
भोपाल.किसानों की आय दोगुनी करने के फार्मूला पर काम कर रही सरकार का प्रयास है कि वे फसल उत्पादक के साथ उद्यमी भी बनें। इसके लिए केन्द्र की योजना पर अमल शुरू हुआ है। इसमें किसानों का समूह या कृषक उत्पादक कंपनी ही पूरे कार्य और निर्णय करेगी।
केन्द्र की साथी परियोजना के तहत काम होगा। इसमें कृषि, उद्यानिकी विभाग सहित एमपी एग्रो, नाबार्ड व एमपी कॉन सहयोग करेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अंतरविभागीय समिति का गठन किया जाएगा, जिससे काम-काज में किसी प्रकार की अड़चन न हो।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया का कहना है कि साथी परियोजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में स्व-सहायता समूह को उपार्जन, भण्डारण, प्रसंस्करण एवं विपणन हेतु प्रशिक्षित किया जाएगा एवं उनके प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना में सहयोग भी किया जाएगा।
पंचायत स्तर पर होंगे भण्डारण केन्द्र
एक समान उपज उत्पादन करने वाले क्लस्टर तैयार कर कृषकों का समूह होगा। ये स्वयं सहायता समूह या कृषक उत्पादन कंपनी हो सकती हैं। इसे साथी कृषक समूह कहा जाएगा। पंचायत स्तर पर भंडारण केन्द्र होंगे। ये साधारण भंडारण या फिर कोल्ड स्टोरेज हो सकते हैं। इन्हें साथी प्रसंस्करण केंद्र नाम दिया है।
फसलों से मूल्य संवर्धन कर उत्पाद तैयार करने छोटे उद्योगों की स्थापना होगी। इन्हें विकासखण्ड स्तर बनाया जाएगा। साथी कृषक समूह, साथी प्रसंस्करण केन्द्र, साथी उद्योग तथा भारतीय कम्पनियों को उनके उत्पाद बेचने के लिए विकासखण्ड स्तर पर 4000 वर्ग फूट का रिटेल आउटलेट बनाया जाएगा। जिसका संचालन स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जाएगा।
कॉमन फेसिलिटी सेंटर बनेंगे
साथी कृषक समूह, प्रसंस्करण केन्द्र, उद्योग, स्टार्टअप तथा छोटे एवं मध्यम उद्योगों को उनके उत्पाद का प्रसंस्करण कराने, पैकेजिंग की सुविधा देने, उत्पाद तैयार करने, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने के दृष्टिकोण से संभाग स्तर पर कॉमन फेसिलिटी सेंटर स्थापित होगा। यह सेंटर उस संभाग में पैदा होने वाली मुख्य फसलों का प्रसंस्करण करेगा।
Published on:
18 Jun 2021 12:18 pm
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