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ये फेस्टिवल हैं देश-दुनिया का अट्रेक्शन, इसीलिए टूरिस्ट के दिल में बसता है एमपी

ऐसे ही कई अनूठे और अनोखे फेस्टिवल देश की धड़कन कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की शान है...देश-विदेश से टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं, इनका हिस्सा बनते हैं और कुछ ही घंटों में प्रदेश की संस्कृति और परम्परा में ऐसे खो जाते हैं कि फिर उन्हें कभी नहीं भूलते...आप भी जानें मध्य प्रदेश की शान इन फेस्टिवल्स के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं...

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आई होली आई, सब रंग लाई...दीपावली मनाओ सखी...आला रे आला गोविंदा आला...गणपत्ति बाप्पा मौर्या..कैसी खुशी लेके आया चांद ईद का...हमारे देश की संस्कृति में रचे-बसे ऐसे न जाने कितने गीत हैं, जो साल के 12महीने आपको सुनने को मिल जाएंगे और आपको बता देंगे कि कौन सा त्योहार आ रहा है, कब मनाया जाएगा...लेकिन इनसे इतर देश के अलग-अलग ऐसे कई फेस्टिवल हैं जो हर राज्य की अपनी पहचान रखते हैं...वहां की सभ्यता और संस्कृति का अनूठा प्रदर्शन करते हैं और देश-दुनिया में राज्य की अनोखी पहचान बन जाते हैं...ऐसे ही कई अनूठे और अनोखे फेस्टिवल मध्यप्रदेश की शान है...देश-विदेश से टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं, और कुछ ही घंटों में प्रदेश की संस्कृति और परम्परा में ऐसे खो जाते हैं कि फिर उन्हें कभी नहीं भूलते...अगर आप भी मध्य प्रदेश के इन फेस्टिवल्स के बारे में जानना चाहते हैं तो ये खबर आपको बहुत पसंद आएगी...

खजुराहो उत्सव

मध्य प्रदेश के सबसे लोकप्रिय उत्सवों में से एक है खजुराहो उत्सव। सात दिवसीय इस उत्सव में भरतनाट्यम, कत्थक, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, कथकली जैसी नृत्यकलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। खजुराहो महोत्सव का आयोजन चित्रगुप्त और विश्वनाथ मंदिर के समक्ष खुले मैदान में किया जाता है। जहां देश-विदेश के कलाकर अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान यहां स्थित विश्वनाथ मंदिर को सजाया जाता है, जो टूरिस्ट के आकर्षण का केंद्र होता है। साथ ही विश्वनाथ मंदिर के रचनाकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

अखिल भारतीय कालिदास समारोह

मध्य प्रदेश के उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदार समारोह आयोजित किया जाता है। महान कवि कालिदास के सम्मान में ख्याति प्राप्त साहित्कार इस आयोजन का गौरव बढ़ाते हैं। देश-विदेश से आए लेखक और कवि अपनी रचना का पाठ करते हैं। सात दिवसीय यह पर्व जनवरी महीने में आयोजित किया जाता है। पूरे सप्ताह में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर नाटक का मंचन भी किया जाता है।

भगोरिया हाट महोत्सव

मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में मनाया जाने वाला ये पर्व भील जनजाति का प्रमुख उत्सव है। इस पर्व पर विशेष रूप से आदिवासी युवक-युवतियां अपना जीवन साथी चुनती हैं। हाथों में गुलाल लिए ये युवक-युवतियां जिसे पसंद करते हैं उसके माथे पर गुलाल लगाते हैं, इसका अर्थ होता है कि उन्होंने उसे जीवन साथी के रूप में चुन लिया है। वहीं किसी को ये रिश्ता मंजूर नहीं होता, तो वह गुलाल लगाने से इनकार भी कर सकता है। इसके साथ ही इस दिन एक बड़े क्षेत्र में किसान और भील आदिवासी कई प्रकार के हथियारों के साथ ये उत्सव मनाते हैं।

कुंभ मेला

भारत के कई राज्यों के साथ ही मध्य प्रदेश में भी कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। 12 साल में एक बार आयोजित किया जाने वाला ये प्रसिद्ध कुंभ मेला प्रदेश की बेतवा नदी के पर आयोजित किया जाता है। वैसे तो ये नदी यमुना नदी की सहायक नदी है, लेकिन इसे गंगा नदी कहकर पुकारा जाता है। माना जाता है कि बेतवा में डुबकी लगाकर मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।

मालवा उत्सव

मालवा उत्सव मध्य प्रदेश के भव्य त्योहारों में से एक माना जाता है। हर साल मई के महीने में इंदौर और उज्जैन में आयोजित यह उत्सव इंदौर में 5 तो उज्जैन में दो दिवसीय रहता है। यह उत्सव मध्य प्रदेश की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक मानी जाने वाली नृत्य शैली और संगीत कार्यक्रम का साक्षी बनता है। इस उत्सव में भाग लेने देश-विदेश से कलाकार यहां पहुंचते हैं। सांस्कृतिक प्रोग्राम के साथ ही यहां नाटक मंचन भी किया जाता है। हस्तकला में माहिर कारीगर भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।

नागाजी का मेला

आदिवासी क्षेत्रों में नागा जी का मेला महान संत नागजी के सम्मान में आयोजित किया जाता है। आदिवासियों के प्रमुख उत्सवों में से एक यह उत्सव नवंबर या दिसंबर में मुरैना में आयोजित किया जाता है। एक महीने या उससे ज्यादा समय के लिए भी यह उत्सव मनाया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों के नृत्य देख आप सांस्कृतिक रंग में डूब जाते हैं। इसके साथ ही कई पारंपरिक और सांस्कृतिक नृत्य और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन भी इस उत्सव में चार चांद लगा देता है।

चेतियागिरी विहार महोत्सव

चेतियागिरी विहार महोत्सव मध्य प्रदेश के अट्रैक्टिव फेस्टिवल्स में से एक माना जाता है। इस महोत्सव में सैकड़ों बौद्ध भिक्षु और तीर्थ यात्री पार्टिसिपेट करते हैं। इस उत्सव का आयोजन नवंबर महीने के अंत में सांची में किया जाता है। इस महोत्सव में प्राचीन बौद्ध अवशेषों का प्रदर्शन किया जाता है। इसे देखने देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं।

तानसेन संगीत समारोह

मध्य प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध उत्सवों में से एक है तानसेन संगीत समारोह। देश के प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन के सम्मान में यह उत्सव मनाया जाता है। 3 से 4 दिवसीय यह उत्सव हर साल दिसंबर में आयोजित किया जाता है। तानसेन के बारे में कहा जाता है वे अकबर के दरबार के प्रमुख संगीतकार होनें के साथ ही उनके नवरत्नों में एक थे। ग्वालियर के बेहट गांव में तानसेन के मकबरे पर श्रद्धासुमन अर्पित कर इस आयोजन की शुरुआत की जाती है।

पचमढ़ी उत्सव

पचमढ़ी उत्सव सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी में आयोजित किया जाता है। मध्यप्रदेश की जन्नत के रूप में जाना जाने वाला पचमढ़ी न केवल अपनी खूबसूरती बल्कि पचमढ़ी उत्सव को लेकर भी प्रसिद्ध है। इस उत्सव को देश की सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण का उत्सव भी कहा जाता है। देशभर के मशहूर हस्तकलाशिल्प आपको इस उतसव में मिल जाएंगे। इसीलिए इस उत्सव को प्रदर्शनी या सांस्कृतिक महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।

ध्रुपद समारोह

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में धु्रपद समारोह यहां आने वाले दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। जैसाकि नाम से ही पता चलता है कि इस समारोह में ध्रुपद घराने से जुड़े गायक ही भाग लेते हैं और ध्रुपद शैली में गायन से ऐसा समां बांधते हैं कि उससे निकलने का मन ही नहीं करता। इसके साथ ही इस उत्सव में सभ्यता और संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है।

लोकरंग समारोह

लोकरंग समारोह मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध उत्सवों में से एक है। राजधानी भोपाल में आयोजित होने वाला ये 4-5 दिवसीय उत्सव ऐसी छठा बिखेरता है कि लोग इसके दीवाने हुए जाते हैं। हर साल 26 जनवरी से शुरू होने वाला यह उत्सव 30 जनवरी को संपन्न होता है। देश-विदेश से कलाकार यहां आकर प्रस्तुति देते हैं और खुद को सम्मानित महसूस करते हैं। राजधानी के रविन्द्रभवन के मुक्ताकाश मंच पर आयोजित ये उत्सव मध्य प्रदेश की प्राचीन सभ्यता, परम्परा जैसे फिर से जी उठती है। प्रदेश के आदिवासी लोक कला अकादमी की ओर से आयोजित इस पर्व में नृत्य, संगीत, गायन, वादन, लोक गीत, लोक नृत्य, जातिय नृत्य देख आप भाव विभोर हो जाते हैं।

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