
Nal Jal Yojana MP CM Strict(photo: social media)
Nal Jal Yojana MP: नल-जल योजना के कामों में गड़बड़ी को रोकने के लिए दो स्तर पर निगरानी होगी। कई विभागों को इसमें मिलकर काम करने होंगे। पहली निगरानी पीएचई विभाग करेगा लेकिन इसके लिए अफसरों को मैदान में उतरकर काम करना होगा। दूसरे एवं बड़े स्तर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का जिमा होगा, जो स्थानीय निकायों व ग्राम पंचायतों के जरिए निगरानी कराएगा। इसके बाद भी गड़बड़ी हुई तो दोनों ही विभाग के जिमेदार अफसर नपेंगे। मोहन सरकार इसके लिए ग्रामीण नलजल योजना संचालन-संधारण एवं प्रबंधन नीति लेकर ला रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादवके सामने पीएचई के प्रमुख सचिव पी नरहरि ने उक्त योजना के प्रस्ताव से जुड़ा प्रेजेंटेशन दिया। बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, पीएचई मंत्री संपत्तिया उइके भी मौजूद थीं।
मोहन सरकार नल-जल योजना (Nal Jal Yojana MP) में गड़बड़ी रोकने के लिए दोहरा निगरानी तंत्र विकसित करने जा रही है। इसमें प्रमुख अफसरों की जिमेदारियां पहले तय होंगी, कार्रवाई के दायरे में भी उन्हें ही पहले लिया जाएगा। इस रोडमैप में आम जन की सहभागिता वाले मापदंड को भी जमीन पर काम करने के लिए तैयार रहना होगा, जो निष्क्रिय होंगे, उन्हें समितियों से हटा दिया जाएगा। यही नहीं, गड़बड़ी रोकने के लिए ऑनलाइन माध्यमों व निगरानी तंत्रों का भी उपयोग होगा। उक्त नीति 3 वर्ष के लिए लागू होगी, परिणाम अच्छे होने पर उसे आगे बढ़ाया जाएगा।
नल जल योजना में बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आ चुकी हैं। कई निकायों में काम पूरे नहीं हुए और राशि निकाल ली गई तो कुछ निकायों में आर्थिक अनियमितता भारी रही। जब मामले को विपक्ष ने सड़क से लेकर सदन के अंदर तक उठाया, तब पीएचई मंत्री संपत्तिया उइके को जवाब में ठेकेदारों की मनमानी स्वीकारनी पड़ी थी। पूर्व में उन्होंने सदन में बताया था कि 288 ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया गया।
पीएचई (PHE) के प्रमुख सचिव पी नरहरि ने बताया, अगस्त 2019 तक 13 लाख 53 हजार परिवारों को ही नल से जल मिल रहा था। 78 लाख 64 हजार से अधिक परिवारों को मिल रहा। 1 करोड़ 11 लाख 69 हजार परिवारों को यह सुविधा देनी है। वर्ष 2027 तक यह लक्ष्य हासिल करेंगे। समूह नलजल की 147 इसी प्रकार कुल योजनाओं में से अब तक 52 पूरी कर ली हैं। इनके जरिए 4285 ग्रामों में जलापूर्ति हो रही है।
निकायों में कई ठेकेदार सड़कें खोदकर भाग गए थे, आम जनता को दो साल तक परेशान होना पड़ा। ये सड़के पाइपलाइनें बिछाने के नाम पर खोदी गईं, जिन्हें समय से ठीक करना था, लेकिन नहीं की। करीब 10 हजार किलोमीटर सड़कों के हिस्से को अलग-अलग जगहों पर खोदा गया। यह ठीक से काम नहीं होने का नतीजा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि काम टिकाऊ हो, बार-बार झंझट नहीं आनी चाहिए। निगरानी व रख-रखाव में आम जन को सहभागी बनाया जाए, क्योंकि सुविधा उन्हीं के लिए है। नीति को इस प्रकार तैयार किया करें कि हर घर को साफ पानी मिले, उक्त् योजना पर पेयजल के लिए निर्भर रहने वाले परिवारों को गर्मी के ऐन मौके पर परेशान न होना पड़े, यह सुनिश्चित किया जाए।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने सुझाव दिए कि उक्त योजना से संबंधित अन्य विभागों व एजेंसियों को भी जोड़ा जाए। जैसे कि कि उक्त योजना के संचालन में बिजली एक अहम हिस्सा है, इसलिए बिजली कंपनियों अर्थात ऊर्जा विभाग को शामिल करें। निर्माण विभागों की सहभागिता भी हो। यह लोगों की मूल जरुरत से जुड़ा काम है, इसमें किसी भी तरह की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
Published on:
22 Aug 2025 01:57 pm
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