
फोटो सोर्स: पत्रिका
Shardiya Navratri 2025: कोलार रोड के आम्र विहार पहाड़ी पर बना माता रानी का दरबार संभवत: देश का एकमात्र ऐसा अनूठा ऐसा मंदिर है, जहां माता रानी को श्रृंगार के साथ आधुनिक वैरायटियों की नई चप्पल, घड़ी, चश्मा, टोपी आदि अर्पित किया जाता है।
मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि यहां माता रानी बाल स्वरूप में विराजमान है, इसलिए एक छोटी बालिका की तरह यहां माता रानी के सभी शौक पूरे किए जाते हैं। कोलार आम्र विहार पहाड़ी की सुरम्य वादियों में बना महारानी कामेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां नवरात्र के साथ-साथ आम दिनों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां महारानी कामेश्वरी बाल स्वरूप में विराजमान है। माता के दर्शन करने के लिए यहां पर तांता लगा रहता है। लेकिन जब नवरात्र की बात होती है तो यहां पर भक्तों को काफी भीड़ बढ़ जाती है।
मंदिर की देखरेख कर व्यवस्था संभालने वाले ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1999 में हुई थी। पहले यहां घनघोर जंगल हुआ करता था, दिन में भी आने से लोग डरते थे। यहां माता रानी बाल स्वरूप में है, इसलिए बच्चों की तरह माता रानी की देखभाल की जाती है, उनके हर शौक पूरे किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह सभी कार्य महिलाओं की ओर से किया जाता है। इसमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है। साथ ही माता रानी की पूरे नवरात्र तक आराधना करते हैं।
मंदिर में विभिन्न साजो सामान अर्पित किया जाता है। जब सामग्री अधिक हो जाती है तो उसे बेटियों को बांट दिया जाता है। परिसर में कई मंदिर भी विद्यमान अब यह पहाड़ी धार्मिक स्थल के रूप में विकसित हो चुकी है। इस पहाड़ी पर अन्य कई मंदिर विद्यमान है। यहां मां दुर्गा के अलावा नौ देवियां, मां काली मंदिर, बारह ज्योर्तिलिंग, करवा चौथ का मंदिर, राम दरबार सहित अन्य मंदिर भी है। यहां न तो कोई ट्रस्ट्र समिति है और न ही दानपेटी। श्रद्धालु ही अपनी स्वेच्छा से यहां आकर अपनी भावना के अनुरूप अर्पित करते हैं।
नवरात्र सहित प्रमुख त्योहारों पर यहां माता रानी का विशेष श्रृंगार किया जाता है। मंदिर के गर्भगृह में पर्दा लगाकर महिलाएं यहां माता रानी का विशेष शृंगार करती है। मंदिर के पं. सुभाष शर्मा ने बताया कि इस दौरान माता रानी को सिंदूर अर्पित किया जाता है, चोला चढ़ाया जाता है और विशेष श्रृंगार होता है। श्रृंगार के दौरान गर्भगृह बंद रहता है और सिर्फ महिलाएं ही श्रृंगार करती है। इस श्रृंगार में लगभग तीन घंटे का समय लगता है। दोपहर में 1 बजे से 4 बजे के बीच यह श्रृंगार किया जाता है।
Published on:
26 Sept 2025 11:58 am
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