
Hamidia Hospital News: मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल हमीदिया चर्चा में है। यहां मैनेजमेंट ने 400 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर ली है। मैनेजमेंट ने एक निजी कंपनी को इसके लिए लेटर तक जारी किया है। हालांकि मैनेजमेंट ने किसे निकालने की तैयारी की है, अब तक इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अनुमान है कि ये वे कर्मचारी हो सकते हैं जो सैक्शन पदों के अतिरिक्त नौकरी पर रखे गए। इनकी संख्या 400 बताई जा रही है। वहीं वे कर्मचारी भी इसमें शामिल हो सकते हैं, जिन्हें कोविड काल में नौकरी पर रखा गया था।
गांधी मेडिकल कॉलेज का कहना है कि शासन की ओर से अनुभाग (सैक्शन) पदों के मुकाबले हमीदिया में 400 कर्मचारी अधिक काम कर रहे हैं। वर्तमान में शासन की ओर से जितने पद सैक्शन हैं, उसी आधार पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) से संबंध हमीदिया अस्पताल में पिछले 3 महीने से सैलरी नहीं मिलने के चलते आउट सोर्स कर्मचारियों ने मंगलवार को हड़ताल की। जिसमें करीब 500 वार्ड बॉय और टेक्नीशियन समेत अन्य कर्मचारियों ने सुबह 7 बजे से दोपहर 11 बजे तक काम बंद रखा।
इसके बाद प्रबंधन के समझाने पर हड़ताल वापस ले ली गई। हालांकि, इन चार घंटों में मरीजों और उनके परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस हड़ताल के चलते 8 से 10 ऑपरेशन टाले गए। इससे पहले भी इसी मांग को लेकर 10 दिसंबर को हड़ताल की गई थी।
इधर, सैलरी मिलने की बात सुनकर एक तरफ कर्मचारी खुश हुए तो दूसरी तरफ 257 कर्मचारी कम करने की बात सामने आ गई। वर्तमान में हमीदिया में 17 सौ कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें से 1082 की सैलरी शासन स्तर से मिलती है। वहीं, अन्य को जीएमसी के ऑटोनोमस बजट से सैलरी दी जाती है। इसका ऑटोनोमस बजट पर सालाना 18 करोड़ का भार आता है। ऐसे में शासन स्तर पर फैसला लिया कि हमीदिया में 1443 कर्मचारियों की ही जरूरत है। अन्य बचे 257 कर्मचारी की जरूरत नहीं है। ढाई करोड़ रुपए के भुगतान के बाद भी अभी जीएमसी प्रबंधन को आउट सोर्स एजेंसी को 15 करोड़ देना बकाया है।
स्वशासी चिकित्सा महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीया ने बताया कि साल 2016 में जीएमसी के ऑटोनोमस बजट में 15 करोड़ से अधिक की एफडी थी। इस बजट से कर्मचारियों की सैलरी देनी शुरू की गई तब से इसमें गिरावट आई। अब यह शून्य है। ऐसे में अब स्टूडेंट और को लाभ देने के लिए बजट ही नहीं है।
हाल में कर्मचारियों की सैलरी के लिए शासन स्तर पर ढाई करोड़ दिए गए। यह अभी तक खाते में नहीं पहुंचे। इससे नाराज कर्मचारियों ने मंगलवार को फिर हड़ताल की। इस दौरान प्रबंधन द्वारा उन्हें समझाया गया कि इस राशि को खाते तक पहुंचने में समय लगता है। शासन स्तर से मिला बजट पहले ट्रेजरी में आता है। यहां से एचएएल को भेजा जाता है। इसके बाद आउट सोर्स एजेंसी को मिलता है। फिर उनके खाते में आता है। इस प्रक्रिया में अभी एक से दो दिन का औ समय लगेगा।
शासन से सैक्शन पदों के अनुसार 400 कर्मचारी अधिक हैं। इसकी प्रक्रिया जल्द की जाएगी। हालांकि, इनमें कौनसे कर्मचारी शामिल होंगे, अभी यह तय नहीं है। जीएमसी के पास पैसा नहीं इसलिए सैलरी आने में देरी हो रही है।
-कविता एन सिंह, जीएमसी डीन
Updated on:
18 Dec 2024 11:31 am
Published on:
18 Dec 2024 11:30 am
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