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मां को कैसे बताऊं, जिंदा जल गया उसके कलेजे का टुकड़ा…

बच्चों की मौत से गमगीन लोग

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बच्चों की मौत से रुक नहीं रहे आंसू

भोपाल. हमीदिया अस्पताल के परिसर में स्थित कमला नेहरू अस्पताल बिल्डिंग में लगी आग ने कई लोगों को जीवनभर के लिए जख्म दे दिए हैं. सोमवार रात को यहां आग लगी जिसमें कई बच्चों के साथ उनके परिजनों की खुशियां भी खाक में मिल गईं. मंगलवार को सुबह से ही अस्पताल के बाहर फोर्स तैनात कर दी गई है. कुछ परिजन यहां हंगामा भी कर रहे हैं.

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर मौत का आंकड़ा छिपाने का आरोप भी लगाया है. माता—पिता अपने बच्चों की याद में बिलख रहे हैं. इन्हीं में से एक भानपुर निवासी आमीन हैं जिनका बेटा इस हादसे में नहीं रहा. उन्होंने बताया कि आग लगने के कई घंटों तक डॉक्टर-कर्मचारी झूठ बोलते रहे कि उनका बेटा ठीक है. रात ढाई बजे उन्हें बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है.

डाक्टर्स ने बताया कि कमजोर होने की वजह से बच्चे की मौत हुई जबकि मेरा बच्चा कमजोर नहीं था. उसकी मौत आग लगने की वजह से ही हुई है। उनकी पत्नी तरन्नूम को 4 दिन पहले डिलीवरी हुई थी. उनका बेटा शाम तक पूरी तरह ठीक था। वह खाना लेने घर चले गए थे और जब लौटे तो देखा कि वार्ड में आग लगी थी।

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मां को कैसे बताऊं, नहीं रहा उसका बेटा...
भोपाल के ही रईस के बेटे की भी इस हादसे में मौत हो गई है. उनका कहना है कि अस्पताल की लापरवाही के कारण ही यह हादसा हुआ है। उन्होंने इस हादसे की जांच की भी मांग की। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही पत्नी सादमा को बेटा हुआ था जोकि हॉस्पिटल में भर्ती था। रात में आग लगने से उसकी मौत होने के बाद से ही यह समझ नहीं आ रहा कि सादमा से क्या कहूं. मां को कैसे बताऊं कि उसका बेटा जिंदा जल चुका है।