लाड़ली बहना
इन दौरों में खास यह भी है कि शिवराज लाड़ली बहनों को धन्यवाद दे रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल अन्य नेताओं ने अलग ही रुख अपनाया है। शुरुआत कैलाश विजयवर्गीय से हुई। उन्होंने बयान दिया, ‘लाड़ली बहना योजना नहीं थी, फिर भी राजस्थान और छत्तीसगढ़ जीते।’ इसके बाद प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा ने भी भाजपा की जनकल्याणकारी योजनाओं को श्रेय देना शुरू किया। वहीं, शिवराज कह चुके हैं, ‘लाड़ली बहना ने सारे कांटे निकाल दिए।’
‘कमल के 29 फूलों की माला बनाना है’
छिंदवाड़ा में शिवराज ने कहा, ‘लोकसभा की हर सीट को एक कमल का फूल मानें तो प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के 29 कमल हुए। अगले चुनाव में हमें 29 सीटों को जीतना है।’ वे जोड़ते हैं, ‘मेरा एक ही लक्ष्य…कमल के 29 फूलों की माला मोदीजी के गले में पहनाना।’ उन्होंने इसे ‘मिशन-29’ नाम दिया है।
कहां क्यों जा रहे
7 दिसंबर: श्योपुर
ग्वालियर-चंबल के इस जिले की दो विधानसभा सीटें श्योपुर-विजयपुर कांग्रेस ने जीतीं। 2018 में श्योपुर भाजपा जीती थी। यहीं कूनो नेशनल पार्क में इकलौता चीता प्रोजेक्ट है। मोदी ने जन्मदिन पर यहीं चीते छोड़े थे।
6 दिसंबर: छिंदवाड़ा
छिंदवाड़ा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का गढ़ है। इस बार जिले की सातों सीटें कांग्रेस ने जीतीं। लोकसभा सीट से नाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। यह इकलौती सीट है जो 2019 में मोदी लहर में भी भाजपा हारी।
8 दिसंबर: राघौगढ़
गुना जिले की राघौगढ़ सीट पर शुक्रवार को शिवराज पहुंचे। इस सीट पर पांच दशक से कांग्रेेस का कब्जा है। पहले यहां से दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ते रहे और अब बेटे जयवर्धन।
अब जाएंगे ‘हरदा’
संभवत: शिवराज शनिवार को हरदा जाएंगे। इस जिले की दोनों सीटें कांग्रेस ने जीतीं। इस बार तीन ही जिले हैं जहां सारी सीटें कांग्रेस ने जीतीं। इनमें हरदा के अलावा श्योपुर व छिंदवाड़ा है।