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हाइब्रिड मोड पर सुनवाई से आसान होगा उपभोक्ता आयोग में लंबित प्रकरणों का निपटारा, अलग से होगा बेंच का गठन

- जबलपुर, इंदौर, भोपाल में सबसे ज्यादा लंबित मामले- राज्य में 4 अध्यक्ष और 42 सदस्यों के पद रिक्त-पिछले 5 सालों में 73 फीसदी मामलों का हुआ निराकरण- नियम के मुताबिक उपभोक्ता आयोग में 90 दिन में होना है फैसला, लेकिन मामले 10-12 सालों से लंबित

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हाइब्रिड मोड पर सुनवाई से आसान होगा उपभोक्ता आयोग में लंबित प्रकरणों का निपटारा, अलग से होगा बेंच का गठन

शगुन मंगल

भोपाल. उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए बनाए गए उपभोक्ता आयोग में लंबित मामलों की लिस्ट बहुत लंबी है। इनसे निपटने के लिए मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग अब हाइब्रिड मोड में सुनवाई शुरू करने जा रहा है। इसके लिए राज्य आयोग में एक अलग से बेंच का गठन होगा। जो भी पक्षकार या अधिवक्ता आयोग में उपस्थित रहने में असमर्थ हैं और वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई चाहते हैं तो वे कोर्ट रूम में वर्चुअली जुड़ पाएंगे।


इससे पहले कोरोना के समय ये सुविधा थी। लेकिन उसके बाद फिर बंद हो गई। संभवत: ये देश का पहला उपभोक्ता आयोग है जहां वर्चुअल सुनवाई शुरू हो रही है। हालांकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 38 (6) के अनुसार पक्षकार के अनुरोध पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई किये जाने का प्रावधान है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

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प्रदेश में उपभोक्ता से जुड़े 48715 मामले लंबित, भोपाल तीसरे नंबर पर

अभी प्रदेशभर में उपभोक्ता से जुड़े 48715 मामले लंबित हैं। इनमें अकेले राज्य आयोग में 9243 मामले लंबित हैं। जबकि सूबे की समस्त 51 जिलों में 39472 मामले लंबित हैं। पेंडिंग केसेस में जबलपुर अव्वल नंबर पर है। यहां की दोनों बैंचों में 5 हजार से भी अधिक मामलों का निराकरण नहीं हुआ है। इसके बाद इंदौर, भोपाल और उज्जैन जिलों की बेंचों में सबसे ज्यादा लंबित मामले हैं। जबकि नियम कहता है कि मामलों का निराकरण 90 दिनों के भीतर हो जाना चाहिए।

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टॉप 5 जिले जहां सबसे अधिक मामले लंबित

-जबलपुर - 5,489
-इंदौर - 3,613
-भोपाल - 3,313
-उज्जैन - 1594
-गुना - 1548


पिछले 5 सालों में 73 फीसदी मामलों का हुआ निराकरण

पूरे प्रदेश में पिछले 5 सालों में 71745 उपभोक्ताओं की शिकायतें दर्ज हुई। जबकि इनमें से केवल 53460 शिकायतों का निराकरण हुआ। यानि 27 फीसदी मामलों की कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि कोरोना के बाद से मामलों के निराकरण ने फिर से रफ्तार पकड़ी है।

राज्य आयोग में पिछले 5 सालों में दर्ज मामले

-2018 - 827
-2019 - 2829
-2020 - 957
-2021 - 657
-2022 - 1139


राज्य आयोग में पिछले 5 सालों में निराकृत मामले

-2018 - 1161
-2019 - 2274
-2020 - 925
-2021 - 1295
-2022 - 2646


समस्त 51 जिला आयोगों में पिछले 5 सालों में दर्ज मामले

-2018 - 9429
-2019 - 13822
-2020 - 11958
-2021 - 16991
-2022 - 13155


समस्त 51 जिला आयोगों में पिछले 5 सालों में निराकृत मामले

-2018 - 5309
-2019 - 12991
-2020 - 4729
-2021 - 8077
-2022 - 13053

(अक्टूबर 2022 तक के प्राप्त आकड़े)

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राज्य में 4 अध्यक्ष और 42 सदस्यों के पद रिक्त

प्रदेश के 4 बड़े जिलों में अध्यक्ष ही नहीं हैं। इसमें भोपाल, धार, खंडवा, मंदसौर शामिल हैं। इसके अलावा मार्च 2023 तक 11 अध्यक्षों के पद खाली हो जाएंगे। साथ ही अलग-अलग जिलों के 42 सदस्यों के पद खाली हैं। ये लंबे समय से रिक्त हैं। प्रदेश में 26 बैंच ऐसी हैं जहां अन्य जिलों के अध्यक्ष ही कार्यभार संभाल रहे हैं। ये सप्ताह में एक या दो बार ही संबंधित जिलों में जा पाते हैं। ये भी लंबित मामलों का एक बड़ा कारण है।


जल्दी निपटेंगे मामले

मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस शांतनु एस केमकर का कहना है कि, उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए हाइब्रिड मोड में इसी सप्ताह से सुनवाई शुरू हो जाएगी। राज्य आयोग में हर बुधवार को ऑनलाइन सुनवाई होगी। वहीं, समस्त जिला उपभोक्ता आयोग इसके लिए अपने हिसाब से दिन तय करेंगे। अगर इसकी प्रतिक्रिया अच्छी रही तो इसे जल्द ही हर दिन शुरू किया जाएगा। इससे मामले जल्दी निपटेंगे।

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