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नकली रेमडेसिविर ले सकता है आपकी जान, ब्लैक में हो रही है सप्लाई

एमपी एसटीएफ ने पकड़ी नकली रेमडेसिविर की खेप, 20 हजार में बेच रहे थे एक इंजेक्शन, फार्मा कम्पनी का मालिक और एक एमआर गिरफ्तार।

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भोपाल. कोरोना संक्रमण के लिए संजीवनी का काम कर रहे रेमडेसिविर की किल्लत को कुछ लोगों ने कमाई का जरिया बना लिया है, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया। पीथमपुर की इपोक फार्मा कंपनी का मालिक गुरुवार को नकली इंजेक्शन बेचने के प्रयास में पकड़ा गया। वह इसे हिमाचल प्रदेश की किसी कंपनी से आने की बात कह रहा है।

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नकली रेमडेसिविर
रैमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने पर एसटीएफ (MP STF) ने मेडिकल संचालक, उसके कर्मचारी और एक एमआर (MR) को पकड़ा है। एसटीएफ ने ग्राहक बनकर इंजेक्शन बुलवाए थे। 20 हजार रुपए में एक इंजेक्शन का सौदा हुआ था। एसटीएफ एसपी मनीष खत्री ने बताया, बुधवार दोपहर चिड़ियाघर के पास इंजेक्शन देने की बात हुई। यहां रुपए लेने के बाद आरोपियों ने इंजेक्शन देने आए राजेश पाटीदार इंजेक्शन पिपरिया निवासी राजेन्द्र और ज्ञानेश्वर बारसकर को पकड़ लिया। इनके पास से 6 इंजेक्शन जब्त हुए हैं।

77 हजार में किया 4 इंजेक्शन का सौदा
जबलपुर के मार्बल सिटी अस्पताल और स्वास्तिक अस्पताल के दो मेल नर्स अतुल शर्मा, रामलखन पटेल और एक एमआर विवेक असाटी ने चार रेमडेसिविर इंजेक्शन का सौदा 77 हजार रुपए में किया था। गुरुवार को पुलिस ने आरोपियों को दबोच लिया। डीआइजी मनीष कपूरिया ने बताया, क्राइम ब्रांच ने खंडवा रोड पर विनय शंकर त्रिपाठी को गिरफ्तार किया है। उसकी कार में 20 लाख कीमत की 400 रेमडेसिविर मिले थे। वह बीएचएमएस डॉक्टर है और पीथमपुर में क्लीनिक भी चलाता है।

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निजी अस्पताल खुद खरीद सकेंगे
रेमडेसिविर को लेकर सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार इंदौर, भोपाल, देवास, उज्जैन में निजी अस्पताल इंजेक्शन खुद खरीद सकेंगे। अभी आपूर्ति चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से की जा रही है। इसमें 50% चिकित्सा शिक्षा और 50% स्वास्थ्य विभाग को दिया जा रहा है। जो इंजेक्शन स्वास्थ्य विभाग को मिल रही है, उसका आधा जिला और सरकारी चिकित्सालयों को तथा बाकी प्रायबेट अस्पतालों को कलेक्टर के माध्यम से वितरित किया जाएगा।