
Dial 112- मध्यप्रदेश में लोगों की सुरक्षा संबंधी हर दिक्कत को दूर करने नई कवायद की गई है। इसके अंतर्गत विभिन्न नागरिक सेवाओं को एक नंबर के साथ इंट्रीगेट किया गया है। (Photo Source Patrika)
Dial 112- मध्यप्रदेश में लोगों की सुरक्षा संबंधी हर दिक्कत को दूर करने नई कवायद की गई है। इसके अंतर्गत विभिन्न नागरिक सेवाओं को एक नंबर के साथ इंट्रीगेट किया गया है। प्रदेश में जनसुरक्षा के लिए डायल 100 के स्थान पर अब डायल 112 को एकल एजेंसी आधारित सेवा बनाया गया है। पूरे प्रदेश में यह सेवा शुरू की जा रही है। इसमें कॉल करने वाले की लोकेशन भी जीपीएस से ट्रैक की जा सकेगी।
एमपी में डायल 100 सेवा पिछले 10 सालों से जारी है। इसके स्थान पर डायल 112 सेवा शुरु की गई है। इसमें भारत सरकार की आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली की परिकल्पना के अनुरूप अधिकांश जरूरी नागरिक सेवाओं को सम्मिलित कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश में इमरजेंसी नंबर-112 यानि डायल 112 सेवा में प्रदेश की पुलिस की आपातकालीन सेवा (112), स्वास्थ्य या एम्बु्लेंस सेवा (108), अग्निशमन सेवा (101), महिला हेल्पलाइन (1090), नेशनल सायबर क्राईम हेल्पलाईन (1930), रेल मदद हेल्पलाईन (139), मध्यप्रदेश रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन - एक्सिडेंट रिस्पांस सर्विस (हाईवे टोल नाका 1099), राज्य प्राकृतिक आपदा प्रबंधन (एस.डी.एम.ए.-1079), राज्य परिवहन विभाग पेनिक बटन एवं गुप्तवार्ता विशेष शाखा पुलिस मुख्यालय महिला एवं चाईल्ड- हेल्प लाईन (181,1098) आदि सेवाओं को इंटीग्रेट किया गया है।
डेटा एनालिटिक्स, उन्नत लोकेशन ट्रैकिंग और IoT-सक्षम फील्ड विजिबिलिटी के माध्यम से यह प्रणाली अब तेजी से प्रतिक्रिया देने, रीयल टाइम फीडबैक लूप से सीखने और बदलते खतरों के अनुसार खुद को ढालने में सक्षम बन रही है।
डायल 112 कॉल सेंटर में आपातकाल में कॉलर की लोकेशन प्राप्त करने के लिए LBS (Location Based System) स्थापित है। अब पुलिस के इमरजेंसी वाहन औसतन लगभग 16 मिनट में मदद चाहने वालों के पास उनके द्वार पर पहुंच रही है।
प्रत्येक शिफ्ट में 100 एजेंट की क्षमता वाला नया कॉन्टैक्ट सेंटर, जिसमें 40 सीटों का डिस्पैच यूनिट है।
PRI लाइनों से SIP आधारित ट्रंक लाइन पर माइग्रेशन, जिससे 112 पर कॉल एक्सेस अधिक सहज हो।
उन्नत बिज़नेस इंटेलिजेंस (BI) और MIS रिपोर्टिंग टूल्स।
नागरिकों और FRV के बीच संपर्क को बेहतर बनाते हुए गोपनीयता बनाए रखने हेतु नंबर मास्किंग समाधान।
FRV के रख-रखाव को ट्रैक करने हेतु समग्र फ्लीट मैनेजमेंट सॉफ़्टवेयर।
चैटबॉट जैसे नॉन-वॉयस माध्यमों द्वारा नागरिकों से संवाद और शिकायतों की ट्रैकिंग।
नागरिकों और पुलिस अधिकारियों के लिए विशेष मोबाइल ऐप्स।
ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (HRMS) सॉफ़्टवेयर, बायोमेट्रिक उपस्थिति के साथ।
FRVs में डैशबोर्ड कैमरा और बॉडी वॉर्न कैमरा की व्यवस्था।
Updated on:
11 Aug 2025 09:11 pm
Published on:
11 Aug 2025 09:10 pm
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