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क्या लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले कर सकते हैं करवा चौथ ?

जीवनसाथी की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और कामयाबी की दुआ मांगने वाले व्रत को कौन-कौन रख सकता है......

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Karva Chauth

भोपाल। हिंदू धर्म में अनेक ऐसे त्योहार आते हैं जो हमें रिश्तों की गहराइयों तथा उसके अर्थ से परिचित करवाते हैं। करवा चौथ भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। ये बात हर किसी को पता है कि करवाचौथ का व्रत रखकर हर पत्नी अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए वह अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और कामयाबी की दुआ मांगती है लेकिन वक्त बदलने के साथ त्योहार भी हाइटेक हो रहे हैं। अब करवाचौथ का व्रत सिर्फ पत्नी तक ही सीमित नहीं रह गया है। आज की नौजवान पीढ़ी में एक गर्लफ्रेंड अपने ब्वॉयफ्रेंड के लिए भी करवाचौथ का व्रत रख सकती है या रखती हैं।

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लिव -इन रिलेशनशिप में रहने वाले कई जोड़े एक- दूसरे की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखते हैं। आपको बता दें कि लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर अब भी कई लोगों में काफी कन्फ्यूजन है जबकि सुप्रीम कोर्ट अब इसे वैलिड कर चुका है। हालांकि अभी तक इसका कोई कानून नहीं बना है। फिर भी कुछ बातें क्लियर हो चुकी हैं। जो लिव-इन में रहते हुए एक कपल को मिलती हैं तो जब दिल से आप किसी रिश्ते को कबूल कर चुके हैं तो उसकी लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखना कोई गलत काम नहीं है।

शहर के ज्योतिषाचार्य पंडित जगदीश शर्मा बताते है कि इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर आप करवाचौथ का व्रत किसी के लिए भी रख रही है तो इससे करवामाता का आशीर्वाद ही मिलेगा, कोई नुकसान नहीं होगा। उन्हें मन का उत्तम वर ही मिलेगा। अब जिस तरह से सुहागन महिला और कुवारी कन्या के बीच करवा चौथ करने के उद्देश्य में अंतर है, ठीक इसी प्रकार से इस करवा चौथ के नियमों में भी कुछ फर्क पाया जाता है। जानिए कुंवारी कन्याएं कैसे करें इस व्रत की पूजा....

- सुहागन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों ही इस दिन निर्जला व्रत रखती है लेकिन सुहागनों को सुबह की सरगी सास द्वारा दी जाती है। कुंवारी कन्याएं स्वयं ही सरगी खरीदकर सूर्य उदय से पहले उसका सेवन करती हैं।

- शाम को पूजा के समय सुहागनें अपनी थाली सजाकर व्रत के रिवाजों को पूरा करती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं केवल गणेश या शिव भगवान की पूजा करती हैं।

- सुहागनों और कुंवारी कन्याओं के व्रत तोड़ने का तरीका थोड़ा अलग होता है। सुहागनें चांद देखकर व्रत पूरा करती हैं लेकिन कुंवारी कन्याओं को चांद की बजाय तारे देखकर अपना व्रत खोलना होता है।

- सुहागनें छलनी से चांद को देखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं बिना छलनी से ही तारों को देखती हैं।

- ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में चांद को पति का रूप माना जाता है इसलिए कुंवारी कन्याएं चांद देखकर व्रत नहीं खोलती हैं।

- ये कन्याएं व्रत खोलने के लिए तारे देखती हैं और उसके बाद स्वयं अपने ही हाथों से कुछ मीठा खाकर व्रत को खोलती हैं।