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लगता है, इसीलिए तीन साल में 13 हादसे हो चुके हैं

डॉक्टरों की टीम ने 167 चालक-परिचालकों की जांच की। इसमें 50 फीसदी चालकों को  निकट दृष्टिदोष मिला।

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rb singh

Jan 12, 2017

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भोपाल.
ट्रैफिक पखवाड़े के तीसरे दिन ट्रैफिक पुलिस ने बुधवार को आईएसबीटी में सार्वजनिक वाहन चालकों का नि:शुल्क नेत्र परीक्षण शिविर लगाया। सेवासदन नेत्र चिकित्सालय के डॉक्टरों की टीम ने 167 चालक-परिचालकों की जांच की। इसमें 50 फीसदी चालकों को निकट दृष्टिदोष मिला। वहीं, पांच चालक मोतियाबिंद के शिकार मिले। उन्हें तुरंत ही अस्पताल रेफर किया गया। चालक रमेश कुमार डॉ. ईष चौबे के पास चैककराने पहुंचा। डॉ. चौबे ने उसे बताया कि तुम्हें निकट दृष्टि दोष है, कैसे वाहन चलाते हो, यह सुन वह बोला,साहब मुझे लगता है इसी वजह से बार-बार हादसे हो रहे हैं। रमेश ने बताया कि उससे करीब 13 हादसे पिछले तीन साल में हो चुके हैं। इसके बाद डॉक्टर चौबे ने रमेश को एक चश्मा दिया। वहीं आगे भी उपचार कराने की सलाह दी। यह जांच शिविर शुक्रवार तक अलग-अलग इलाकों में लगाया जाएगा।




पांच को मोतियाबिंद, अस्पताल रेफर किया

डॉ. चौबे ने बताया कि पांच चालक मोतियाबिंद से ग्रसित मिले। जिन्हें तुरंत ही अस्पताल रेफर किया गया। यह चालक भी शहर में वर्तमान में वाहन चला रहा थे। इन चालकों ने बताया कि इलाज के लिए पैसा नहीं होने की वजह से वह अब तक आंखों की जांच नहीं करा सके थे। आंख में बीमारी होने की वजह से उन्हें रात में कम दिखता था। इस कारण कभी-कभी हादसे हो जाते हैं।



56 ऑटो पर कार्रवाई

भोपाल. बुधवार को शहर के चौराहों पर जब टै्रफिक पुलिस और नापतौल अधिकारियों ने ऑटो चालकों की धरपकड़ की। करीब छह माह बाद हुई कार्रवाई में 125 ऑटों की जांच की गई जिसमें से 56 पर कार्रवाई की गई। अभियान की शुरुआत हबीबगंज स्टेशन से हुई। संयुक्त कार्रवाई के दौरान ऑटो नंबर 1033 से पूछा कि मीटर क्यों चालू नहीं किया तो उसने कहा कि यह सवारी नहीं उसके रिश्तेदार हैं। लेकिन जब सवारी से पूछा तो उन्होंने मना कर दिया। इस पर पुलिस ने उसके कागजात जब्त कर ऑटो चालक नईम का चालान बना दिया।



30 फीसदी ही ठीक, 20 को दूर दृष्टिदोष

167 चालकों के नेत्र परीक्षण मेें 30 फीसदी की आंखें ही ठीक मिलीं। इनमें भी अधिकतर युवा चालक थे। शिविर में शामिल सहायक डॉ. मनोज ने बताया कि 20 फीसदी चालक ऐसे भी मिले, जिन्हें दूर दृष्टि दोष था। उनकी जांच कर दवाइयां दी गईं। मनोज के मुताबिक शिविर में 102 चालकों को चश्मा दिए गए। कुछ चालकों को आगे भी उपचार की सलाह दी गई है।




सीधी बात

समीर यादव, ट्रैफिक एएसपी

सवाल: 70 फीसदी चालकों को आंख की बीमारी है। क्या हादसे इन्हीं की वजह से हो रहे हैं?

जवाब: हादसों की वजह बिल्कुल यह हो सकती है। इसी की जांच के लिए शिविर लगाया गया था।

सवाल: ...तो क्या यह चालक अब वाहन नहीं चलाएंगे?

जवाब: जिन चालकों की आंख कमजोर या बीमारी हैं, उनकी सूची तैयार की गई है। इलाज के बाद ही वाहन चला सकेंगे।

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