
भोपाल। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पिछले सात-आठ साल में भारत नई शक्ति बनकर उभरा है। कांग्रेस के समय मृतक और बिना जन्मे लोगों को भी पैसा मिलता था, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में कांग्रेस के समय जाने वाले ऐसे 2000 करोड़ रुपए डायरेक्टर बैंक ट्रांसफर के जरिए बचाए हैं। डीबीटी से जिंदा और पात्रों के खातों में ही पैसा जाता है। अब आगामी 25 वर्ष का तकनीक का उपयोग करने वाला भारत बनाने पर काम कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने यह बात मंगलवार को रवींद्र भवन में आयोजित दत्तोपंत ठेंगड़ी स्मृति व्याख्यानमाला में ‘21वीं सदी के वैश्विक परिदृश्य में भारत का आर्थिक सामर्थ्य’ विषय पर कही।
दंतोपंत ने पहले ही कहा था कि विकास के लिए विनाश नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी भी इसका मंत्र देते हैं। कहते हैं कि अगर सीढ़ी चढ़ सकते हैं तो चढ़कर जाओ। बिजली बचेगी। सेहत ठीक रहेगी। भारत के डीएनए में इंटरप्रन्योनरशिप है। कांग्रेस के समय दिल्ली में बैठकर प्लानिंग होती थी। छोटे उद्यमियों को दबाया गया, लेकिनअब ऐसा नहीं है।
अभी अर्थव्यवस्था कम है तो उस समय की नीति जिम्मेदार है। अब इसे बदल रहे हैं। निर्मला ने कहा कि दत्तोपंत ने कम्युनिज्म व सोशलिज्म की गुलामी मत करो। दत्तोपंत ने लाल नहीं, भगवा देकर वंदेमातरम् कहने का सबको बुलावा दिया। अब दिल्ली और मप्र की सरकार इन्ही सिद्धांतों पर सरकार चल रही है।
निर्मला ने संबोधन की शुरुआत में ही कहा कि जब भी हिन्दी भाषी राज्यों में बोलने का निमंत्रण मिलता है मैं संकोच करती हूं, क्योंकि मेरी हिन्दी और व्याकरण थोड़ी कमजोर है। जब सीएम शिवराज सिंह ने संबोधित किया तो उन्होंने केंद्रीय मंत्री को कहा, आप दक्षिण से आकर भी अच्छी हिन्दी बोलती हैं। कभी मत कहियेगा कि हमारी हिन्दी कमजोर है।
मोदी की तारीफ
निर्मला ने मोदी की तारीफ करते हुए कहा, विकसित देश होने के लिए सबसे पहले इसकी मानसिकता होनी चाहिए। यह काम पीएम नरेंद्र मोदी ने किया। भारत ब्रांड के रूप में उभरा है। हमारी विरासत को याद करो, ताकि हम आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर बन सकें। अब पिछले सात-आठ साल मेंभारत की ब्रांड इमेज बनानेवाले ऋषि मिलते हैं।
कांग्रेस के समय दिल्ली में बैठकर प्लानिंग होती थी, छोटे उद्यमियों को दबाया जाता था
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश जमाने में एक संगठन चलाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। सरकार में प्रोत्साहन देने वाली विचारधारा अलग थी। ऐसे में दत्तोपंत ने बहुत मेहनत की। दत्तोपंत ने अपनी विचारधारा के अनुसार संगठन की नींव रखी। भारतीय मजदूर संघ का जिक्र कर निर्मला ने कहा कि जब यह संघ बना तब कम्युनिस्ट लोग ही बात करते थे। मजदूरों की बात रखने वाला दूसरा संगठन नहीं था। 1955 में दत्तोपंत ने मजदूर संघ बनाया। 1985 में संघ को चीन से आमंत्रण मिला। तब चीन और रूस से पैसे लेकर कम्युनिस्ट संगठन अपने लोगों को सहयोग करते थे, लेकिन भारतीय मजदूर संघ ने 30 साल में कोई विदेशी सहयोग न लेकर संगठन खड़ा किया। दत्तोपंत ने कहा था किसहयोग और समन्वय के साथ एकजुट होना चाहिए।
Updated on:
30 Nov 2022 10:31 am
Published on:
30 Nov 2022 10:28 am
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