एक किस्सा: जब सीएम के नाम की घोषणा होते ही किसी ने नहीं बजाई ताली, इंदिरा की पहली पसंद था ये मुख्यमंत्री
मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव का प्रचार चल रहा है, इस बीच प्रस्तुत है राजनीतिक किस्सों की यह श्रृंखला...।

भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव ( mp by election ) होने वाले हैं। यह देश का अब तक का सबसे बड़ा उपचुनाव माना जा रहा है। राजनीतिक दल चुनाव-प्रचार में व्यस्त हो गए हैं। चुनावी मौसम में राजनीतिक गलियारों में राजनेताओं के किस्सों की भी कमी नहीं हैं।
patrika.com ऐसा ही एक मजेदार किस्सा आपको बता रहा है.. जो आज भी चर्चित है...।
यह किस्सा ऐसे नेता का है जिन्हें खुद इंदिरा गांधी ( indira gandhi ) ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। कई नेता अपने नाम मुख्यमंत्री ( cm ) के लिए घोषित होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन, किसी ने नहीं सोचा था कि अचानक इंदिरा गांधी ने जिस शख्स का नाम लिया, उससे सभी हैरान रह गए। यह नाम था प्रकाश चंद्र सेठी का। इंदिरा गांधी के मुंह से यह घोषणा सुन एक भी विधायक ने खुशी जाहिर नहीं की, यहां तक कि तालियां भी नहीं बजाई गईं। लेकिन, प्रकाशचंद्र सेठी मुख्यमंत्री ( chief minister prakash chand sethi ) बन गए।

उज्जैन में थे, तभी खुलने लगी थी किस्मत
बात उस दौर की है जब सेठीजी का शुरुआती दौर था। नगर पालिका अध्यक्ष से करियर शुरू ही हुआ था। राज्यसभा सांसद त्रियंबक दामोदर पुस्तके का निधन हो गया था। तब उपचुनाव में प्रत्याशी की तलाश हुई। विंध्यप्रदेश के कद्दावर नेता अवधेश प्रताप सिंह का दौर था। किसी नेता को राज्यसभा भेजना था। उस दौर में कांग्रेस एक नेता को दो बार राज्यसभा नहीं भेजती थी। इसलिए अवधेश प्रताप सिंह का नाम कट गया और किस्मत खुली सेठीजी की। सेठी जी दिल्ली क्या गए, नेहरू सरकार में उपमंत्री भी बन गए। सेठीजी बड़े नेताओं के करीब होते गए चाहे शास्त्री हो या इंदिरा, सेठीजी हर पीएम के खास रहे।

डकैतों पर करना चाहते थे बम बारिश
पीसी सेठीजी के कार्यकाल के दौरान मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड वाले इलाकों में उस समय डाकुओं का आतंक था। सेठीजी डकैत समस्या का हल करने के प्रयासों में लगे रहते थे। लेकिन वे इसे गांधीवादी तरीके से नहीं चाहते थे। गृह विभाग के बड़े अधिकारियों से जब उनकी मीटिंग हुई तो उनकी एक लाइन के प्रस्ताव से वहां सन्नाटा पसर गया। सेठी ने कहा- डकैतों के छिपने के इलाकों में (बीहड़ में) भारतीय वायुसेना बम गिरा दे, टंटा ही खत्म हो जाएगा। नगरीय इलाकों में वायुसेना की तरफ से बम बारिश का ऐसा प्रस्ताव सुन अधिकारी सन्न रह गए थे। लेकिन, पीसी सेठी नहीं माने। दिल्ली के नॉर्थ ब्लाक से साउथ ब्लॉक पहुंचे और रक्षामंत्री जगजीवन राम के दफ्तर पहुंच गए। बाबूजी को कुछ कहा और मुस्कुराते हुए परमिशन ही ले आए। दूसरे ही दिन एयरफोर्स के हेड आफिस में आपरेशन की तैयारी शुरू हो गई। सेठीजी भी भोपाल पहुंच गए। लेकिन कुछ दिन पहले समाचार पत्रों में इसकी खबर लीक हो गई, डकैतों तक खबरें पहुंच गईं। उनमें से आधे डकैत को घबराकर सरेंडर के लिए बातचीत करने लगे। बाकी आधे डकैत तो भागने की तैयारी करने लगे। सरकारी रिकार्ड बताते हैं कि उस दौर में 450 डकैत मुख्यधारा में लौट आए। जानकार बताते हैं कि बम बारिश की खबर सेठीजी के दफ्तर से ही लीक हुई थी, हालांकि यह सब बातें ही हैं।
सुमित्रा महाजन से हार गए थे चुनाव
सेठी को 1989 में इंदौर की लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया था, लेकिन वे सुमित्रा महाजन से बुरी तरह चुनाव हार गए थे। इसके बाद वे धीरे-धीरे राजनीतिक से अलग रहने लगे। 1996 में प्रकाशचंद्र सेठी का निधन हो गया था।

प्रकाशचंद्र सेठी एक परिचय
- 1939 में उज्जैन के माधव महाविद्यालय के स्नेह सम्मेलन के एवं माधव क्लब के सचिव रहे।
- 1942 में स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये महाविद्यालयीन शिक्षा का बहिष्कार किया।
- 1942 में तथा सन् 1949 से 1952 तक मध्यभारत इंटक के उपाध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला।
- 1951 से अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य, सन् 1948-49 में इंटक से संबंधित टेक्सटाईल वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे।
- मध्यभारत कर्मचारी संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे।
- 1951, 1954 तथा 1957 में उज्जैन जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
- 1953 से 1957 तक मध्य भारत, प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य रहे।
- मध्यभारत कला परिषद् के सदस्य रहे. सन् 1954-1955 में मध्य भारत कांग्रेस के कोषाध्यक्ष।
- 1956 से 1959 तक मध्य भारत ग्राम तथा खादी मंडल तथा प्रादेशिक परिवहन समिति के सदस्य रहे।
- 1957 से 1959 तक उज्जैन जिला सहकारी बैंक के संचालक।
- 1953 बिहार में, सन् 1954 पेप्सू में तथा सन् 1959 केरल में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की ओर से चुनाव प्रचारक रहे।
- अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के द्वारा सन् 1955-1956 में कर्नाटक, महाराष्ट्र, बम्बई और गुजरात के लिये क्षेत्रीय प्रतिनिधि नियुक्त हुए. सन् 1958 में अफगानिस्तान।
- 1960 में अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैण्ड, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलेंड, मिस्त्र देश और सन् 1962 में चेकोस्लोवाकिया तथा ऑस्ट्रिया की यात्राऐं कीं. फरवरी, 1961 तथा अप्रैल, 1964 में राज्यसभा के लिये सदस्य निर्वाचित हुए।
- दिसम्बर 1966 में बिहार में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के पर्यवेक्षक रहे।
- फरवरी, 1967 में लोक सभा के लिए निर्वाचित।
- 9 जून, 1962 से मार्च, 1967 तक केन्द्रीय उप मंत्री।
- 13 मार्च, 1967 से राज्यमंत्री, 26 अप्रैल, 1968 से 23 फरवरी, 1969 तक इस्पात, खान और धातु मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभारी मंत्री रहे तथा 14 फरवरी, 1969 को वित्त मंत्रालय में राजस्व तथा व्यय मंत्री रहे।
- सितम्बर, 1969 में बारबाडोस (वेस्टइंडीज) के राष्ट्र मंडलीय वित्त मंत्री सम्मेलन में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व. अक्टूबर, 1969 में कोलम्बो योजना सम्मेलन के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया. एशियाई विकास बैंक मनीला और अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक में भारत के गवर्नर मनोनीत हुए।
- 27 जून, 1970 को प्रतिरक्षा उत्पादन मंत्री बने। तदुपरांत पेट्रोलियम तथा रसायन राज्य मंत्री रहे. दिनांक 29 जनवरी, 1972 के आम चुनाव में विधान सभा के लिये निर्वाचित होकर पुन: सदन के नेता निर्वाचित हुए।
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