
Harda Blast : पिता के लिए मौत से लड़ा था 9 साल का बेटा, बाप को तो बचा लाया पर खुद हार गया
मध्य प्रदेश के हरदा में बीते मंगलवार को पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण धमाके अब अपने पीछे जीवनभर याद रहने वाले कई गहरे दर्द छोड़ गया है। इन्हीं धमाकों की चपेट आए एक 9 साल के मासूम आशीष ने भी शनिवार को भोपाल के एम्स अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। आपको जानकर होगी लेकिन इतनी छोटी सी उम्र में आशीष ने हादसे वाले दिन जो भूमिका निभाई थी, वो किसी सुपरहीरो से कम नहीं थी। जी हां, आशीष के पिता संजय आज उसे 'सुपरहीरो' के नाम से ही याद कर रहे हैं।
फैक्ट्री में हुए धमाकों में जिन लोगों की जान बच गई है वो उसे एक खौफनाक मंजर बताते हुए सहम जाते हैं। धमाके की गूंज अब भी हादसे में बच जाने वालों के कानों में गूंज रही है। धमाके कितने भीषण होंगे इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कोई उन्हें ज्वालामुखी फटने जैसा बता रहा है तो कोई कह रहा है कि कई मिजाइलों के हमले से भी काफी ज्यादा था। इन धमाकों में जहां एक तरफ अबतक 13 लोगों ने अपने सगों को खो दिया तो लगभग इतने ही लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। जबकि 150 से अधिक घायल हरदा समेत प्रदेश के अलग अलग शहरों के अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं।
सिर पर आ चुकी थीं गंभीर चोटें, फिर भी पिता को बचा लाया
हादसा कितना भीषण होगा कि फैक्ट्री की जिस इमारत में धमाके हो रहे थे, अब उस स्थान पर सिर्फ मलबे का ढेर पड़ा हुआ है। जबकि धमाकों से इमारतों का मलबा उड़कर करीब आधा किलोमीटर दूर तक गिर रहा था। इन्हीं धमाकों और इमारतों के मलबे की बारिश के बीच संजय राजपूत नाम का दिव्यांग व्यक्ति व्हीलचेयर पर बैठा था। इसी दौरान संय के मात्र 9 साल के बेटे आशीष ने जब अपने पिता को खतरे में देखा तो अपनी जान की परवाह किए बिना वो अपने दिव्यांग पिता को बचाने दौड़कर उनके पास पहुंच गया और पूरी जान लगाकर अपने पिता को बचाने व्हीलचेयर धकाते हुए सुरक्षित जगह ले आया। इस दौरान उसपर धमाकों से उड़ रहा मलबा लगातार गिरता रह और आखिरकार एक भारी भरकम पत्थर उसके सिर पर आ गिरा, जिसकी चपेट में आकर वो बेहोश हो गया। सिर पर चोट आने के बावजूद 9 साल का मासूम अपने पिता को सुरक्षित जगह ले आया, जहां आकर अपने पिता की गोद में गिरकर वो बेहोश हो गया।
पिता को बचाने के लिए दे दी जान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसे वाली फैक्ट्री के पास ही संजय की एक छोटी सी पान की दुकान थी। जबकि संजय की पत्नी और बेटी हादसे वाली फैक्ट्री में काम करती थीं। पिता के पैर खराब होने की वजह से वो व्हील चेयर पर हैं और चंद कदम की दूरी पर उनका एक छोटा सा घर भी था, जहां बेटा आशीष स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहा था। मंगलवार को जैसे ही धमाके होने शुरु हुए और इमारत का मलबा आसमान में उड़ने लगा, जिसकी चपेट में दिव्यांग संजय आ गया था। बेटे ने आवाज सुनकर अपनी जान की परवाह किए बिना अपने पिता की जान बचाने को प्राथमिकता दी।
बुझ गया घर का चिराग
हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए बेटे आशीष और संजय को इलाज के लिए हरदा से 100 कि.मी दूर नर्मदापुरम के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां आशीष की हालत और नाजुक होने के चलते उसे भोपाल के एम्स में भर्ती करा दिया गया। जहां पांच दिन जीवन की जंग लड़ते लड़ते शनिवार को आकिरकार उसकी मौत हो गई। फिलहाल आशीष के पिता संजय की हालत खतरे से बाहर है। उनका इलाज नर्मदापुरम के अस्पताल में चल रहा है। हालांकि हादसे के समय फैक्ट्री में मौजूद संजय की पत्नी और बेटी समय रहते सुरक्षित स्थान पर आ गई थीं, जिससे उनकी जान बच गई।
Published on:
10 Feb 2024 08:39 pm
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