– गलत मदों में बेहिसाब खर्च
ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में जल संरचनाओं के लिए बेहिसाब खर्च किया गया। ग्रामीण विकास के तहत मनरेगा व अन्य मदों में तालाबों के लिए जमकर खर्च किया गया। वहीं, आदिवासी अंचलों में आदिवासी उपयोजना के पैसे को खर्च किया था। अब आदिवासी उपयोजना के तहत खर्च सभी प्रकार के बजट की रिपोर्ट बुलाई गई है। कई जगह गलत मदों में राशि खर्च कर दी गई। इसकी रिपोर्ट मांगी तो जिलों ने नहीं दी। इन सभी गड़बडिय़ों की जांच राज्य मुख्यालय से टीम बनाकर कराई जा सकती है।
– ऑडिट ऐतराज व उपयोगिता प्रमाण-पत्र
इन मामलों में खर्च की उपयोगिता को लेकर पूर्व सरकार ने ऑडिट आपत्तियों को भी दरकिनार कर दिया था। अब कमलनाथ सरकार के समय ये ऑडिट आपत्तियां उठी, तो इस ओर ध्यान गया है। इसमें अधिकतर जिलों से कामों के उपयोगिता प्रमाण-पत्र नहीं मिल पाए। इसके बाद इन मामलों को लेकर स्क्रूटनी की तैयारी है।
आदिवासी उपयोजना के खर्च का पूरा हिसाब मांगा है। कहां किस मद में राशि खर्च हुई उसकी जानकारी मांगी है। जानकारी आ जाए, फिर जहां गड़बड़ी है वहां जांच बैठाएंगे।
– ओंकार सिंह मरकाम, मंत्री, आदिम जाति कल्याण