Child Porn Content: वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड पोर्न देखना, डाउनलोड करना, शेयर या फॉरवर्ड करना मुसीबत में डाल सकता है। बच्चों से जुड़े अश्लील कंटेंट को सोशल मीडिया पर शेयर करने वालों पर साइबर पुलिस लगातार नजर रख रही है। इसमें गूगल एलगोरिदम की भी मदद ली जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, ऐसे लोगों की एक संदिग्ध सूची तैयार की जा रही है, जो अपने फोन में चाइल्ड पोर्न कंटेंट को शेयर करते हैं या सेव रखते हैं। ऐसे लोगों पर पॉक्सो एक्ट(POCSO Act) के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। चाइल्ड पोर्न कंटेंट को रोकने के लिए साइबर पुलिस ने 6 सदस्यों का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप तैयार किया है। यह ऐसे मामलों की जांच करेगा जो स्मार्टफोन से चाइल्ड पोर्न कंटेंट शेयर कर रहे हैं। इसे रोकने को लेकर केंद्र स्तर पर पहल की है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्ट पोर्टल खुद भी नजर रख रहा है और ऐसे लोगों की सूची समय- समय पर प्रदेश साइबर सेल को भी भेजी जा रही है।
● बच्चों की अश्लील तस्वीरें, वीडियो बनाना या देखना, भेजना और स्टोर करना।
● पोर्न दिखाना, या कोई भी ऐसा कंटेंट जो बच्चे की सोच और मानसिकता को बिगाड़े।
● गंदे इशारे करना, अश्लील बातें बोलना, पीछा करना या गलत नजर से देखना।
इंटरपोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 से 2020 के बीच भारत में ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न के 24 लाख मामले सामने आए हैं। शिकार बनाए गए बच्चों में 80 प्रतिशत 14 साल से कम उम्र की बच्चियां हैं। जांच एजेंसियों ने 300 से ज्यादा ऐसे ग्रुपों की पहचान भी की है।
Published on:
13 Jun 2025 09:27 am