
Global Investors Summit
GIS 2025: देश-दुनिया के उद्यमी अब मध्यप्रदेश में निवेश के लिए इच्छुक हैं। भोपाल में हुए 8वें ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआइएस) में 34 देशों के डेलिगेट्स और देश के तकरीबन सभी बड़े उद्योग समूहों के चेयरमैन-सीईओ समेत 11 हजार निवेशक पहुंचे। मानव संग्रहालय परिसर में पहले ही दिन 22.50 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव व एमओयू हुए।
सबसे ज्यादा अदाणी समहू के चेयरमैन गौतम अदाणी ने 1.10 लाख करोड़ व 1 लाख करोड़ अतिरिक्त निवेश का ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिनी जीआइएस का आगाज कर कहा, 3 क्षेत्र ‘टेक्सटाइल, टूरिज्म, टेक्नोलॉजी’ की विकास में बड़ी भूमिका रहेगी। उन्होंने मप्र की 18 नीतियां (पॉलिसी) लॉन्च भी की।
मोदी बोले-मप्र देश का ‘कॉटन कैपिटल’ है। देश का 25% ऑर्गेनिक कॉटन आपूर्ति करता है। मलबरी सिल्क का सबसे बड़ा उत्पादक है। चंदेरी-महेश्वरी विश्वप्रसिद्ध हैं। इनमें निवेश निवेशकों को वैश्विक पहचान देगा। सरकार मेडिकल, जियो टेक्सटाइल को बढ़ावा दे रही है। 7 बड़े टेक्सटाइल पार्क में से एक मप्र में बन रहा है।
मोदी ने कहा, निवेश का यही समय है, सही समय है। इस मौके पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, सीएम डॉ. मोहन यादव भी मौजूद थे। मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह जीआइएस का समापन करेंगे। वे शाम 4.10 बजे आएंगे। फिर गुरुवार दोपहर 3 बजे चित्रकूट में सहकारिता के कार्यक्रम में शामिल होंगे।
देश के ऊर्जा सेक्टर में अभूतपूर्व विकास हुआ। ग्रीन एनर्जी में भी खूब काम हुआ। मप्र को भी लाभ मिला है। प्रदेश पावर सरप्लस है। रीवा का प्लांट सबसे बड़े सोलर प्लांट में एक है। ओंकारेश्वर में फ्लोटिंग सोलर प्लांट बना।
हमारी समृद्धि: मप्र ऊर्जा संसाधन में देश में नंबर-4 पर। पवन ऊर्जा में 7वां, सौर ऊर्जा में 8वां, पन बिजली में 7वां स्थान। 7 थर्मल विद्युत केंद्रों की क्षमता 23788 मेगावॉट है। 2023-24 में 28627 मिलियन यूनिट बिजली बनी।
बीना रिफाइनरी का विस्तार किया गया है। इससे राज्य पेट्रोकेमिकल का हब बनेगा। मप्र में 200 से ज्यादा इंडस्ट्रियल जोन हैं। यहां निवेश करना निवेशकों के लिए ‘पैसा रिटर्न’ की अपार संभावनाएं हैं।
हमारी ताकत: प्रदेश में 50 हजार करोड़ का पेट्रोकेमिकल हब बन रहा है। बीना रिफाइनरी में सालाना 7.8 मिलियन मीट्रिक टन तेल शोधित होता है। इसकी क्षमता बढ़ेगी, 15 मिलियन मीट्रिक टन तेल शोधित करेगा।
प्रदेश कृषि और खनिज में देश के अव्वल राज्यों में है। मप्र को मां नर्मदा का आशीर्वाद है। यहां सभी तरह के विकास की संभावनाएं हैं।
अपनी मजबूती: मप्र देश के 8 प्रमुख खनिज संपन्न राज्यों में एक है। देश के कुल कोयला भंडार का 7.71% मप्र में। भारतीय खान ब्यूरो के अनुसार यहां 27,673 मिलियन टन कोयला भंडार है। हीरा उत्पादन में इकलौता। मैंगनीज, कॉपर एवं अयस्क उत्पादन में नंबर-1, रॉक फॉस्फेट में दूसरे, चूना पत्थर में तीसरे स्थान पर। पन्ना में हर साल 1 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन। मलाजखंड कॉपर खदान देश की सबसे बड़ी तांबा खदान है। रोज 5-10 हजार टन तांबा निकलता है। देश के तांबे भंडार का 70% यहीं।
राज्य इलेक्ट्रिक वीकल के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में जनवरी 2025 तक दो लाख ईवी गाड़ियां रजिस्टर्ड हुईं। ये 90 फीसदी ग्रोथ है। निर्माण क्षेत्र के लिए भी प्रदेश शानदार केंद्र बन रहा है।
अपनी बुलंदी: प्रदेश में अब नई ईवी नीति लागू की गई है। यह सबसे बड़ी मजबूती है। इसके तहत भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन मॉडल इलेक्ट्रिक वाहन शहर बनेंगे। यहां 80% शासकीय वाहन ईवी में तब्दील होंगे।
औद्योगिक विकास के लिए ‘वाटर सिक्योरिटी’ बहुत जरूरी है। सरकार जल-संरक्षण पर बल दे रही है। अभी केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर काम चल रहा है। इससे 10 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बढ़ेगी।
अपनी संपन्नता: राज्य में शुद्ध भूजल उपलब्धता 34,15,884 अरब घनमीटर है। इससे ज्यादा नर्मदापुरम जिले में 2,08,322 अरब घनमीटर है। 71 लाख घरों में सीधे नल के जल से पानी देकर देश में अव्वल।
Published on:
25 Feb 2025 10:32 am
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