
बापू के इन शब्दों का पालन करिए आपको मिलेगी सफलता, मोदी ने भी इन्हें अपनाया: शिवराज सिंह चौहान का ब्लाॉग
भोपाल. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 150वीं जयंती है। इस मौके पर मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक ब्लॉग लिखा है। शिवराज सिंह चौहान ने लिखा है। आज बाबू की 150वीं जयंती है। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहिंसा, सत्य और स्वच्छता के लिए जो सैकड़ों वर्ष पूर्व मंत्र दिया, वह आज भी उतना की कारगर है। मुझे तो ऐसा लगता है कि आज भी यदि समाज उनके मंत्रों को आत्मसात कर लें, तो समाज ही नहीं, बल्कि दुनिया से बैर भाव मिट जायेगा। चारों तरफ शांति और सद्भाव के पुष्प पल्लवित हो जायेंगे। बापू समाज में बदलाव लाने की बात पर कहा करते थे कि जो आप दूसरों में देखना चाहते हैं, वह बदलाव पहले स्वयं में लाइये।
यदि हम सब यह करना प्रारम्भ कर दें, तो कोई किसी को अपशब्द नहीं कहेगा। कोई किसी से असत्य नहीं बोलेगा। कोई हिंसा नहीं करेगा, तो यह संसार स्वत: ही सुंदर हो जायेगा। घर, परिवार, समाज और विश्व को बदलना है, तो इसकी शुरुआत आज से ही कर दीजिए। बापू के कहे अनमोल शब्दों को आत्मसात कर लीजिए। भरोसा रखिए, आपको सफलता अवश्य मिलेगी। बापू के स्वच्छता के मंत्र को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल स्वयं आत्मसात किया, बल्कि इसे अपनाने के लिए देश का आह्वान किया। आपने स्वच्छता अभियान की शक्ति देखा। हमारे प्रधानमंत्री के इस पुनीत प्रयास को अमेरिका में मेलिंडा एंड गेट्स फाउंडेशन ने सम्मानित किया। इससे यह सिद्ध हुआ कि छोटे-छोटे प्रयासों से न केवल बड़ा बदलाव संभव है, बल्कि दुनिया भी आपके प्रयास को सराहती है, सम्मान देती है।
साबरमती के संत ने कहा था कि ''आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता सागर के समान है; यदि सागर की कुछ बूंदें गन्दी हैं, तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता है।'' मुझे तो लगता है कि आपको किसी में भी विश्वास नहीं खोना चाहिए। आशा से ही प्रयास का सूर्य उदित होता है और एक नया प्रकाश जन्म लेता है। इसलिए बापू के मंत्रों को आत्मसात कीजिए और अपने छोटे-छोटे प्रयासों से बदलाव के लिए कदम बढ़ाइये और एक बड़े एवं क्रांतिकारी परिवर्तन का कारण बन जाइये।
''कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।'' इस शेर में असीम आशाएं छिपी हैं। बापू भी कहते हैं कि ''शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है। यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आती है।'' इसलिए बहानों से बचिए और एक नये विश्वास के साथ परिवर्तन का हिस्सा बन जाइये। आइये, हम सब मिलकर बापू के सपनों के भारत के निर्माण में जुट जायें। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इन्हीं अनमोल शब्दों कि ''एक विनम्र तरीके से, आप दुनिया को हिला सकते हैं'' के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं और आशा करता हूं कि बापू के विचारों को आगे बढ़ाने का आप भी अपने स्तर पर हरसंभव प्रयास करेंगे। एक सुंदर संसार की रचना में सक्रिय भागीदारी निभायेंगे। बापू के चरणों में प्रणाम, नमन!
Updated on:
02 Oct 2019 09:37 am
Published on:
02 Oct 2019 09:18 am
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