
भरतनाट्यम में दिखाई संत जनाबाई, वेणाबाई और मुक्ताबाई के प्रसंग
भोपाल। मप्र जनजातीय संग्रहालय में गायन, वादन व नृत्य प्रस्तुतियों पर एकाग्र शृंखला 'उत्तराधिकार' पिछले कुछ महीनों से बंद थी लेकिन इस रविवार से यह शृंखला एक बार फिर शुरू हो गई है। संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर रविवार शाम बांसुरी वादन और भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति हुईं। शुरुआत में दिल्ली से आए अजय प्रसन्ना ने अपने साथी कलाकारों के साथ राग यमन में बांसुरी वादन कर दर्शकों को सुरमयी यात्रा में ले गए। इसके बाद प्रसन्ना ने साथी कलाकारों के साथ 'याद पिया की आए' प्रस्तुत कर हुए अपनी प्रस्तुति का समापन किया।
बांसुरी वादन के दौरान प्रसन्ना का साथ तबले पर रामेन्द्र सिंह सोलंकी ने, बांसुरी पर अमृत और नीलेश द्विवेदी ने दिया। बांसुरी वादन के बाद मुंबई से आईं संध्या पुरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति दी। उन्होंने शुरुआत 'वृन्दावनी वेणी बाजे' पर नृत्य प्रस्तुत कर की। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्याभिनय कौशल से कालिया मर्दन और गोबर्धन गिरधारी प्रस्तुत किया। जिसमें श्रीकृष्ण के रूप को मंच पर बिम्बित किया गया।
नृत्य के माध्यम से दिखाए संत जनाबाई के दो प्रसंग
इसके बाद कलाकारों ने 'संत जनाबाई' केंद्रित प्रस्तुति देकर सभी दर्शकों को भाव से भर दिया। इस प्रस्तुति में जनाबाई, जो असल में एक नौकरानी हैं, उनके कार्य कौशल को कलाकारों ने नृत्य माध्यम से दर्शकों के बीच प्रस्तुत किया।
जनाबाई एक वृद्ध महिला हैं और वह घर के काम-काज करने में काफी कुशल हैं, लेकिन उनका कहना है कि वह स्वयं कुछ नहीं करतीं, उनकी सहायता तो स्वयं विठ्ठल देव करते हैं। इस प्रसंग के बाद कलाकारों ने संत जनाबाई का दूसरा प्रसंग नृत्य माध्यम से प्रस्तुत किया। इस प्रसंग में विठ्ठल का हार चोरी करने का आरोप जनाबाई पर लगता है और उसे फांसी के लिए ले जाया जाता है, लेकिन प्रभु की कृपा से नदी में बाढ़ आ जाती है और जनाबाई के अलावा सभी उस बाढ़ में बह जाते हैं।
मुक्ताबाई ने संत निवृत्तिनाथ से प्राप्त किया मुक्ति का वैभव और परमज्ञान
इसके बाद कलाकारों ने 'वेणाबाई' पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुत किया। वेणाबाई रामदास जी की शिष्या थीं और उन्हीं के सानिध्य में वेणाबाई ने राम भक्ति की। रामनवमी के दिन रामचंद्र जी ने स्वयं रामाबाई के रूप में आकर उनकी सहायता की। प्रस्तुति के अंत में संध्या पुरेचा ने अपने साथी कलाकारों के साथ 'मुक्ताबाई' पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। योग सिद्ध मुक्ताबाई आदिमाया का अवतार थीं, ऐसा माना जाता है कि संत निवृत्तिनाथ से संत मुक्ताबाई ने मुक्ति का वैभव और परमज्ञान प्राप्त किया था।
Published on:
15 Apr 2019 08:39 am
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