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JNU ISSUE: कोई बोला कन्हैया सही, किसी देशद्रोही बताया

जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया ने जेल से बाहर आने के जिस तरह सशक्त ढंग से आवाज उठाई, उससे विद्याथी तो प्रभावित हुए ही, छात्र संगठन भी इसके असर से नहीं बच पाए हैं।

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Arvind Khare

Mar 08, 2016

भोपाल। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र नेता कन्हैया ने जेल से बाहर आने के जिस तरह सशक्त ढंग से आवाज उठाई, उससे विद्याथी तो प्रभावित हुए ही, छात्र संगठन भी इसके असर से नहीं बच पाए हैं। हालांकि उनके बयानों पर पार्टी विचारधारा का असर झलकता है।

यही वजह है कि एबीवीपी कन्हैया का विरोध कर रही है तो एनएसयूआई और वाम संगठन समर्थन जता रहे हैं। हालांकि इस बात को दोनों संगठन स्वीकार कर रहे हैं कि इस मामले से देशभर में छात्र राजनीति चर्चा का विषय बनी हुई है। वाम विचारधारा के संगठन यहां के विश्वविद्यालयों में छात्रों के अधिकार को लेकर मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं।
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एबीवीपी कार्यकर्ता इसे छात्र विरोधी बता रहे हैं तो एनएसयूआई के कार्यकर्ता कन्हैया की आवाज को समर्थन दे रहे हैं। वाम समर्थित छात्र संगठनों की बात करें तो उनका कहना है कि जेएनयू की छवि खराब की गई है। खास बात यह है कि वे इस मामले को वह यहां के विश्वविद्यालयों से जोड़कर भी देख रहे हैं, उनका कहना है कि यहां के विवि में छात्र राजनीति पर पाबंदी लगा रखी है। यहां का छात्र डरा सहमा हुआ है, वह अपनी आवाज नहीं उठा पाता।

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कन्हैया के कृत्य से छात्र राजनीति की चर्चा शुरू हुई है। लेकिन इससे छात्रों का ही नुकसान है। देश के खिलाफ जो भी आवाज उठाएगा, एबीवीपी उसका कड़ा विरोध करेगी। इस मामले से देश की छवि पर असर हुआ है। किसी भी छात्र संगठन को यह अधिकार नहीं है कि वह राष्ट्रविरोधी हरकत कर राजनीति करे।
हर्ष चंदेल, नगर महामंत्री एबीवीपी


राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का एनएसयूआई हमेशा से विरोध करती आई है। लेकिन, जेएनयू मामले में राष्ट्रद्रोह की पुष्टि नहीं हुई है। कन्हैया किसी छात्र संगठन से हो, इससे कोई लेना-देना नहीं है। उसने जिन बातों को लेकर आवाज उठाई है, वह तर्कसंगत है। इसलिए एनएसयूआई इस छात्र के साथ है।
- विवेक त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता एनएसयूआई


कन्हैया में देश के हर एक छात्र की आवाज छिपी हुई है। छात्रों का राजनीति में दखल होना ही चाहिए। जेएनयू में सभी संगठनों से जुडे छात्र अपने विचार साझा करते हैं। इसलिए जेएनयू को बर्बाद करने का प्रोपेगेंडा रचा गया है। हमारे प्रदेश के विवि में न तो देश की स्थिति को लेकर चर्चा होती है और न ही छात्रों को बोलने दिया जाता है। इसमें सुधार लाने के लिए हम रणनीति तैयार कर हैं।
- आशीष स्ट्रगल, स्टेट सेक्रेटरी ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन


कन्हैया पॉलिटिक्स नहीं कर रहा था। उसे जबरन पॉलिटिक्स में धकेला गया है। उसे साजिश के तहत देशद्रोह के मामले में फंसाया गया है। ताकि, पूरे देश के सामने जेएनयू की छवि खराब की जा सके। मप्र के विवि की बात करें तो यहां छात्र राजनीति को चौपट करके रख दिया है। छात्रों के सामने कन्हैया ने जो मिसाल पेश की है, उससे सबक लेकर यहां के छात्रों को एकजुट होगा।
- कुलदीप सिंह पिप्पल, स्टेट सेक्रेटरी स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया

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