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MP की हीरा खदान: निजी हाथों में जाएगी रियो टिंटो

खदान से निकले हीरों की नीलामी प्रदेश में ही करने की शर्त...

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Hira hai sab ke liye

हीरा खदान: निजी हाथों में जाएगी रियो टिंटो

भोपाल। प्रदेश सरकार ने छतरपुर के बकस्वाहा की हीरा खदान की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव वित्त एपी श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इसकी शर्तें तय कर खनिज साधन विभाग को भेज दी थी।

अहम शर्त ये है कि ठेका लेने वाली कंपनी को हीरे की पहली नीलामी प्रदेश में करनी होगी। इससे सरकार को हीरे की नीलामी पर 12 प्रतिशत रॉयल्टी के साथ अन्य टैक्स भी मिल सकेंगे। कारोबारियों को भी लाभ होगा।

अगर पहली नीलामी में उचित दाम नहीं मिलते हैं तो दूसरी नीलामी प्रदेश के बाहर की जा सकेगी। चार साल पहले बकस्वाहा की खदान रियो टिंटो ने ली थी, लेकिन पर्यावरण अनुमति नहीं मिलने के कारण उसने काम छोड़ दिया।

हीरा खदान का ऑक्शन रियो टिंटो के प्रॉस्पेक्टिव प्लान के आधार पर किया जाएगा।
हीरा उत्खनन का काम 364 हेक्टेयर भूमि पर ही किया जाएगा। छतरपुर के बंदर क्षेत्र में हीरे के उत्खनन के लिए तीन या पांच साल का समय दिया जाएगा।

कंपनी को प्लान से लेकर वन एवं पर्यावरण की स्वीकृति सहित सारे क्लियरेंस स्वयं लेना होंगे। हीरे की सेल वैल्यू पर रॉयल्टी वसूलने का प्रावधान है। समय सीमा के अंदर काम नहीं करने पर कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। व्यापारियों को छूट दी जा रही है कि वे हीरा खरीदने के बाद बाहर भी लेजा सकेंगे।

फैक्टस...
: रियो टिंटो ने 2016 में छोड़ दी थी बकस्वाहा खदान।
: चार साल में नहीं मिली खदान को पर्यावरण स्वीकृति।

पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने से छोड़ा काम
प्रदेश सरकार ने छतरपुर में 958 हेक्टेयर भूखंड रियो टिंटो को लीज पर दिया था। रियो टिंटो ने तमाम परीक्षण कर प्रॉस्पेक्टिव प्लान तैयार किया था। इसमें यह उल्लेख किया था कि यहां कितने कैरेट का हीरा है।

इसके बाद कंपनी ने पर्यावरण की स्वीकृति के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे पर्यावरण की अनुमति नहीं मिल पाई थी। रियो टिंटो कंपनी पूरे क्षेत्र में एक साथ हीरा उत्खनन करना चाह रही थी, जबकि वन मंत्रालय ने सवाल किया था कि कंपनी एक साथ हीरा उत्खनन क्यों करना चाह रही है।

छतरपुर हीरा खदान की नीलामी के संबंध में हाईपॉवर कमेटी ने कुछ शर्तों के साथ अपनी स्वीकृति दे दी है। खदान की नीलामी के संबंध में सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है।
- विनीत आस्टीन, संचालक, खनिज साधन विभाग