
माधवराव सिंधिया की पुण्य तिथि पर विशेष...।
मध्यप्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में सिंधिया राजपरिवार अलग ही अहमियत रखता है। माधवराव सिंधिया सरदार वल्लभ भाई पटेल और प्रणव मुखर्जी जैसे बड़े नेताओं में शामिल थे जो अलग-अलग कारणों से देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। कुछ दशक पहले जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी और सत्ता में आने की तैयारी कर रही थी, ऐसे में गांधी परिवार के सबसे करीबी लोगों में शामिल माधव राव सिंधिया पहली पसंद होते, जिन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाया जाता। एक साक्षात्कार में जाने माने कांग्रेस नेता नटवर सिंह ने भी कहा था कि यदि माधव राव सिंधिया जीवित होते तो वह देश के अगले प्रधानमंत्री होते।
patrika.com पर पॉलिटिकल किस्सों की श्रंखला में आज पेश है माधव राव सिंधिया से जुड़े वो किस्से, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता...।
कांग्रेस के दिग्गज नेता नटवर सिंह भी इस बात से इत्तेफाक रखते थे कि माधव राव सिंधिया ऐसे शख्स थे कि वे देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे। एक साक्षात्कार में नटवर सिंह ने कहा था कि यदि माधवराव जीवित होते तो वे अगले प्रधानमंत्री होते। नटवर ने कहा था कि यूपीए सरकार में डॉ. मनमोहन सिंह के स्थान पर वे सोनिया गांधी की पहली पसंद होते।
सिर्फ माधवराव बोलते थे 'सोनिया'
कांग्रेस में एक आम राय थी कि मनमोहन सिंह कम बोलते हैं और माधवराव उनसे ज्यादा लोकप्रिय भी हैं। माधव की लोकप्रियता ऐसी थी कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी के जितने भी चुनाव हुए उनमें वे काफी अंतर से जीतते रहे। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस के नेताओं में वे ऐसे इकलौते नेता थे जो सोनिया गांधी को सोनिया कहकर बुलाते थे। हालांकि औपचारिक पार्टी मीटिंग में वे 'सोनियाजी' कहते थे। सोनिया भी उन्हें माधव कहकर बुलाती थीं। कई बार सोनिया माधवराव को चाय या कॉफी के बुलाती रहती थीं। जब सोनिया भारत आई थीं और 1968 में राजीव गांधी से विवाह हुआ था, तब से माधव राव सिंधिया सोनिया से परिचित थे। क्योंकि माधवराव और राजीव गांधी की काफी मित्रता थी।
भरोसेमंद की तलाश थी
राजनीति के किस्सों में यह भी बताया जाता है कि सोनिया को किसी भरोसेमंद शख्स की तलाश थी। 1999 के दौर में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी चाहती थी और देश के मिडिकल क्लास के दिलों में भी माधव राव सिंधिया की छवि बन चुकी थी। क्योंकि माधव राव सिंधिया रेल मंत्रालय, सिविल एविएशन और माव संसाधन मंत्री थे।
राजीव की हत्या के बाद आगे बढ़ा नाम
राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को हो गई थी। इसके बाद गांधी परिवार के करीबी माधवराव का नाम चर्चाओं में आया था। लोगों का मानना था कि वे राजीव के विजन और विरासत को आगे बढ़ा सकते हैं। माधव राव के साथ ही राजेश पायलट का भी नाम चला था। हालांकि समीकरण बदल गए और नरसिंहाराव प्रधानमंत्री बन गए। नरसिंहराव कैबिनेट में माधवराव को सिविल एविशन मिनिस्टर बनाया गया। एक साल के अंदर ही एक प्लेन दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए माधवराव ने इस्तीफा दे दिया था।
जनता के महाराज
राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई अपनी किताब द हाउस आफ सिंधियाज में लिखते हैं कि माधव की लोकप्रियता ऐसी थी कि शास्त्री भवन में उनके पर्सनल स्टाफ के पास देशभर से लगातार लेटर और परफ्यूम, फूल जैसे गिफ्ट आते रहते थे। सब पर एक नाम जरूर होता था 'जनता के महाराज'
जनसंघ से शुरू हुई राजनीति
माता पिता की चार संतान में माधव राव तीसरी संतान थे। 25 साल की उम्र में अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद 101 रुपए की रसीद काटकर माधव को सदस्य बनाया था। 26 साल की उम्र में माधवराव सांसद भी चुने गए। उस समय माधवराव की मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी जनसंघ में थीं। लेकिन, 1977 में इमरजेंसी के बाद जनसंघ और अपनी मां विजयराजे सिंधिया से अलग हो गए। और पहली बार 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर केंद्र में मंत्री बन गए।
अब पिता की कुर्सी संभाल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया
आज माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की कुर्सी संभाल रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस सिविल एविएशन मिनिस्टर का पद संभाल रहे हैं, इसी पद पर कभी उनके पिता माधव बैठा करते थे। यह वही मंत्रालय है जब एक प्लेन दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए माधव राव ने इस्तीफा दे दिया था। माधव राव तब कांग्रेस सरकार में थे और उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ अब भाजपा में सिविल एविएशन मंत्रालय संभाल रहे हैं। 30 सितंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में प्लैन क्रैश में इस करिश्माई नेता का निधन हो गया था।
Updated on:
30 Sept 2023 11:24 am
Published on:
30 Sept 2023 11:11 am
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