28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इंजीनियरिंग के छात्रों को इस साल भी नहीं मिल सकीं हिंदी माध्यम में किताबें

माध्यम का विकल्प मिलने के बाद भी अंग्रेजी भाषा में शिक्षा लेने को मजबूर विद्यार्थीं

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Shakeel Khan

Dec 31, 2023

इंजीनियरिंग के छात्रों को इस साल भी  नहीं मिल सकीं हिंदी माध्यम में किताबें

इंजीनियरिंग के छात्रों को इस साल भी नहीं मिल सकीं हिंदी माध्यम में किताबें

भोपाल. साल बीतने के बाद भी हिन्दी में इंजीनियरिंग की किताबें तैयार नहीं हो सकी हैं। ऐसे में हिन्दी माध्यम का चयन करने वाले विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम की किताबों से पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जबकि अंग्रेजी भाषा में कठिनाई महसूस होने के कारण इन्होंने हिन्दी माध्यम चुना था। बताया जा रहा है कि किताबों के अनुवाद का 70 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है। 30 फीसदी काम अब भी शेष है, जबकि इंजीनियरिंग में किताबें तैयार होने की खबर के बाद इस साल हिन्दी में इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। 2022 में जहां मात्र 19 छात्रों में हिन्दी से इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया था, वहीं इस साल इनकी संख्या बढ़कर
87 पर पहुंच गई है, वहीं मैनिट में भी पिछले साल 150 छात्रों ने प्रवेश लिया था।

बढ़ रही है मांग
हिंदी किताबें कि विकल्प के बाद विद्यार्थियों में भी इसकी मांग बढ़ रही हैं। लेकिन अब तक यह उपलब्ध ही नहीं है। विद्यार्थियों ने बताया कि राजधानी के कॉलेजों में यह मामले आ चुके हैं।

एआइसीटीई ने आरजीपीवी को सौंपा है काम
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा 12 भाषाओं में इंजीनियरिंग की किताबें तैयार की जा रही हैं। हिन्दी में किताबें तैयार करने का दायित्व राजीव गांधी प्रौद्यागिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) को सौंपा गया है। समन्वय हिन्दी अनुवाद परियोजना डॉ. शंशिरंजन अकेला ने बताया कि इंजीनियरिंग, डिप्लोमा द्वितीय वर्ष के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में 88 पुस्तकों पर काम किया जा रहा है। इसमें 42 पुस्तकें इंजीनियरिंग की और 46 पुस्तकें डिप्लोमा की हैं। तकनीकी किताबें होने के कारण अनुवाद में समय लग रहा है। एक किताब में ही 100 से 150 चैप्टर हैं।

इन भाषाओं में तैयार हो रहीं किताबें
हिन्दी के अलावा 2 पुस्तकें अंग्रेजी में तथा शेष 22 पुस्तकें क्षेत्रीय भाषाओं में हैं। प्रारंभ में इसे 9 भाषाओं (हिन्दी, ओडिया, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, पंजाबी, गुजराती) में अनुवाद शुरू किया गया और बाद में तीन अन्य भाषा (उर्दू, मलयाली, असमिया) को जोड़ा गया।

शिक्षा लेने वालों में हिंदी माध्यम के विद्याथी ज्यादा
जानकारी के अनुसार कक्षा बारहवीं के बाद प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बाद इंजीनियरिंग में दाखिला लिया जा सकता है। हिंदी माध्यम से कक्षा बारहवीं पास करने वाले के बाद इंजीनियरिंग में दाखिला लेने वालों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है। अंग्रेजी माध्यम में इंजीनियरिंग होने के कारण इन्हें परेशानी आती है। इसे देखते हुए ही हिंदी माध्यम में इंजीनियरिंग कराने की योजना बनी थी।