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नर्मदा जल को लेकर मध्यप्रदेश-गुजरात में बढ़ी रार….

नर्मदा जल को लेकर मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार के बीच रार बढ़ गई है। हालात यह है कि मध्यप्रदेश के कहने के बावजूद गुजरात सरकार सरदार सरोवर से पानी नहीं छोड़ रही है, इससे मध्यप्रदेश में धार जिले के ७३ गांव डूब में आ गए हैं। इधर, राज्यों में नर्मदा जल के विवाद को सुलझाने के लिए बनाए गए नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी भी गुजरात सरकार के पक्ष में खड़ी है। भारी बारिश से प्रदेश के हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 6 दिन में दूसरी बार केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को चार पेज का पत्र लिखा है

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narmada river

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उन्होंने इस विवाद को सुलझाने के लिए तत्काल प्रभाव से नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी की बैठक तत्काल बुलाने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने पत्र में एनसीए पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह गुजरात का पक्ष कर रही है, जिससे मध्यप्रदेश के हित प्रभावित हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट जाएगी मध्यप्रदेश सरकार
जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव गोपाल रेडडी ने बताया कि मुख्यमंत्री के पत्र पर यदि केन्द्र सरकार जल्द ही कार्रवाई नहीं करती है तो मजबूरन हमें एनसीए और गुजरात सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना होगा। उन्होंने बताया कि गुजरात सरकार एनसीए के नाम पर सरदार सरोवर को उसकी पूरी क्षमता 138.68 मीटर तक भरने की जिद पर अड़ा हुआ है। इससे मध्यप्रदेश के कई गांव खतरे में आ गए हैं। 9 सितंबर तक सरदार सरोवर को 136.5 मीटर भरा जा चुका है। जिससे 73 गांव आए डूब में आ गए हैं। मध्यप्रदेश अब तक डूब क्षेत्र से 4600 लोगों को विस्थापित कर चुकी है, लेकिन अभी भी 2000 परिवार वहां फंसे हुए हैं, उनके विस्थापन की कार्यवाही चल रही है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में एनसीए पर लगाए ये आरोप

- नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी जिस काम के लिए गठित की गई थी। वह उसे पूरा करने में असफल साबित हो रही है। इससे मध्यप्रदेश के हित प्रभावित हो रहे हैं।
- सरदार सरोवर में बने नदी तल विद्युत गृह में मध्यप्रदेश अपने हिस्से के पानी से बिजली बनाता है, लेकिन गुजरात के पानी नहीं छोडऩे से बिजली का उत्पादन नहीं हो पाया। मुख्य सचिव ने 27 मई 2019 को एनसीए को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने को कहा, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने 12 जून 19 को भी स्मरण पत्र लिखकर कहा कि भविष्य में कानूनी उलझन से बचने के लिए जून के अंत तक मामले का निपटारा करवा दें, इसके बावजूद ध्यान नहीं दिया।

- नर्मदा जल विवाद न्यायधिकरण व्दारा पारित अवार्ड का गुजरात सरकार लगातार उल्लंघन कर रही है, इसके बावजूद एनसीए इसे अनदेखा कर रहा है।
- नर्मदा जल विवाद अधिकरण के मना करने के बावजूद सरदार सरोवर के डाउन स्ट्रीम में गुजरात सरकार ने गर्देश्वर वियर प्रोजेक्ट बना लिया। इससे मध्यप्रदेश को नुकसान हो रहा है।
- एनसीए ने 15 अप्रैल 2019 को मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से सहमति लिए बगैर एक तरफा गुजरात को सरदार सरोवर को उसकी क्षमता तक भरने की अनुमति दे दी। इस मामले में मध्यप्रदेश ने विरोध भी दर्ज कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई।

- मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र ने वर्ष 2017 में एनसीए की बैठक में गुजरात सरकार को इस बात पर सहमति दी थी कि वह सिंचाई के लिए अपने हिस्से के पानी का उपयोग बाय पास टनल से कर सकता है, लेकिन इसके लिए उसे मध्यप्रदेश को बिजली न बनने से होने वाले नुकसान की भरपाइ करनी होगी। और 2018-19 में ज्यादा उपयोग किए गए पानी का समायोजन करना होगा। लेकिन गुजरात अपने वायदे से मुकर गया। एनसीए भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है।
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वर्जन --
महीनों से हमारी सरकार केन्द्र और गुजरात सरकार से पत्र व्यवहार कर रही है, लेकिन इस मुद्दे को गुजरात सरकार मानवीय आधार पर नहीं देख रही है. बार बार आग्रह के बावजूद गुजरात सरकार सरदार सरोवर डैम से पानी नहीं छोड़ रही है. मध्य प्रदेश के हिस्से 57 फीसदी बिजली भी दो साल से एमपी को नहीं दी जा रही है।
सुरेन्द्र सिंह बघेल, मंत्री नर्मदा विकास विभाग
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सरदार सरोवर डैम 136.3 मीटर तक भर चुका है,जिससे मध्य प्रदेश के 178 गांव डूबने की कगार पर पहुंच गए है। इनमें रह रहे 25 से 30 हजार लोगों के बेघर होने का खतरा बढ़ गया है। ये अमानवीय है। मध्य प्रदेश सरकार भी विस्थापितों की लड़ाई ठीक से नहीं लड़ रही है। जबकि पुनर्वास का पूरा खर्च गुजरात सरकार को देना है।