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एक किस्सा: जब सीएम के नाम की घोषणा होते ही किसी ने नहीं बजाई ताली, इंदिरा की पहली पसंद था ये मुख्यमंत्री

locationभोपालPublished: Oct 09, 2020 02:21:34 pm

Submitted by:

Manish Gite

मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव का प्रचार चल रहा है, इस बीच प्रस्तुत है राजनीतिक किस्सों की यह श्रृंखला…।

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भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव ( mp by election ) होने वाले हैं। यह देश का अब तक का सबसे बड़ा उपचुनाव माना जा रहा है। राजनीतिक दल चुनाव-प्रचार में व्यस्त हो गए हैं। चुनावी मौसम में राजनीतिक गलियारों में राजनेताओं के किस्सों की भी कमी नहीं हैं।

patrika.com ऐसा ही एक मजेदार किस्सा आपको बता रहा है.. जो आज भी चर्चित है…।

 

यह किस्सा ऐसे नेता का है जिन्हें खुद इंदिरा गांधी ( indira gandhi ) ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। कई नेता अपने नाम मुख्यमंत्री ( cm ) के लिए घोषित होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन, किसी ने नहीं सोचा था कि अचानक इंदिरा गांधी ने जिस शख्स का नाम लिया, उससे सभी हैरान रह गए। यह नाम था प्रकाश चंद्र सेठी का। इंदिरा गांधी के मुंह से यह घोषणा सुन एक भी विधायक ने खुशी जाहिर नहीं की, यहां तक कि तालियां भी नहीं बजाई गईं। लेकिन, प्रकाशचंद्र सेठी मुख्यमंत्री ( chief minister prakash chand sethi ) बन गए।

Indira gandhi

 

उज्जैन में थे, तभी खुलने लगी थी किस्मत

बात उस दौर की है जब सेठीजी का शुरुआती दौर था। नगर पालिका अध्यक्ष से करियर शुरू ही हुआ था। राज्यसभा सांसद त्रियंबक दामोदर पुस्तके का निधन हो गया था। तब उपचुनाव में प्रत्याशी की तलाश हुई। विंध्यप्रदेश के कद्दावर नेता अवधेश प्रताप सिंह का दौर था। किसी नेता को राज्यसभा भेजना था। उस दौर में कांग्रेस एक नेता को दो बार राज्यसभा नहीं भेजती थी। इसलिए अवधेश प्रताप सिंह का नाम कट गया और किस्मत खुली सेठीजी की। सेठी जी दिल्ली क्या गए, नेहरू सरकार में उपमंत्री भी बन गए। सेठीजी बड़े नेताओं के करीब होते गए चाहे शास्त्री हो या इंदिरा, सेठीजी हर पीएम के खास रहे।

Indira gandhi

 

डकैतों पर करना चाहते थे बम बारिश

पीसी सेठीजी के कार्यकाल के दौरान मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड वाले इलाकों में उस समय डाकुओं का आतंक था। सेठीजी डकैत समस्या का हल करने के प्रयासों में लगे रहते थे। लेकिन वे इसे गांधीवादी तरीके से नहीं चाहते थे। गृह विभाग के बड़े अधिकारियों से जब उनकी मीटिंग हुई तो उनकी एक लाइन के प्रस्ताव से वहां सन्नाटा पसर गया। सेठी ने कहा- डकैतों के छिपने के इलाकों में (बीहड़ में) भारतीय वायुसेना बम गिरा दे, टंटा ही खत्म हो जाएगा। नगरीय इलाकों में वायुसेना की तरफ से बम बारिश का ऐसा प्रस्ताव सुन अधिकारी सन्न रह गए थे। लेकिन, पीसी सेठी नहीं माने। दिल्ली के नॉर्थ ब्लाक से साउथ ब्लॉक पहुंचे और रक्षामंत्री जगजीवन राम के दफ्तर पहुंच गए। बाबूजी को कुछ कहा और मुस्कुराते हुए परमिशन ही ले आए। दूसरे ही दिन एयरफोर्स के हेड आफिस में आपरेशन की तैयारी शुरू हो गई। सेठीजी भी भोपाल पहुंच गए। लेकिन कुछ दिन पहले समाचार पत्रों में इसकी खबर लीक हो गई, डकैतों तक खबरें पहुंच गईं। उनमें से आधे डकैत को घबराकर सरेंडर के लिए बातचीत करने लगे। बाकी आधे डकैत तो भागने की तैयारी करने लगे। सरकारी रिकार्ड बताते हैं कि उस दौर में 450 डकैत मुख्यधारा में लौट आए। जानकार बताते हैं कि बम बारिश की खबर सेठीजी के दफ्तर से ही लीक हुई थी, हालांकि यह सब बातें ही हैं।

 

सुमित्रा महाजन से हार गए थे चुनाव

सेठी को 1989 में इंदौर की लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया था, लेकिन वे सुमित्रा महाजन से बुरी तरह चुनाव हार गए थे। इसके बाद वे धीरे-धीरे राजनीतिक से अलग रहने लगे। 1996 में प्रकाशचंद्र सेठी का निधन हो गया था।

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प्रकाशचंद्र सेठी एक परिचय

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