अलग-अलग टाइम पर दिखाई देगा। आज चांद तीन रंगों में दिखाई देगा। इससे पहले चांद के तीन रंग 35 पहले दिखाई दिए थे। चंद्र ग्रहण के दिन भगवान के दर्शन करना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन मंदिर के पट बंद रहते हैं और किसी प्रकार की पूजा का विधान नहीं किया जाता है। भारत में चंद्रग्रहण दिखाई देने से सूतक काल भी शुरू होगा।
ये रहेगा सूतक काल:
ज्योतिष विजय शास्त्री के मुताबिक 31 जनवरी बुधवार को सूतक काल सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर शुरू होकर रात 08 बजकर 41 मिनट पर खत्म हो जाएगा। यह ग्रहण कुछ लोगों के लिए शुभ तो कुछ लोगों के लिए अशुभ साबित होगा। इसके अलावा इस चंद्र ग्रहण के दिन ही 176 साल बाद पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन चांद आम दिनों के मुकाबले बड़ा दिखाई देगा।
क्या होता है चंद्र ग्रहण - चंद्र ग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाए। चंद्र ग्रहण तब होता है, जब सूर्य व चन्द्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार से आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा पूरी तरह या आंशिक भाग ढक जाती है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों के चन्द्रमा तक नहीं पहुंचने देती है, जिसके कारण पृथ्वी के उस हिस्से में चन्द्र ग्रहण नजर आता है।
मंदिरों के कपाट बंद:
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ग्रहणकाल के दौरान सूतक के नाम पर अक्सर मन्दिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसे में बाहर निकलना और भोजन करना भी शास्त्रों में निषेध माना गया है। ग्रहण समाप्त होने पर अर्थात् मोक्ष होने पर स्नान करने का विधान है। इसमें मूल बात के पीछे तो वैज्ञानिक कारण है शेष उस कारण से होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने के उद्देश्य से बनाए गए देश-काल-परिस्थिति अनुसार नियम।
दरअसल कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान चन्द्र व सूर्य से कुछ ऐसी किरणें उत्सर्जित होती हैं जिनके सम्पर्क में आ जाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यदि ना चाहते हुए भी इन किरणों से सम्पर्क हो जाए तो स्नान करके इनके दुष्प्रभाव को समाप्त कर देना चाहिए। इसी के चलते भोपाल में बिडला मंदिर सहित कई मंदिरों के पट बंद कर दिए गए हैं।
मंदिरों के पट बन्द करने के पीछे भी मुख्य उद्देश्य यही है क्योंकि जनमानस में नियमित मन्दिर जाने को लेकर एक प्रकार का नियम व श्रद्धा का भाव होता है। अतः जिन श्रद्धालुओं का नियमित मन्दिर जाने का नियम है उन्हें ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए मन्दिरों के पट बन्द कर दिए जाते हैं।
सूतक समय और ये पड़ेगा आप पर प्रभाव!...
साल 2018 में दो चंद्र ग्रहण घटित होंगे। इनमें पहला चंद्र 31 जनवरी 2018 को दिखाई देगा जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण 27-28 जुलाई 2018 में होगा। ये दोनों पूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे और कई देशों में दिखाई देंगे। इसकी शुरुआत 31 जनवरी को दोपहर 06.21 से होगी और समापन रात्रि 08.41 पर होगा। इसका मध्यकाल शाम 06.59 पर होगा। मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में यह ग्रहण सायं 06.21 से 08.41 तक देखा जा सकेगा।
ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रहण कर्क राशि और आश्लेषा नक्षत्र में होगा। यह ग्रहण भारत वर्ष में दृश्य होगा इसलिए धार्मिक सूतक मान्य होगा। सूतक समय को सामान्यता अशुभ मुहूर्त समय माना जाता है। सूतक ग्रहण समाप्ति के मोक्ष काल के बाद स्नान धर्म स्थलों को फिर से पवित्र करने की क्रिया के बाद ही समाप्त होता है।
ग्रहण सूतक समय:
सुबह 8:20 बजे, ग्रहण स्पर्श : 31 जनवरी , बुधवार शाम 6 : 21 मिनट पर , ग्रहण मध्य : सायं काल 6: 59, पूर्ण मोक्ष : रात 8 :41 मिनट ।
राशियों पर प्रभाव...
1. मेष - नौकरी और व्यवसाय में सफलता मिलेगी. कार्यस्थल पर आपकी मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. आजीविका से जुड़े सभी क्षेत्रों में लाभ की प्राप्ति होगी. स्वास्थ्य का ध्यान रखें. संपत्ति सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं। ग्रहण के दौरान शिव जी की उपासना करें. ग्रहण के बाद हरी वस्तुओं का दान करें।
2. वृषभ- करियर में बदलाव के योग ? हैं. नौकरी और व्यापार में उन्नति होगी. निर्णयों में सावधानी रखें। अचानक धन लाभ होने की संभावना. ग्रहणकाल में कृष्ण जी की उपासना करें. ग्रहण के बाद लाल फल का दान करें।
3. मिथुन - धन हानि हो सकती है। सेहत का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि मानसिक अवसाद के शिकार हो सकते हैं. आंखों और कान नाक गले का ध्यान रखें। ग्रहणकाल में बजरंग बाण का पाठ करें. ग्रहण के पश्चात सफ़ेद वस्तुओं का दान करें।
4. कर्क- दुर्घटनाओं और शल्य चिकित्सा के योग। शारीरिक कष्ट से समस्या हो सकती है. वाहन सावधानी से चलाएं. मुकदमेबाज़ी और विवादों से बचें। ग्रहणकाल में चन्द्रमा के मंत्र का जाप करें. ग्रहण के पश्चात काली वस्तुओं का दान करें।
5. सिंह- धन हानि होने की संभावना है। आंखों की समस्या का ध्यान दें। पारिवारिक विवादों से बचाव करें। ग्रहणकाल में यथाशक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करें। ग्रहण के बाद जूते या छाते का दान करें।
6. कन्या- आकस्मिक धन लाभ हो सकता है. नौकरी के निर्णयों में सावधानी रखें. साहस और परामक्रम में वृद्धि होगी। छोटी दूरी की यात्रा की संभावना है. भाई-बहन अच्छा समय व्यतीत करेंगे. ग्रहणकाल में रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें. ग्रहण के पश्चात अन्न का दान करें।
7. तुला - शारीरिक विकारों से परेशानी बढ़ सकती है। किसी बात का भय बना रह सकता है. जीवन में संघर्ष बढ़ेगा। पारिवारिक जीवन में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। करियर में अचानक समस्याएं आ सकती हैं किसी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं. ग्रहणकाल में दुर्गा कवच का पाठ करें। ग्रहण के बाद काली वस्तुओं के दान से लाभ होगा।
8.वृश्चिक -प्रेम संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पढ़ाई-लिखाई में अड़चनें आ सकती हैं। अपयश और विवाद की संभावना बन सकती है। मूत्र विकार और धन हानि से बचाव करें। ग्रहणकाल के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ करें, ग्रहण के बाद फलों के दान से और भी ज्यादा लाभ होगा।
9.धनु - नौकरी और करियर में संकट आ सकता है। विरोधियों से चुनौती मिल सकती है, वे कई तरह की समस्या उत्पन्न करेंगे। आर्थिक जीवन सामान्य रहेगा। धन लाभ के साथ-साथ खर्च भी बढ़ेंगे। किसी कानूनी मामले से परेशानी हो सकती है। वाहन दुर्घटना से बचें। ग्रहणकाल में चन्द्रमा के मंत्र का जाप करें। ग्रहण के बाद सफ़ेद वस्तुओं का दान करें।
10. मकर - जीवनसाथी के साथ रिश्तों का ध्यान दें। कारोबार में धन की बड़ी हानि से बचाव करें। ग्रहणकाल में हनुमान बाहुक का पाठ करें। ग्रहण के बाद लाल फल का दान लाभकारी होगा।
11. कुम्भ - करियर में मनचाही सफलता मिल सकती है. सेहत में लापरवाही न करें। ग्रहणकाल में शिव जी की उपासना करें, ग्रहण के बाद निर्धनों को भोजन कराएं।
12. मीन - अनावश्यक अपयश के शिकार हो सकते हैं। पेट और कारोबार की समस्यायें आ सकती हैं। गर्भवती महिलायें विशेष सावधानी रखें. ग्रहणकाल में श्रीकृष्ण की उपासना करें. ग्रहण के बाद केले का दान करें।
चंद्र ग्रहण दोष क्या होता है -
ज्योतिष विजय शास्त्री ने के अनुसार जब राहु या केतू की युति चंद्र के साथ हो जाती है तो चंद्र ग्रहण दोष हो जाता है। दूसरे शब्दों में, चंद्र के साथ राहु और केतू का नकारात्मक गठन, चंद्र ग्रहण दोष कहलाता है। ग्रहण दोष का प्रभाव, विभिन्न राशियों पर विभिन्न प्रकार से पड़ता है जिसके लिए जन्मकुंडली, ग्रहों की स्थिति भी मायने रखती है।
चंद्र ग्रहण दोष के कारण -
ज्योतिष शास्त्री के मुताबिक चंद्र ग्रहण दोष के कई कारण होते हैं और हर व्यक्ति के जीवन पर उसका प्रभाव भी अलग तरीके से पड़ता है। चंद्र ग्रहण दोष का सबसे अधिक प्रभाव, उत्तरा भादपत्र नक्षत्र में पड़ता है। जो जातक, मीन राशि का होता है और उसकी कुंडली में चंद्र की युति राहु या केतू के साथ स्थित हो जाएं, ग्रहण दोष के कारण स्वत: बन जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों पर इसके प्रभाव अधिक गंभीर होते हैं।
चंद्र ग्रहण दोष के अन्य कारण -
राहु, राशि के किसी भी हिस्से में चंद्र के साथ पाया जाता है- जबकि केतू समान राशि में चंद्र के साथ पाया जाता है।
- राहु, चंद्र महादशा के दौरान ग्रहण लगाते हैं ।
- चंद्र ग्रहण के दिन बच्चे को स्नान अवश्य कराएं।
ऐसे लगाया जा सकता है चंद्र ग्रहण दोष का पता -
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार चंद्र ग्रहण दोष का पता लगाने के सबसे पहले जन्मकुंडली का होना आवश्यक होता है, इस जन्मकुंडली में राहु और केतु की दशा को पंडित के द्वारा पता लगाया जा सकता है। या फिर, नवमासा या द्वादसमास चार्ट को देखकर भी दोष को जाना जा सकता है। बेहतर होगा कि किसी ज्ञानी पंडित से सलाह लें। ऐसा माना जाता है कि पिछले जन्म के कर्मों के कारण वर्तमान जन्म में चंद्र ग्रहण दोष लगता है।
चंद्र ग्रहण दोष के परिणाम(प्रभाव) -
पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक इसके प्रभाव के चलते व्यक्ति परेशान रहता है, दूसरों पर दोष लगाता रहता है, उसके मां के सुख में भारी कमी आ जाती है। उसमें सम्मान में कमी अाती है। हर प्रकार से उस व्यक्ति पर भारी समस्याएं आ जाती है जिनके पीछे सिर्फ वही दोषी होता है। साथ ही स्वास्थ्य सम्बंधी दिक्कतें भी आती हैं। सूर्य और चंद्र ग्रहदोष एक व्यक्ति के जीवन में अपने स्वयं के बुरे प्रभावों की है। चंद्र दोष अपने स्वयं के बुरे प्रभावों के रूप में यह व्यक्ति अनावश्यक तनाव का एक बहुत कुछ देता है।
माना जाता है कि इस दोष के कारण वहां विश्वास, भावनात्मक अपरिपक्वता, लापरवाही, याददाश्त में कमी, असंवेदनशीलता में एक नुकसान है। स्वास्थ्य छाती, फेफड़े, सांस लेने और मानसिक अवसाद से संबंधित समस्याओं को बहुत हद तक अनुकूल हैं। आत्म विनाशकारी प्रकृति भी हो जाता है एक व्यक्ति के मन में उठता है और आत्महत्या करने की कोशिश करता है।
ऐसे पहचाने कुंडली में चंद्र दोष...
यदि आप हमेशा कश्मकश में रहते हैं, इधर-उधर की सोचते रहते हैं, निर्णय लेने में कमजोर हैं, भावुक एवं संवेदनशील हैं, अन्तर्मुखी हैं, शेखी बघारने वाले व्यक्ति हैं, नींद पूरी नही आती है, सीधे आप सो नहीं सकते हैं अर्थात हमेशा करवट बदलकर सोएंगे अथवा उल्टे सोते हैं, भयभीत रहते हैं तो निश्चित रुप से आपकी कुंडती में चन्द्रमा कमजोर होगा |समय पर इस कमजोर चंद्रमा अर्थात प्रतिकूल प्रभाव को कम करने का उपाय करना चाहिए अन्यथा जीवन भर आप आत्म विश्वास की कमी से ग्रस्त रहेंगे.
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जिन व्यक्तियों का चन्द्रमा क्षीण होकर अष्टम भाव में और चतुर्थ तथा चंद्र पर राहु का प्रभाव हो, अन्य शुभ प्रभाव न हो तो वे मिरगी रोग का शिकार होते हैं।
जिन लोगों का चन्द्रमा छठे आठवें आदि भावों में राहु दृष्ट न हो, वैसे पाप दृष्ट हो तो उनको रक्त चाप आदि होता है।
क्या करें चंद्रग्रहण पर...
ज्योतिषों के मुताबिक चंद्रमा को सोम भी कहा जाता है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है और इस दिन भगवान शिव के पूजन से मनुष्य को विशेष लाभ प्राप्त होता है। चन्द्रमा के अधिदेवता भी शिव हैं और इसके प्रत्याधिदेवता जल है। महादेव के पूजन से चंद्रमा के दोष का निवारण होता है। महादेव ने चंद्र को अपनी जटाओं पर धारण किया हुआ है। इस प्रकार भगवान शिव की पूजा से चंद्रमा के उलटे प्रभाव से तत्काल मुक्ति मिलती है। भगवान शिव के कई प्रचलित नामों में एक नाम सोमसुंदर भी है। सोम का अर्थ चंद्र होता है।
चन्द्रमा ज्योतिष शास्त्र में बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसके संबंध में ज्योतिषशास्त्र कहता है कि चन्द्रमा का आकर्षण पृथ्वी पर भूकंप, समुद्री आंधियां, ज्वार भाटा, तूफानी हवाएं, अति वर्षा, भूस्खलन आदि लाता हैं। रात को चमकता पूरा चांद मानव सहित जीव-जंतुओं पर भी गहरा असर डालता है। चन्द्रमा से ही मनुष्य का मन और समुद्र से उठने वाली लहरे दोनों का निर्धारण होता है। माता और चंद्र का संबंध भी गहरा होता है।
कुंडली में माता की स्थिति को भी चन्द्रमा देवता से देखा जाता है और चन्द्रमा को माता भी कहा जाता है।हमारी कुंडली में जिस भी राशि में चन्द्रमा हो वही हमारी जन्म राशि कहलाती है और जब भी शुभ कार्य करने के लिए महूर्त देखा जाता है वह हमारी जन्मराशि के अनुसार देखा जाता है जैसे की हमारी जन्म राशि के अनुसार चन्द्रमा कहां और किस नक्षत्र में गोचर कर रहा है।
Published on:
31 Jan 2018 02:19 pm
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