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खाद्य तेल में 32 रुपए प्रति लीटर की उछाल, अभी और बढ़ेंगे दाम, जानिए क्या है वजह

सबसे बुरी बात तो यह है कि तेलों के दाम अभी और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है

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भोपाल. मध्यप्रदेश में खाद्य तैलों की कीमतों में उछाल आ गया है. सोयाबीन तेल के एक प्रमुख ब्रांड का एक लीटर का पैक 128 रुपए में आ रहा था. अब इसकी कीमत 160 रुपए हो गई है. इस तरह 32 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. अन्य प्रमुख ब्रांडों और लोकल ब्रांड के तैल भी महंगे हुए हैं. सबसे बुरी बात तो यह है कि तेलों के दाम अभी और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. रूस यूक्रेन वार के असर के साथ ही पाम आयल का आयात घटना भी इसकी वजह बताई जा रही है.

प्रदेश के सभी बाजारों में तेलों के दाम में करीब 15—20 दिनों में ही 30 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है. विशेष तौर पर रिफाइंड और सूरजमुखी के दामों में जबर्दस्त वृद्धि दर्ज की गई है. ब्रांडेड तैल की तरह ही स्थानीय किस्मों पर इसका असर देखा जा रहा है.

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प्रदेश की राजधानी भोपाल और तेलों की प्रमुख मंडी इंदौर में जहां प्रमुख ब्रांड 150 रुपए प्रति लीटर के भाव में बिक रहे हैं वहीं लोकल ब्रांड भी 25 से 28 रुपए प्रति लीटर महंगा हो गया है. व्यापारियों के अनुसार खाद्य तेलों की कीमतों में जबर्दस्त वृद्धि के कारण ग्राहकों को समझाना कठिन हो गया है. लोकल तेलों में भाव में न्यूनतम 25 रुपए प्रति किलो का इजाफा हुआ है. महज 15 दिनों में इतनी वृद्धि उपभोक्ताओं को जरा भी नहीं रास नहीं आ रही है. दामों में वृद्धि का असर सरसों तेल पर भी पडा है. सरसों तेल हालांकि करीब 5 रुपए प्रति लीटर ही महंगे हुए हैं.

कोरोना वायरस महामारी के कारण पहले भी तैल महंगे हो चुके हैं. बमुश्किल दाम ठीकठाक हुए थे कि अब रूस यूक्रेन वार आ गया जिसके कारण खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि हुई है. कारोबारियों के अनुसार सूरजमुखी तैल के सबसे बडे उत्पादक रूस और यूक्रेन ही हैं. वार के कारण सप्लाई चैन प्रभावित हुई है. यूक्रेन से आयात बुरी तरह प्रभावित हो गया है. इधर कच्चा तेल महंगा होने से माल ढुलाई महंगी हो गई है. सबसे प्रमुख वजह यह है कि कम उत्पादन के कारण मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम आयल का आयात घट गया है. इससे तेलों के दाम बढे हैं.