6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हरियाली बढ़ानेके नाम पर सीपीए ने जम्बूरी मैदान में जेसीबी से खोद डाले हजारों गड्ढे

- रोजगार देने के लिए केवल श्रमिकों से काम कराने का है प्रावधान, बीच शहर में तोड़ दिए नियम - एक ओर सीपीए बंद करने की बातें, दूसरी ओर सीपीए वन डिवीजन ने कर दी ५० हजार पौधों की तैयारी

less than 1 minute read
Google source verification
हरियाली बढ़ानेके नाम पर सीपीए ने जम्बूरी मैदान में जेसीबी से खोद डाले हजारों गड्ढे

हरियाली बढ़ानेके नाम पर सीपीए ने जम्बूरी मैदान में जेसीबी से खोद डाले हजारों गड्ढे

प्रवीण मालवीय

भोपाल. काम में लापरवाही और तमाम गड़बडि़यों से घिरे राजधानी परियोजना प्रशासन को बंद करने के निर्देश मुख्यमंत्री खुद दे चुके हैं। एक ओर चरणबद्ध तरीके से इसे बंद करने की बात की जा रही है, इसी बीच सीपीए की वन शाखा ने करोड़ों के काम शुरू कर दिए हैं। काम किस तरह से किया जा रहा है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के बीचों-बीच जम्बूरी मैदान में जेसीबी से १५ हजार गड्ढे खोद दिए गए।

दो फीट से कम गहरे गड्ढे

जम्बूरी मैदान में जिस जगह प्रधानमंत्री की सभा हुई थी वहां से खजूरी सड़क के बीच के स्थान पर गड्ढे खोदे गए हैं। नियमों के अनुसार वन विभाग को छोटे रोजगार पैदा करने के लिए पौधरोपण के काम श्रमिकों से कराए जाने के निर्देश हैं। इसके तहत प्रत्येक गड्ढे की राशि सीधे श्रमिकों के खातों में भेजी जानी होती है। लेकिन इसके बावजूद शहर के बीचों-बीच जेसीबी से रातों-रात काम करा लिया गया। इसमें भी गड्ढों में गहराई मात्र एक से डेढ़ फीट रखी गई है, इतनी कम गहराई के गड्ढों में बड़े पौधे ठीक से पनप ही नहीं पाते।

शहर में कई जगह गड्ढे खोदकर शुरू किया काम

इसके अतिरिक्त राजीव गांधी कैम्पस, कोलार के नयापुरा सहित कई अन्य साइट पर करीब ५० हजार पौधरोपण की तैयारी शुरू कर दी है। एेसे में भारी-भरकम बजट खर्च होने सहित मजदूरों के बजाए मशीनों से काम कराने पर सवाल उठ रहे हैं।

वर्जन

अभी जेसीबी से शुरुआती गड्ढे खुदवाए गए हैं, एेसा नहीं है कि हम मशीनें ही उपयोग करेंगे, यहां मजदूरों से भी काम कराएंगे, इन्हें मजदूरों से आकार दिलवा देंगे। वहीं इन इलाकों में फेसिंग भी शुरू करवा रहे हैं। मानसून शुरू होते ही यहां पौधरोपण किया जाएगा।

विजय श्रीवास्तव, एसडीओ, सीपीए, फॉरेस्ट डिवीजन