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आर्थिक संकट, अब तक 40 तकनीकी कॉलेज बंद

ज्यादातर इंजीनियरिंग और प्रोफेशनल कोर्स वाले कॉलेजेस में हर साल खाली रह जाती हैं सीटें,  यही रहा हाल तो तीन साल में 50 कॉलेज और भी हो जाएंगे बंद....

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sanjana kumar

Jul 12, 2016

College Admission waiting

file photo

भोपाल। इंजीनियरिंग कॉलेजेस की लगातार बढ़ती संख्या को लेकर प्रदेश लगातार चर्चा में बना रहा। बड़े और नामी इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजस स्टूडेंट्स को बहुत ज्यादा लुभा नहीं पाते। यही कारण है कि प्रदेश ही नहीं बल्कि राजधानी में भी ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजेस में सीट्स खाली ही रह जाती है। जिसके कारण इन कॉलेजेस को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि आर्थि नुकसान झेल रहे भोपाल के इंजीनियरिंग कॉलेजेस के साथ ही प्रोफेशनल कोर्स वाले करीब 90 फीसदी कॉलेजेस में से 40 फीसदी अब तक बंद हो चुके हैं। वहीं कॉलेज संचालकों का कहना है कि यदि उनके कॉलेजेस को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल पाई तो अगले तीन साल में ये कॉलेजेस भी बंद हो जाएंगे। इन कॉलेज संचालकों की मांग है कि शासन सिक इंडस्ट्रीज की तर्ज पर उन्हें सर्वाइवल पैकेज दे, ताकि वे आर्थिक संकट से उबर सकें।

एटीपीआई ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र

एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल एंड प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट(एटीपीआई) ने तकनीकी शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा है। इस पत्र के मुताबिक प्रत्येक कॉलेज पर 5 करोड़ रुपए से 15 करोड़ रुपए तक का लोन है। जिस पर 13 से 15 फीसदी ब्याज आता है।

आरजीपीवी से मदद की मांग

इस आर्थिक संकट को दूर करने के लिए राजीवगांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से मदद दिलाने की मांग की है। एटीपीआई के अनुसार आरजीपीवी के पास 1000करोड़ का फंड है। यह एफडी या करंट खाते में है। इस पर उन्हें केवल 8 फीसदी ब्याज मिलता है। कॉलेज संचालकों की मांग है कि विवि इस जमा राशि के जरिए कॉलेजेस की लोन चुकाने में मदद कर सकता है। बदले में कॉलेज मदद की राशि की बैंक गारंटी देंगे। बैंक की दर से एक फीसदी ब्याज भी आरजीपीवी को दिया जाएगा। इस पत्र में एक सुझाव यह भी दिया गया है कि यदि ऐसा किया जाता है तो आरजीपीवी को हर साल 10 करोड़ रुपए अधिक प्राप्त होंगे। वहीं कॉलेज को 3-4 फीसदी ब्याज कम देना पड़ेगा।

5 बैच निकालने वाले कॉलेजस को मिलेंगी स्वायत्ता

एटीपीआई अध्यक्ष जेएन चौकसे के मुताबिक फिलहाल आरजीपीवी के अंतर्गत 180 तकनीकी कॉलेजेस समेत अन्य संस्थान मिलाकर लगभग 500 कॉलेज हैं। ऐसे में जिन कॉलेजेस से पांच बैच निकाले जा चुके हैं। उन कॉलेजेस को स्वायत्ता प्रदान की जाए, तो विवि का बोझ कम हो जाएगा।

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