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जरूरी खबर: अपनी मनमर्जी से न खाएं ‘एंटीबायोटिक्स’, पहले कराएं टेस्ट, फिर लें खुराक

विशेषज्ञों ने जनता के साथ डॉक्टरों को भी एंटी बायोटिक का जरूरी होने पर ही उपयोग करने की सलाह दी.....

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भोपाल। एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग से एंटीबायोटिक रसिस्टेंस (एएमआर) समस्या का ग्राफ बढ़ रहा है। सरकार अब नीति में संशोधन करने पर विचार कर रही है। जिसके तहत सभी स्वास्थ्य संस्थानों को ऐसी एंटीबायोटिक की जानकारी देनी होगी, जो बैक्टीरिया पर असर करना बंद कर चुकी हैं। डब्ल्यूएचओ ने इसे छिपी महामारी बताया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पूर्व संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया, इसे रोकने सभी अस्पतालों में एंटीबायोटिक दवाएं देने के पहले कल्चर टेस्ट कराएं।

एंटीबायोटिक को लेकर जागरुकता जरूरी

एम्स में हाल ही हुई कार्यशाला में विशेषज्ञों ने जनता के साथ डॉक्टरों को भी एंटी बायोटिक का जरूरी होने पर ही उपयोग करने की सलाह दी। डॉक्टरों, शोधकर्ताओं को एंटीबायोटिक के सही उपयोग की जानकारी लोगों तक पहुंचाने की अपील भी की गई। इस बैठक का उद्देश्य एएमआर से लड़ने के तरीकों की मजबूत प्रणाली स्थापित करने के तरीके और साधन तैयार करना था। इसमें चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, एम्स निदेशक डॉ. अजय सिंह, एम्स अध्यक्ष प्रोफेसर वाईके गुप्ता समेत अन्य लोग शामिल हुए थे।

एंटीबायोटिक्स रेसिस्टेंट हो रहे लोग

आइएमए की रिपोर्ट के अनुसार लोग बीमार होने पर अपने मन से एंटीबायोटिक्स दवाओं का अधिक सेवन करते हैं। जिससे उनके शरीर में दवा का असर होना कम हो रहा है। साथ ही वह एंटीबायोटिक्स रेसिस्टेंट बन रहे हैं। इसके चलते जब असल में एंटीबायोटिक्स दवा की जरूरत पड़ रही है तो दवा का असर ही नहीं हो रहा है। ऐसे में जो दवा प्रभावी होंगी वही दी जाएगी। जिससे मरीज बेअसर दवाएं फिजूल में खाने से बचें। अस्पतालों को कल्चर टेस्ट रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को साझा करनी होगी।