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अनिल चौधरी, भोपाल. मध्यप्रदेश में वन अधिकार पट्टों के लिए आए आवेदनों की निराकरण समय पर नहीं होने की स्थिति में अब कलेक्टर जिम्मेदार होंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले दिनों कलेक्टरों की सीधी जिम्मेदारी तय कर दी है। दरअसल, प्रदेश में 3.60 लाख वन अधिकार पत्रों का सत्यापन आठ माह चल रहा है। इसके लिए मार्च तक का अल्टीमेटम दिया गया है।
वन अधिकार पट्टों की जांच में नया खुलासा हुआ है। वनवासी के नाम पर जंगल में जमीन लेने वालों में ( Government employees ) सरकारी कर्मचारी और व्यापारी भी शामिल हैं। 20 जिलों की जांच में 2100 से ज्यादा ऐसे आवेदन पकड़ में आए हैं। निरस्त किए गए वनाधिकार पट्टों की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पेश करना है इस संबंध में सभी जिलों में इसकी जांच की जा रही है। वन अधिकार पट्टे के एक-एक आवेदन की फिर से समीक्षा की जा रही है। अभी तक आदिवासी बहुल 20 जिलों के आवेदनों की जांच और समीक्षा की जा चुकी है। इसमें यह देखा जा रहा है कि विभिन्न समितियों ने जिन आदिवासियों के पट्टे निरस्त किए हैं, उसका कारण सही था अथवा किसी कमी अथवा दुर्भावना के चलते निरस्त किए गए हैं। सबसे ज्यादा आदिवासियों के पट्टे इसलिए निरस्त किए गए हैं, क्योंकि जिस जमीन पर वे अपना दावा पेश कर रहे थे वह वन भूमि नहीं है। यह भूमि या तो राजस्व की है या फिर निजी अथवा किसी न किसी संस्था की है।
- साक्ष्य की कमी बड़ी वजह
हजारों आदिवासियों के आवेदन इसलिए निरस्त कर दिए हैं, क्योंकि उन्होंने अपने वन क्षेत्र में रहने के संबंध में सबूत समितियों के सामने पेश नहीं किए थे। उन्हें एक बार फिर से 13 दिसम्बर 2005 के पहले से वहां रहने के संबंध में सबूत देने के लिए कहा है। इस तरह के मौके आदिवासियों को वन अधिकार समितियों द्वारा कई बार दिए जा चुके हैं। बताया जाता है कि वन अधिकार पट्टे सौ फीसदी आवेदन वन अधिकार समिति, ग्राम सभा और उपखंड स्तरीय समिति के स्तर पर निरस्त किए गए हैं, जिलास्तरीय समिति में सिर्फ आवेदनों का सत्यापन किया गया है।
- पीढिय़ों के फेर में फंसे
गैरआदिवासियों के ज्यादातर पट्टे तीन पीढिय़ों के चक्कर में निरस्त हुए हैं। 20 जिलों में करीब 70 हजार आवेदन इस लिए निरस्त किए गए हैं क्योंकि वे तीन पीढिय़ों से वहां नहीं रह रहे थे। सरकार ने ये शर्त सिर्फ गैर आदिवासियों के लिए वन अधिकार पट्टा देने के लिए लगाया था। बाकी छह शर्तें सभी के लिए समान हैं। इन जिलों में करीब एक लाख पट्टे निरस्त किए गए हैं। शासकीय नौकरी और व्यवसाय के कारण 97 लोगों के पट्टे निरस्त किए गए हैं।
- आवेदन वन मित्र ऐप पर अपलोड
अफसरों की सुस्ती के चलते वनाधिकार पट्टों के 3 लाख 60 हजार दावों का सत्यापन लंबित है। इसका खुलासा एमपी वन मित्र ऐप की ताजा जिलावार रिपोर्ट में हुआ है। आदिम जाति कल्याण विभाग ने सभी कलेक्टरों को इन आवेदनों के सत्यापन और जांच के लिए मार्च तक का समय दिया है। वन अधिकार पत्रों के 50 हजार से अधिक आवेदनों का निराकरण वन अधिकार समितियों ने ही अपने स्तर पर नहीं किया है। इन समितियों को दस्तावेज का सत्यापन कर रिपोर्ट एसडीएम की अध्यक्षता वाली समिति को देना था, ताकि ब्लॉकस्तर की समिति अपनी रिपोर्ट लगाकर कलेक्टरों की अध्यक्षता वाली जिलास्तरीय कमेटी भेज सके। जिलास्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को ही वन अधिकार पत्रों के दावों को फाइल माना जाएगा। आदिम जाति कल्याण विभाग ने सभी समितियों को एक मार्च तक आवेदनों के निराकरण करने के लिए कहा है।
- अप्रेल में देना है जवाब
दरअसल, प्रदेश सरकार को अप्रेल में सुप्रीम कोर्ट में वन अधिकार पत्रों के सबंध में जवाब देना है। पूर्व में जितने 3.60 लाख आवेदनों को निरस्त किया था, उससे करीब सात-आठ हजार ज्यादा आवेदन वन मित्र ऐप पर अपलोड हैं। मैदानी अधिकारियों का कहना है कि इनके पहले आवेदन नहीं लिए गए थे, अब इन्होंने ऑनलाइन आवेदन किए हैं। विभाग ने इनके साथ अटैच दस्तावेज का परीक्षण करने के लिए सभी समितियों से कहा है।
- 1952 ग्राम पंचायतों में रजिस्ट्रेशन नहीं
प्रदेश के 1952 ग्राम पंचायतों में अभी तक वन मित्र ऐप में रजिस्ट्रेशन शुरू नहीं हुआ है। करीब 1500 वन ग्राम समितियों ने आवेदनों का निराकरण नहीं किया है। जब तक यह समितियां अपने स्तर पर आवेदन सत्यापन कर उन्हें आगे नहीं बढ़ाएंगी, तब तक इन आवेदनों के संबंध में पुनर्विचार नहीं किया जाएगा।
- आवेदनों के सत्यापन की हकीकत
कुल आवेदन - 360000
वन मित्र ऐप पर रजिस्टर्ड - 335793
ग्राम समितियों में सत्यापन - 17819
एसडीएम स्तर समिति - 02
जिलास्तर समिति - 02
- इन बिन्दुओं पर सुप्रीम कोर्ट में देना है जानकारी
दावा की गई भूमि, वन भूमि न होने के कारण निरस्त दावे।
साक्ष्य के अभाव में निरस्त दावे।
दिनांक 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व से काबिज न होने के कारण निरस्त दावे।
दावा की गई भूमि पर काबिज न होने के कारण निरस्त दावे।
परिवार के सदस्यों द्वारा दोहरे आवेदन प्रस्तुत करने के कारण निरस्त दावे।
जीविका के लिए वन भूमि पर आश्रत न होने के कारण निरस्त दावे, जिसमें नौकरी, व्यवसाय सहित अन्य कारण भी शामिल हैं।
Published on:
20 Feb 2020 05:13 am
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