इस व्यवस्था में अब हर नई निर्माणाधीन सड़कों में ठेकेदारों का भुगतान लैब रिपोर्ट पर केंद्रित होगा। शासन से स्वीकृत कार्यों को स्टैंडर्ड नियम व शर्तों पर स्वीकृत किया जाता है। इसके अनुसार गुणवत्ता तय होती है। निर्माण कार्यों के सैंपल में निर्माण एजेंसियों की पहचान गुप्त रखने से लैब व ठेकेदारों में मिलीभगत नहीं हो सकेगी।
ऐसी है जांच प्रक्रिया
पहले: लैब में सैंपलों पर डिटेल लिखा होता है। सैंपल कहां गया, कर्मचारियों के पास यह सूची होती है। इससे कॉन्ट्रैटर लैब से मिलीभगत कर रिपोर्ट प्रभावित करता है। अब: सड़क बनते समय अलग-अलग स्तर पर सैंपल लेंगे। इस पर डिटेल यूआर कोड होगा। जांच एजेंसी को नहीं पता चलेगा कि सैंपल किस सड़क का है। ठेकेदार व लैब का गठजोड़ खत्म होगा।