20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एक एक गोली का रखना पड़ता हिसाब, खाली खोखे भी जरूरी, जानिए बंदूक रखने के नियम

Know the rules of keeping a gun in MP

2 min read
Google source verification
gun.png

भोपाल. एमपी के मुरैना में शुक्रवार नरसंहार में 6 लोगों की मौत हो गई। यहां खुलेआम बंदूकें लहराई गईं और लाशें बिछाई गईं। हालांकि देश में बंदूक रखना इतना आसान नहीं है, इसके लिए लाइसेंस हासिल करना बहुत कठिन काम है। हम आपको शस्त्र लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया बताते हैं।

किन्हें मिल सकता है लाइसेंस
आर्म्स एक्ट, 1959 के तहत कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति अपनी आत्मरक्षा के लिए हथियार खरीदने या रखने के लिए जिला प्रशासन से लाइसेंस बनवा सकता है। लाइसेंस के लिए सबसे बड़ी शर्त ही ये है कि आपको हथियार रखने की आवश्यकता का कारण बताना होता है। इसके लिए 21 साल की उम्र होना जरूरी है। लाइसेंस लेने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी जरूरी है।

इनका लाइसेंस नहीं बनेगा
किसी पर कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है तब शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जाता है। इसके अलावा 38 बोर, 9 एमएम, 303 जैसे प्रोहिबिटेड हथियारों का लाइसेंस भी नहीं दिया जाता। इसीलिए लाइसेंस का आवेदन करते समय बताना होता है कि पिस्तौल, रिवॉल्वर या फिर राइफल, बड़ी बंदूक आदि में से कौन सा हथियार अपने लाइसेंस पर लेना चाहते हैं।

जिलाधिकारी जारी करते हैं शस्त्र लाइसेंस
जिलाधिकारी यानि डीएम, कमिश्नर शस्त्र लाइसेंस जारी करते हैं। लाइसेंस के लिए तय फॉर्मेट में आवेदन करना होता है। लाइसेंस लेने के लिए जिलाधिकारी या फिर कमिश्नर के दफ्तर में शस्त्र लाइसेंस विभाग में आवेदन जमा करना होता है। इस फॉर्म की एक कॉपी एसपी ऑफिस भेजी जाती है। वहां से एक कॉपी आवेदन के निवास से संबंधित थाने को भेजते हैं जहां से उसका पूरा रिकार्ड जांचा जाता है। जरूरत पड़ने पर इंटेलीजेंस विभाग भी जांच करता है। खास बात यह है शस्त्र लाइसेंस जारी करना पूरी तरह जिलाधिकारी के विवेक पर रहता है।

जरूरी दस्तावेज
पहचान के लिए जरूरी प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र (आप पर कोई गंभीर क्रिमिनल केस ना हो, एड्रेस प्रूफ, मेडिकल सर्टिफिकेट, ITR आदि दस्तावेज जरूरी हैं।

एक एक गोली का भी रखना होता है हिसाब
लाइसेंस मिलने के बाद आप हथियार खरीद सकते हैं। हथियार का डिटेल्स पुलिस थाने में भी रखा जाता है। एक साल के दौरान तय संख्या में गोलियां दी जाती हैं जिनका रिकॉर्ड रखना होता है, इसके लिए गोली का खोखा रखना जरूरी है। रौब जमाने या फिर दहशत पैदा करने के लिए फायरिंग करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। जेल भी जाना पड़ सकता है। नियम-शर्तों का पालन नहीं करने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है।

5 साल में रिन्युअल
शस्त्र लाइसेंस 5 साल के लिए मिलता है। वैलिडिटी खत्म होने के बाद लाइसेंस को फिर से रिन्यू कराना होता है। इसके लिए फिर से लाइसेंस फीस जमा करनी होती है।

ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में सबसे ज्यादा बंदूके
मुरैना में जिस परिवार में यह हत्याकांड हुआ उसमें पहले भी हत्या हुई थी।इसके बाद में परिवार में बंदूकें कैसे थी, इसका जवाब अभी तक नहीं मिला है। प्रदेश में सबसे ज्यादा बंदूकें ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में ही हैं। पहले दस्यु प्रभावित क्षेत्र होने के कारण लोग घरों में हथियार रखते थे। अब रौब दिखाने के लिए बंदूकें रखी जा रही हैं।

ग्वालियर में शस्त्र लाइसेंस
2023 में अब तक जारी लाइसेंस 380
2022 में जारी लाइसेंस 1117
2021 में जारी लाइसेंस 902
2020 में जारी लाइसेंस 791
2017 में जारी लाइसेंस 412
जिले में अब तक कुल जारी लाइसेंस 34934