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एक किस्सा ऐसे सीएम का जो महज 24 घंटे के लिए बना था मुख्यमंत्री

राजनीति के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह की पुण्यतिथि पर पेश है, उनसे जुड़े दिलचस्प किस्से...।

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भोपाल

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Manish Geete

Mar 04, 2023

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भोपाल। यह किस्सा 1985 का है। मध्यप्रदेश के में पांच साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद अर्जुन सिंह एक बार फिर बहुमत के साथ चुनाव जीतकर आए थे। कांग्रेस को 251 सीटें मिली थी। सभी सदस्यों में अर्जुन सिंह ही सबसे लोकप्रिय चेहरा थे। लिहाजा अर्जुन सिंह ही विधायक दल के नेता चुने गए। 11 मार्च 1985 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अगले ही दिन 12 मार्च 1985 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया।

patrika.com पर पेश है वो पॉलिटिकल किस्सा, जिसमें एक कद्दावर नेता एक दिन का मुख्यमंत्री ही बन सका था...।

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मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह का यह किस्सा इसलिए याद किया जा रहा है कि 4 मार्च को अर्जुन सिंह की पुण्य तिथि है। 2011 में उनका निधन हो गया था।

1980 में पहली बार मध्यप्रदेश के सीएम बने अर्जुन सिंह ने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। दोबारा कांग्रेस सत्ता में आई और 251 सीटों के साथ सबसे लोकप्रिय चेहरा अर्जुन सिंह ही थे। अर्जुन सिंह ने 11 मार्च 1985 को शपथ ली और अपने कैबिनेट के मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए जब वे दिल्ली में राजीव गांधी से मिलने पहुंचे। प्रधानमंत्री आवास में जैसे ही वे राजीव गांधी के सामने पहुंचे, राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह का हाथ पकड़कर कहा कि आपको पंजाब का राज्यपाल बनना है। राजीव गांधी के मुंह से यह बात सुन अर्जुन सिंह अवाक रह गए। उनके हाथों में तब मंत्रिमंडल के सदस्यों की सूची थी, जिसे वे फाइनल करवाना चाहते थे। अर्जुन सिंह ने राजीव गांधी के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं जताई और तुरंत ही हां कह दिया।

राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह से कहा था कि इस फैसले पर उन्हें किसी और से बात करने की जरूरत है तो अर्जुन सिंह ने मना कर दिया। राजीव गांधी ने मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए उनके पसंदीदा नाम पूछे। थोड़ी ही देर में अर्जुन सिंह ने अपने बेटे अजय सिंह को फोन लगाया और कहा कि वे मोतीलाल वोरा को लेकर एयरपोर्ट पहुंच जाएं। बताया जाता है कि जिस विमान में अर्जुन सिंह दिल्ली पहुंचे थे, उसी विमान को वापस भोपाल भेजा गया। उसी विमान में अजय सिंह के साथ मोतीलाल वोरा हवाई जहाज में चढ़ गए। तब तक दोनों को ही यह बात पता नहीं था कि दिल्ली में क्या चल रहा है।

अजय सिंह के मुताबिक रास्तेभर मोतीलाल वोरा उनसे अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री पद के लिए सिफारिश करने पर बात करते रहे। जब मोतीलाल वोरा राजीव गांधी से मिलने पहुंचे और थोड़ी ही देर में मोतीलाल वोरा के सीएम बनने की घोषणा हो गई। 12 मार्च 1985 को अर्जुन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि अर्जुन सिंह ज्यादा समय मध्यप्रदेश से दूर नहीं रह सके। उन्होंने तीसरी बार 14 फरवरी 1988 को मध्यप्रदेश का सीएम बनाया गया।

ऐसा क्या कारण था

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आज भी यह चर्चा होती है कि राजीव गांधी ने यह फैसला क्यों लिया और अर्जुन सिंह ने उसे क्यों मान लिया था। उस समय कारण यही बताया जाता था कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब समस्या कांग्रेस सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी। इसे सुलझाने के लिए राजीव को एक कुशल प्रशासक की तलाश थी और उन्होंने अर्जुन सिंह को ही इसके लिए चुना था। लेकिन, राजनीतिक जानकार आज भी इस फैसले को अस्पष्ट ही मानते हैं।

-उन्हें पंजाब भेजने का कारण यह भी बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में कई नेताओं से उनका विवाद था।

-मध्यप्रदेश में चुरहट लाटरी कांड भी हो गया था और उसके बाद भोपाल के केरवा डैम के पास बनी उनकी कोठी विवादों में बनी रही।

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