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1 हजार में बन रहा डिजिटल सिग्नेचर, ATM पिन की तरह होता है पासवर्ड,आप भी बनवा सकते हैं, जानिए कैसे

-हर महीने 1500 लोग बनवा रहे डिजिटल हस्ताक्ष -डिजिटल सिग्नेचर की बढ़ी मांग, दस गुना कारोबार बढ़ने की उम्मीद-शहर में 40 हजार से अधिक के पास डिजिटल सिग्नेचर, इसमें 50 फीसदी युवा

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Digital Signature Certificate

भोपाल। हर लेनदेन और पंजीयन में आपका प्रतिनिधित्व करने वाला हस्ताक्षर अब डिजिटल फॉर्मेट में शहरवासियों को काफी भा रहा है। यह आज की जरूरत भी बन गया है। आपको हैरानी होगी कि इस समय शहर में 40 हजार से अधिक लोग अपने हस्ताक्षर को डिजिटल स्वरूप दे चुके हैं। इसमें 50 फीसदी युवा हैं। ये हस्ताक्षर टेंडरिंग से लेकर बैंकिंग, नई फर्म पंजीकृत कराने, इंकम टैक्स से जुड़े मामलों से लेकर ऑनलाइन फार्म भरने, बिल जमा करने, ऑनलाइन इनवॉयज से कंपनी में नौकरी की शर्तों और लेनदेन में काम आता है।

क्या है डिजिटल सिग्नेचर

डिजिटल सिग्नेचर एक ऐसी टैक्नीक है जिससे हम किसी भी की दस्तावेज की सच्चाई जान सकते हैं। इसके हम ये पता लगा सकते हैं की वह डॉक्यूमेंट्स कितना ऑथेंटिक है। डिजिटल सिग्नेचर को कुछ इस प्रकार बनाया गया है जिससे की यदि किसी तरह की छेड़छाड किया गया हो तब उसे आसानी से पहचान जा सकता है।

एटीएम पिन की तरह होता है पासवर्ड

डिजिटल सिग्रेचर के काम से जुड़े राजेंद्र सोनारे का कहना है कि डिजिटल सिग्नेचर के लिए व्यक्ति से संबंधित सभी दस्तावेज लिए जाते हैं। ओटीपी के माध्यम से और वीडियो के माध्यम से वेरिफिकेशन होता है। इसके बाद पेन ड्राइव में डिजिटल सिग्नेचर दिया जाता है। बैंक एटीएम जिस तरह एटीएम कार्ड से रुपए की निकासी सुरक्षित बनाता है, उसी तरह उसका पासवर्ड भी सिग्नेचर के गलत उपयोग से बचा रहा है।

7 कंपनियां देशभर में हैं अधिकृत

भा रत सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसके लिए कंट्रोलर ऑफ सर्टिफाइंग अथॉरिटी का गठन किया हुआ है। इसने डिजिटल करने के लिए देशभर में सात कंपनियों को अधिकृत किया है। ये कंपनी पेंटासाइन सीए, सेफस्क्रीप्ट, ई-मुद्रा, केप्रीकॉम, वेरासेस, कोड सोल्यूशन, आईडी साइट सीए हैं। इन्हीं के माध्यम से आपका हस्ताक्षर फुल प्रूफ तरीके से काम शुरू कर देता है।

1000 में बन रहा डिजिटल सिग्नेचर

शहरवासी अब तेजी से अपने हस्ताक्षर को डिजिटल करवा रहे हैं। औसत 1000 रुपए में ये सिग्नेचर बन रहा है। टेंडरिंग प्रक्रिया में भाग लेने से लेकर इंकम टैक्स, जीएसटी के साथ ही प्रायवेट कंपनियां रजिस्टर्ड कराने और ऑनलाइन एजुुकेशन, फार्म, बैंकिंग में इसे अनिवार्य किया जा रहा है। भोपाल में फिलहाल रोजाना 50 से अधिक लोग अपने सिग्नेचर को डिजिटल करवा रहे हैं। माह में ये आंकड़ा 1500 से अधिक है। इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि आने वाले एक साल में दस गुना तक कारोबार बढ़ेगा।

कौन जारी करता है यह सर्टिफिकेट

डिजिटल सिग्‍नेचर सर्टिफिकेट को एक लाइसेंस प्राप्‍त ऑथोरिटी की ओर से जारी किया जा सकता है। ऑथोरिटी की पूरी जानकारी और लिस्‍ट MCA पोर्टल पर उपलब्‍ध है, जिसे mca.gov.in/MinistryV2/certifyingauthorities.html पर जाकर देखा जा सकता है।