
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व केन्द्रीय मंत्री थावरचन्द गेहलोत ने मध्यप्रदेश में रविवार को सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री निवास परिसर में सघन मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह अभियान देश के 21 राज्यों के 166 जिलों एवं चुनिंदा शहरों में शुरू होगा। अभियान जनवरी-2018 तक चार चरणों में चलेगा।
टीकाकरण अभियान में पिछड़े प्रदेश के तेरह जिलों में लक्ष्य पाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने इंद्रधनुष अभियान की शुरुआत की है। सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने नवजात शिशुओं को दवा पिलाकर अभियान की शुरुआत की।
इस मौके पर टीकाकरण में पिछड़े जिलों के लिए इंद्रधनुष रथ को सीएम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। सघन मिशन इन्द्रधनुष अभियान में 9 घातक बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण, छूटे हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष शिविर लगाकर टीकाकरण किया जाएगा।
ये है इंद्रधनुष मिशन:
भारत सरकार के इंद्रधनुष मिशन के तहत पांच साल तक के बच्चों को जानलेवा सात बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते है। इन बीमारियों में खसरा, टिटनस, पोलियो, टीबी, गलघोंटू, काली खांसी, हेपेटाईटिस 'बी', विटामिन 'ए' और हिमोफिलिस इंफल्यूऐंजा 'बी' शामिल हैं।
टीकाकरण का ये है तरीका:
पोलियो के अलावा सभी रोग पतिरक्षण टीके इंजेक्शन द्वारा दिए जाते हैं। पोलियो के टीके की दवा और विटामिन 'ए' की खुराक बच्चे को मुंह में पिलाई जाती है।
दरसअल, पांच साल तक के बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण एक किफायती और सुरक्षित तरीका ह।. इसके लिए भारत सरकार ने साल 2014 में मिशन इंद्रधनुष के नाम से टीकाकरण के एक विशेष अभियान की शुरूआत की थी। मिशन इंद्रधनुष के पहले चरण में देश के 201 जिलों को टारगेट बनाया गया था।
विदिशा जिले में साल 2015 में हुई थी शुरुआत:
मध्यप्रदेश में पहले चरण में मिशन इंद्रधनुष की शुरूआत विदिशा जिले में साल 2015 में हुई थी। उस दौरान प्रदेश के करीब 15 जिलों को चिन्हित किया गया था।
2014 में हुआ था शुरु:
मिशन इंद्रधनुष अभियान को भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी बच्चों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने के लिए मिशन इंद्रधनुष को सुशासन दिवस के 25 दिसंबर 2014 अवसर पर प्रारंभ किया गया था। इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाला मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य उन बच्चों का 2020 तक टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं या डिफ्थेरिया ,बलगम, टिटनस ,पोलियो ,तपेदिक ,खसरा तथा हेपिटाइटिस-बी को रोकने जैसे सात टीके आंशिक रूप से लगे हैं। यह कार्यक्रम हर साल 5 प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों के पूर्ण टीकाकरण में तेजी से वृद्धि के लिए विशेष अभियानों के जरिए चलाया जाना है। पहले चरण में देश में 201 जिलों की पहचान की गई, जिसमें 50 प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगे थे या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए। इन जिलों को नियमित रूप से टीकाकरण की स्थिति सुधारने के लिए लक्ष्य बनाया जाएगा।
उस समय मंत्रालय का कहना था कि 201 जिलों में से 82 ज़िले केवल चार राज्य उत्तर प्रदेश ,बिहार ,मध्यप्रदेश तथा राजस्थान से हैं और चार राज्यों के 42 ज़िलों में 25 प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगाए गए हैं या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए हैं। भारत में टीकों से वंचित या आंशिक टीकाकरण वाले करीब 25 प्रतिशत बच्चे इन चार राज्यों के 82 ज़िलों में हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत पहले चरण में 201 जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का लक्ष्य तय किया है तथा 2015 में दूसरे चरण में 297 ज़िलों को लक्ष्य बनाया गया है। मिशन के पहले चरण का कार्यान्वयन 201 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में 7 अप्रैल 2015 पर विश्व स्वास्थ्य दिवस से प्रारंभ हुआ।
Updated on:
08 Oct 2017 02:33 pm
Published on:
08 Oct 2017 02:32 pm
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