
EOW filed FIR against IFS Lalit Belwal
मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के पूर्व सीईओ और वन विभाग के रिटायर्ड पीसीसीएफ आइएफएस ललित
मोहन बेलवाल के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) भोपाल ने एफआईआर दर्ज कर ली है। जांच एजेंसी ने आजीविका मिशन में अवैध नियुक्तियों के आरोप में यह केस दर्ज किया है। इस मामले में विकास अवस्थी और सुषमा रानी शुक्ला पर भी केस दर्ज किया गया है। ईओडब्ल्यू की जांच में तीनों आरोपियों के खिलाफ कई अनियमितताएं पाई गईं। आईएएस नेहा मारव्या ने भी अपनी जांच में बेलवाल के भर्ती में फर्जीवाड़ा करने के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की अनुशंसा की थी।
भोपाल के राजेश मिश्रा ने इस संबंध में ईओडब्ल्यू को शिकायत की थी। इसमें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तत्कालीन सीईओ के रूप में ललित बेलवाल पर सन 2015 से 2018 के दौरान गलत नियुक्तियों और आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे।
राज्य आजीविका मिशन में हुए फर्जीवाड़े में पूर्व आइएफएस अफसर ललित बेलवाल की मुश्किलें और बढ़ गईं। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) की प्राथमिक जांच में बेलवाल, विकास अवस्थी और सुषमा रानी शुक्ला का अपराध प्रमाणित हो गया। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की। ईओडब्ल्यू ने फरवरी में भूपेंद्र प्रजापति की शिकायत पर पीई दर्ज कर भ्रष्टाचार की जांच शुरू की थी।
जांच में कई घोटाले सामने आए हैं। इसमें नियमों को दरकिनार कर नियुक्तियां की गई। बिना योग्यता और अनुभवहीनों की नियुक्ति की। राज्य परियोजना प्रबंधक पद के लिए 15 साल का अनुभव और एमबीए या समक्षक पीजी डिग्री जरूरी था। जिम्मेदारों ने सुषमा रानी शुक्ला को राज्य परियोजना प्रबंधक नियुक्त किया। उनकी एमबीए की डिग्री व अनुभव में विसंगति मिली। चयन में जान-बूझकर उन्हें सर्वोच्च अंक दिए। इंटरव्यू पैनल में भी गड़बड़ी की। नियुक्त के 4 माह में ही अवैध तरीके से 70 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया।
सरकार में ललित बेलवाल का सिक्का चलता था। वे 2018 में रिटायर्ड हुए। इसके बाद कांग्रेस की सरकार आई। सरकार जाते ही 2020 में बेलवाल को संविदा पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार सौंपा गया। 2023 में बेलवाल ने इस्तीफा दिया। जुलाई 2023 में दिग्विजय ने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था।
तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी बेलवाल ने मिशन की एचआर पॉलिसी में फर्जीवाड़ा किया। 24 मार्च 2015 को आजीविका फोरम की कार्यकारिणी में मंजूर एचआर पॉलिसी में एचआर मैन्यूअल का जिक्र नहीं था। बाद में बेलवाल की नोटशीट में इसे जोड़ा।
पूर्व आईएफएस ललित बेलवाल के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद आईएएस नेहा मारव्या भी एक बार फिर चर्चा में आ गईं हैं। 2011 बैच की आईएएस मारव्या ने ही बेलवाल के भर्ती में फर्जीवाड़ा करने के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की अनुशंसा की थी। पीसीसीएफ पद से रिटायर हुए ललित बेलवाल पर सख्त रूख दिखाने की वजह से मारव्या को मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद के एडीशनल सीईओ पद से आननफानन में हटाकर राजस्व विभाग में उप सचिव बना दिया गया था।
आईएएस नेहा मारव्या ने बेलवाल के खिलाफ भर्ती में फर्जीवाड़ा करने की शिकायत की जांच की थी। जांच में इस शिकायत को सही पाया था। इसके बाद आईएएस मारव्या ने बेलवाल के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की अनुशंसा कर दी थी। बताया जाता है कि बेलवाल को बचाने के लिए नेहा मारव्या पर खूब दबाव डाला गया लेकिन वे डिगी नहीं।
मारव्या ने अपनी जांच रिपोर्ट में बेलवाल के फर्जी तौर-तरीकों का स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया। रिपोर्ट में उन्होंने लिखा कि बेलवाल सुषमा रानी शुक्ला पर पूरी तरह मेहरबान थे। उन्होंने सुषमा रानी के दर्जनभर परिजनों, रिश्तेदारों आदि को पूर्णतः गलत तरीके से नियुक्ति दी। नियुक्ति के बाद मनमाने तरीके से वेतन भी बढ़ाते रहे। सुषमा रानी के पति देवेन्द्र मिश्रा, उनकी बहन अंजू शुक्ला, आकांक्षा पांडे आदि को भी नौकरी दी गई। जांच रिपोर्ट राज्य के तत्कालीन पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री को भी भेजी गई थी।
सुषमा रानी शुक्ला को जिस पद पर नियुक्त किया उसके लिए कम से कम 15 साल का प्रबंधकीय अनुभव आवश्यक था। उनके पास आवश्यक अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी नियुक्ति कर दी गई। अनुचित रूप से मानदेय भी स्वीकृत कर दिया।
बेलवाल मूलतः वन विभाग के थे लेकिन एक दशक से ज्यादा समय तक पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में पदस्थ रहे। वे 2018 में रिटायर हो गए। 2020 में दोबारा भाजपा सरकार आते ही बेलवाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में ओएसडी के पद पर वापस आ गए थे।
Updated on:
02 Apr 2025 02:59 pm
Published on:
02 Apr 2025 02:46 pm
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