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अन्नदाता पर बोझ: कोरोना संकट में मंहगे खाद ने बढ़ाई मुश्किलें

locationभोपालPublished: May 15, 2021 07:49:03 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

डीएपी-एनपीके की प्रति बोरी पर 700 बढ़े, कृषि उत्पादन के खेतों में ही रुकने से किसानों हो रहा है नुकसान

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भोपाल. मध्यप्रदेश के किसानों पर पहले से कोरोना की मार पड़ रही है, उस पर महंगाई की मार ने परेशान कर दिया है। सरकार ने किसानों के लिए खाद की बोरी पर सात सौ रुपए का इजाफा कर दिया है। बढ़ती मंहगाई और कृषि उत्पादन के न बिकने से किसान एक बार फिर कर्ज के चले डूबता नजर आ रहा है। प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने किसान कर्जमाफी की थी।

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कोरोना के कहर के अलावा डेढ़ महीने से लॉकडाउन-कर्फ्यू से आर्थिक मोर्चे पर भी बेहाल हो रहे किसानों के लिए यह बड़ा झटका है। हाल ही में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि हुई है। इसके बाद खाद के दाम में इजाफे ने किसानों की कमर तोड़ दी है। प्रदेश के किसानों में इससे भारी असंतोष है। खाद की बढ़ी कीमतों को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इसकी पहली कड़ी में दाम वृद्धि वापस न लेने की स्थिति में सीएम हाउस पर धरना देने का ऐलान किया है।

किसानों पर लगातार बोझ
अभी तक डीएपी, एनपीके की प्रति बोरी 1200 रुपए कीमत थी, उसे बढ़ाकर 1900 कर दिया गया है। बीती 11 मई को इसके आदेश दिए हैं। दरअसल, केंद्र ने देशभर में यह दाम बढ़ाए हैं। इसके परिपालन में ही सरकार ने आदेश निकाले हैं। खास बात ये है कि इस 1900 प्रति बोरी में अतिरिक्त बोझ टैक्स के रूप में किसान पर बढ़ेगा। इस प्रति बोरी पर जीएसटी व सीजीएसटी लगता है, इसलिए किसानों पर लगातार कीमतों की मार पड़ी है।

प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष, जीतू पटवारी ने कहा है कि किसानों पर कोरोना काल में सरकार ने अतिरिक्त बोझ डाला है। किसान पहले से महंगाई से परेशान हैं। पेट्रोल डीजल और बिजली के बेतहाशा बढ़ते दामों से किसान हलाकान हैं। खाद पर बढ़ाई गई कीमत वापस नहीं ली, तो सीएम हाउस पर धरना दूंगा। किसान आंदोलन की राह पकड़ेंगे।

राष्ट्रीय किसान-मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने कहा है कि प्रदेश सहित देश में किसानों के साथ साजिश चल रही है। किसानों को 18 कानून लाकर कमजोर किया गया है। ऐसे कानून लाए कि किसान खेती ही छोड़ दें। अब फसल की लागत को लगातार बढ़ाया जा रहा है, जबकि समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं की गई।

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