scriptफिर शहर में घुसा तेंदुआ, अक्सर सड़कों पर आ जाते हैं खूंखार टाइगर | Leopard enters the city of lake | Patrika News

फिर शहर में घुसा तेंदुआ, अक्सर सड़कों पर आ जाते हैं खूंखार टाइगर

locationभोपालPublished: Nov 07, 2019 06:45:09 pm

Submitted by:

Manish Gite

Wild Life- भोपाल शहर में कई बार प्रवेश कर चुके हैं बाघ और टाइगर…।

02_5.png


भोपाल। चारों तरफ जंगल और पहाड़ों से घिरा भोपाल में एक बार फिर तेंदुए की दहशत है। ताजा मामला गुरुवार को सामने आया जब लालघाटी स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस पर तेंदुए के पगमार्क मिले। इसके बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया। यह पहला मौका नहीं है जब तेंदुआ, टाइगर या भालू भोपाल शहर में प्रवेश कर गए हों। गौरतलब है कि पिछलों कुछ सालों में भोपाल के नवीबाग, एयरपोर्ट की हवाई पट्टी, केरवा, कोलार रोड, कलियासोत डैम समेत रातापानी से लगे जंगल क्षेत्र में अक्सर बाघ और तेंदुए का मूवमेंट होता रहा है।

 

भोपाल के घनी आबादी वाले क्षेत्र लालघाटी पर तेंदुए की दहशत है। बुधवार देर रात को यह तेंदुआ एयरपोर्ट क्षेत्र की तरफ से होते हुए लालघाटी स्थित वीआईपी गेस्ट हाउस तक पहुंच गया। यहां कई स्थानों पर उसके पग मार्क देखने को मिले हैं।

शहर में कई बार घुस आते हैं वन्य जीव
-करोंद स्थित पीपुल्स मॉल के पास नवी बाग, लांबाखेड़ा में भी एक भालू के आ जाने से दहशत फैल गई थी।
– तीन वर्ष पूर्व 30 अक्टूबर 2015 को नवीबाग क्षेत्र में खतरनाक बाघ आ गया था। जिसे कड़ी मशक्कत के बाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल इंस्टिट्यूट से सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व और वन विभाग टीम ने इंजेक्शन दे कर पकड़ा था। जो रायसेन के जंगलों से आना बताया गया था। माना जा रहा है कि यह भालू भी वहीं से आया होगा।
-25 अगस्त 2016 की रात बाघ टी-1 कलियासोत डैम के पास घूमता दिखाई दिया था।
-कुछ माह पहले एक तेंदुआ केरवा डैम की तरफ से कलियासोत होते हुए शाहपुरा पहाड़ी पर पहुंच गया, जहां से रहवासी क्षेत्र ई-8 अरेरा कालोनी तक पहुंच गया था। उसने दो दिनों तक बसंत कुंज स्थित एक ही मकान में दो दिनों तक लगातार मुआयना किया था। इसके बाद वन विभाग को आसपास पिंजरे लगाने पड़े थे।

 

 

बाघों को लाइव देखने उमड़ पड़ते हैं टूरिस्ट
भोपाल में अक्सर ऐसा होता है जब केरवा, कलियासोत इलाकों में पर्यटकों की भीड़ होती है, इस बीच कई बार बाघ उन्हें दिख चुका है। कई वीडियो भी वायरल हुए। पर्यटकों को भी खबर लगती है तो वे बाघों को देखने उमड़ पड़ते हैं। क्योंकि भोपाल का कलियासोत और केरवा डैम, समसगढ़ इलाका रातापानी सेंचुरी से लगा हुआ है। रातापानी सेंचुरी में 42 से अधिक बाघ बताए जाते हैं, जिनमें से 7 बाघों का मूवमेंट भोपाल के इस छोटे से जंगल में है। करीब तीन से चार बाघों ने इन इलाकों को अपना क्षेत्र बना लिया है। हालांकि अब तक इन बाघों ने कभी किसी इन्सान पर हमला नहीं किया है।

 

शहर का पूरा इलाका था बाघों से घिरा
मध्यप्रदेश के वन विभाग के पास 1960 का भोपाल का नक्शा मौजूद है, जिसमें दिखाया गया है कि भोपाल में कहां-कहां बाघों का ठिकाना था। नक्शे के मुताबिक पुराना भोपाल छोड़ दें तो नए भोपाल का लगभग पूरा इलाका बाघों का था, पर आज इन इलाकों में कंक्रीट की इमारतें खड़ी हैं। 1960 तक भोपाल का केरवा, कलियासोत क्षेत्र बाघों से भरा हुआ था। 1980 के दशक तक इन जंगली इलाकों में जब रसूखदारों ने दस्तक दी तो बाघों के आशियाने उजड़ गए। मध्यप्रदेश को हाल ही में टाइगर स्टेट का दर्जा भी मिला है।

 

ट्रेंडिंग वीडियो