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रिटायर्ड होते ही IAS ने छेड़ी ‘जंग’, कहा- अब करूंगा बड़े खुलासे

'मैंने वचन दिया था कि आईएएस की नौकरी करते हुए मीडिया से बात नहीं करूंगा लेकिन अब रिटायर्ड हो चुका हूं..मुक्त हो चुका हूं अब पर्दाफाश करूंगा..'

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भोपाल. मध्यप्रदेश के रिटायर्ड आईएस अधिकारी रमेश थेटे ने रिटायर्ड होते ही सरकार पर उनके साथ अन्याय करने का बड़ा आरोप लगाया है। 31 जुलाई को रिटायर्ड होने के साथ ही रमेश थेटे ने मीडिया को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने लिखा कि उन्हें सच्चा अंबेडकरवादी होने की सजा मिली है और यही कारण रहा कि डायरेक्टर आईएएस होने के बाद भी उन्हें कलेक्टर नहीं बनाया गया।

'नौकरी में रहते मीडिया से बात न करने का लिया था वचन'
रिटायर्ड आईएएस रमेश थेटे ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि उन्होंने वचन लिया था कि वो जब तक IAS की नौकरी में रहेंगे मीडिया से बात नहीं करेंगे। अब वो रिटायर्ड हो चुके हैं उन्हें उस गुलामी से मुक्ति मिल चुकी है जिसे वो बीते कई सालों से न चाहते हुए भी झेल रहे थे। रिटायर्ड IAS थेटे ने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा कि उनका मन बेहद दुखी है नौकरी में रहते हुए उन्हें जिस तरह से परेशान किया गया वो अब आगे उसका खुलासा करेंगे।

अंबेडकरवादी होने की मिली सजा- थेटे
रमेशे थेटे ने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा कि डायरेक्टर IAS होने के बाद भी उन्हें कलेक्टर नहीं बनाया गया और ये सब उनके सच्चे अंबेडकरवादी होने के कारण हुआ। उन्होंने स्वाभिमानी अंबेडकरवादी होने की कीमत चुकाई है। ऑफिस की टेबल पर बाबा साहब अंबेडकर की बड़ी तस्वीर रखना और समाज के दबे कुचले लोगों के लिए निडर होकर काम करने के कारण कई जातिगत संगठन उनके विरोधी हो गए और उनके खिलाफ तरह तरह के षडयंत्र रचे। उन्होंने चिट्ठी में आगे लिखा कि जब वो म्यूनिसिपल कमिश्नर जबलपुर थे तो जनभागीदारी से प्रदेश की पहली मॉडल रोड बनवाई थी। सैकड़ों सफाईकर्मियों को नियमित किया था। आईटीआई बैतूल के दलित कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय को दूर करने का निर्णय लिया तो उन पर झूठे प्रकरण दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया। नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। उज्जैन अपर आयुक्त रहते दबे कुचले किसानों की जमीन को मुक्त कराया तो जातिवादी लोकायुक्त नावलेकर ने 25 केस ठोक दिए। मेरे जबलपुर वाले सरकारी आवास पर छापेमारी हुई जिसमें महज 50 रुपए का एक नोट घर से मिला लेकिन इसके बावजूद 41 लाख रुपए अनुपातहीन संपत्ति तथा बैंक लोन के 8 प्रकरणों को बिना अभियोजन स्वीकृति के न्यायालय में चालान पेश कर दिया। जब कोर्ट से दोष मुक्त हुआ तो मेरी पत्नी पर केस ठोक दिए और मुझे सहआरोपी बनाया गया। थेटे ने लिखा कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि ये सब जातिवादी संगठनों के संगठित गिरोह ने उन्हें फंसाने के लिए किया जिसका वो पूरी तरह से पर्दाफाश करेंगे।

बता दें कि रिटायर होने से पहले 25 जुलाई को IAS रमेश थेटे ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर प्रमुख सचिव पद पर प्रमोशन की मांग की थी लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया।