
India's 75th Independence Day Celebrations: भोपाल के श्यामनारायण चौकसे की याचिका पर कोर्ट ने दिया था यह फैसला।
भोपाल। Independence Day 2021. बात राष्ट्रगान के सम्मान से जुड़ी थी। 90 वर्षीय एक बुजुर्ग ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। 16 साल बाद फैसला आया और आज हम इन्हीं की बदौलत सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होते है।
patrika.com आपको बता रहा है श्याम नारायण चौकसे के बारे में, जिनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था...।
रामनारायण चौकसे वहीं व्यक्ति हैं, जिन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। और अब हर फिल्म से पहले राष्ट्रगान होता है। 16 साल की लड़ाई के बाद यह संभव हो पाया है। टाकिज में हुए राष्ट्रगान के अपमान की बात चौकसे के दिल में घर कर गई और वे अदालत तक जा पहुंचे।
कभी खुशी कभी गम फिल्म देखने गए थे
चौकसे बताते हैं कि जब वे परिवार के साथ कभी खुशी कभी गम फिल्म टाकिज में देख रहे थे, तभी फिल्म में राष्ट्रगान होने लगा, तो चौकसे खड़े हो गए, तो दूसरों को ऐतराज होने लगा। लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। वे राष्ट्रगान का सम्मान कर रहे थे और लोगों को भी उसके सम्मान में खड़े होने के लिए कहते रहे, लेकिन कुछ लोगों ने उनकी बातों को तवज्जो नहीं दी।
चौकसे ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगा दी। कोर्ट ने भी याचिका को सही ठहराते हुए करण जौहर की कभी खुशी कभी गम फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी। लेकिन बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इसके बाद कोर्ट ने इस फैसले को बदल दिया और सभी फिल्मों से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया गया।
चौकसे कहते है कि राष्ट्रगान जैसी चीजों के लिए सम्मान लोगों को दिल में होना चाहिए, न की उन्हें जबरदस्ती करवाया जाना चाहिए। चौकसे ने राष्ट्रगान हर स्कूल में लागू कराने के लिए भी याचिका लगाई थी।
'जन गण मन' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवंबर 2016 को जो आदेश दिया वो श्यामनारायण चौकसे की याचिका पर था। भोपाल के शाहपुरा में रहने वाले 80 वर्षीय चौकसे ने अपनी याचिका में कहा था कि किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए राष्ट्र गान के चलन पर रोक लगाना चाहिए। मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रमों में इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। एक बार शुरू होने पर राष्ट्र गान अंत तक गाया जाना चाहिए। बीच में बंद नहीं होना चाहिए।
गांधीजी की समाधि को देख आहत हुए थे
चौकसे इससे पहले भी आहत हो चुके हैं जब उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (mahatma gandhi) की समाधि की दूर्दशा देखी थी। इसके बाद उन्होंने इसके रखरखाव और सम्मान के लिए भी याचिका लगाई थी।
Updated on:
15 Aug 2021 08:00 am
Published on:
14 Aug 2021 07:29 pm
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