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दलित आंदोलन को कांग्रेस के समर्थन के बाद सरकार ने बदली रणनीति

दलित आंदोलन को कांग्रेस के समर्थन के बाद सरकार ने बदली रणनीति

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दलित आंदोलन को कांग्रेस के समर्थन के बाद सरकार ने बदली रणनीति

भोपालः मध्य प्रदेश समेत पूरे देश का अनुसूचित जाति एवं जनजाति समाज आगामी 9 अगस्त को एक बार फिर सरकार से अपनी मांगे मनवाने को लेकर देश व्यापी आंदोलन करने का ऐलान कर चुका है। दलित संगठनों द्वारा किए ऐलान में कहा गया है कि, अगस्त में होने वाला आदोलन इसी साल 2 अप्रेल में हुए देश व्यापी आदोलन से भी बड़ा होगा। दलित संगठनों के इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार सक्रीय हो गई है। इसी को लेकर मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा सक्रिय दलित संगठनों को साधने की कवायद पर काम शुरु कर दिया है।

इन नेताओं को दी जिम्मेदारी

इसी के चलते प्रदेश की भाजपा सरकार ने रणनीति बनाते हुए अनुसूचित जाति वर्ग के मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को डयूटी पर तैनात कर दिया है। इनमें मंत्री लाल सिंह आर्य, गौरीशंकर शेजवार सूर्य प्रकाश मीणा, सांसद थावर चंद्र गहलोत, वीरेंद्र कुमार, डॉ भागीरथ प्रसाद, मनोहर ऊंटवाल, चिंतामणि मालवीय समेत कई नेताओं ने दलित संगठनों से समन्वय बनाने को लेकर चर्चा भी शुरु कर दी है। इसके अलावा गृह मंत्रालय से पुलिस मुख्यालय को और पुलिस मुख्यालय से सभी जिलों के SP को अलर्ट कर दिया है। जहां एक तरफ सरकार किसी तरह के हालात ना बिगड़ें इसे लेकर जौरों पर तैयारी करने में जुट गई है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दलितों द्वारा किए गए भारत बंद के ऐलान का समर्थन करते हुए दलितों का साथ सरकार का विरोध करने की बात कह रहा है।

इन मांगो को लेकर होगा आंदोलन!

अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की मांग है कि, देश मे दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अत्याचार, एससी-एसटी एक्ट में बदलाव लाने और उच्च शिक्षा संस्थानों में नियुक्ति के लिए नया रोस्टर, दलितों के खिलाफ आदेश देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गोयल की एनजीटी के अध्यक्ष पद से बर्खास्तगी की मांग की जा सकती है। बता दें कि, इससे पहले दलितों ने 2 अप्रैल को आंदोलन कर आक्रोश प्रकट किया था। अब 9 अगस्त होने जा रहे देशव्यापी आंदोलन में दलित समुदाय की ओर से यह जानकारी भी सामने आई है कि, यह आंदोलन बिना किसी नेता या संगठन के चहरे पर किया जाएगा। अब देखने वाली बात यह है कि, जब दलित समुदाय किसी बेनर के तले आंदोलन करने से पहले ही इंकार कर चुके हैं, तो अब इस आंदोलन में कांग्रेस का साथ लेंगे।

एमपी में भड़की थी बड़ी हिंसा

इससे पहले 2 अप्रेल को दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए देशव्यापी आंदोलन के दौरान मध्यप्रदेश में 5 कुल लोगों की मौत हुई थी, जबकि पुलिसकर्मी समेत कई अन्य लोग घायल हुए थे। राज्य में हिंसा के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भिंड समेत सभी संवेदनशील ज़िलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था। साथ ही सुरक्षा-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जगह-जगह सेना की तैनाती की गई थी। सिर्फ ग्वालियर में प्रदर्शन के दौरान दो लोग, जबकि भिंड और मुरैना में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई थी। प्रदर्शन के दौरान कई हिस्सों से पथराव और लूटपाट करने का मामला भी सामने आए थे।