
भोपाल/जबलपुर। प्रदेश में लगातार बाघों की मौत पर मप्र हाईकोर्ट ने गम्भीरता दर्शाई। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल धगट की बेंच ने राज्य व केंद्र सरकार से पूछा कि पिछले एक साल में प्रदेश में 36 बाघों की मौत कैसे हो गई? सोमवार को कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग तथा नेशनल टाइगर कन्सर्वेटर अथॉरिटी के सदस्य सचिव को नोटिस जारी किए। 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया ।
भोपाल के अजय दुबे की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि कुल 36 में से 33 मेल और 3 फीमेल टाइगर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पन्ना में दो रेडिया कॉलर्ड यंग बाघों की मौत भी हुई है। पिछले सप्ताह पन्ना में एक बाघ की करंट लगने से मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया कि दुर्भाग्यवश पिछले एक साल में देश भर में कुल 107 बाघों की मौत हुई है। इसमें से 36 मौतों का योगदान केवल मध्यप्रदेश का है। कोर्ट को बताया गया कि 31 अक्टूबर 2021 के बाद अब तक 4 बाघ और मरे हैं।
कर्नाटक की तर्ज पर हो संरक्षण
तर्क दिया गया कि कर्नाटक राज्य ने बाघों के संरक्षण के लिए जो कदम उठाए हैं, वो पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण है। यहां सरकार ने स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन किया है, जो बाघों के मूवमेंट से लेकर उनकी हर गतिविधि पर नजर रखती है। 2018 के सर्वे के मुताबिक मप्र में 526 जबकि कर्नाटक में 524 बाघों की गणना की गई थी। प्रदेश में जिस तरह से बाघों की मौत हो रही है, उससे लगता है कि टाइगर स्टेट का दर्जा जल्द ही समाप्त हो जाएगा।प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
Updated on:
23 Nov 2021 08:14 am
Published on:
23 Nov 2021 08:11 am
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