
पराली जलाने में दूसरे नंबर पर है ये राज्य, लेकिन सिस्टम सुधारते ही घटनाओं में 24% की कमी
भोपाल. फसल अवशेषों (पराली या नरवाई) को खेतों में जलाने की बढ़ती घटनाओं के चलते देश में पंजाब के बाद दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश जा पहुंचा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने सैटेलाइट मॉनीटरिंग से 2020 में राज्य में 49442 घटनाएं दर्ज की हैं। रिपोर्ट मध्य प्रदेश सरकार को भी भेजी गई। ऐसे में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने अपने सिस्टम को ठीक किया।
भोपाल से लेकर जिलों तक जिम्मेदारों को सक्रिय किया। अब नतीजे देखने को मिल रहे हैं। 27 दिसंबर 2021 तक दर्ज आंकड़ों के हिसाब से नरवाई जलाने की 37451 घटनाएं हुई हैं। प्रतिशत की बात करें तो 2020 की तुलना में 2021 में घटनाओं में 24.25 फीसदी की कमी आई है।
धान की नरवाई जलाने की घटनाएं सितंबर से दिसंबर के बीच ज्यादा होती हैं। 2020 में 12541 घटनाएं दर्ज हुईं। 2021 में 27 दिसंबर तक 8569 घटनाएं दर्ज की गईं। यानी 31.67 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
पर्यावरण विभाग की ओर से नरवाई जलाने की घटनाओं को रोकने अर्थदंड का प्रावधान है। 2 एकड़ भूमि वाले किसानों को प्रत्येक घटना पर ढाई हजार रुपए 2 एकड़ से ज्यादा 5 एकड़ से कम वालों को पांच हजार, पांच एकड़ से ज्यादा भूमि वालों को 15 हजार रुपए प्रत्येक घटना पर देना होगा।
क्या कहते हैं कृषि मंत्री?
इस संबंध में कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि, घटनाओं को रोकने किसानों में जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी लिया जा रहा है। इसके परिणाम मिलने लगे हैं।
क्या कहते हैं अपर मुख्य सचिव"
किसान कल्याण तथा कृषि विकास के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी का कहना है कि, धान की कटाई के दौरान नरवाई जलाने से रोकने के लिए प्रयास जारी हैं। कलेक्टरों को ग्रामवार स्थिति भेजी गई है। निर्देशित किया है कि, मौके पर सक्षम अधिकारियों को भेजकर घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण करें।
क्या कहता है कृषि अभियांत्रिकी विभाग?
कृषि अभियांत्रिकी विभाग के संचालक राजीव चौधरी ने बताया कि, किसानों को फसल अवशेषों से बंडल, भूसा आदि बनाने के लिए मशीनों के उपयोग के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अनुदान और सब्सिडी उपलब्ध करवा रहे हैं।
संभागवार प्रदेश में इस तरह जलाई जाती है पराली
उज्जैन- 07
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Published on:
04 Jan 2022 06:30 pm
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