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नकुलनाथ की हार पर कमलनाथ का बड़ा बयान, दी ऐसी सफाई की चौंक गए सब

Kamalnath Big Statement: मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीच से कांग्रेस उम्मीदवार और बेटे नकुलनाथ की हार पर एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने ऐसी सफाई दी कि हर कोई हैरान रह गया। अब कमलनाथ ने क्या कहा जानें...

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kamalnath Big Statement: मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनावों में भगवा आंधी में कांग्रेस सभी 29 सीटों पर धराशायी होती हो गई। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और बेटे नकुलनाथ चुनावी मैदान में थे। कांग्रेस और कमलनाथ के गढ़ वाली ये सीट एमपी की संसदीय सीटों में हॉट सीट थी, जिस पर हर किसी की नजर थी। कांग्रेस ने इस सीट पर हार की उम्मीद तो दूर इस बारे में सोचा तक नहीं होगा। लेकिन यहां बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को चुनावी रण में उतारा था।

अब जो है सो है...

मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार और बेटे नकुलनाथ की हार को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, अब जो है सौ है, इसमें हम क्या कर सकते हैं। हां अध्ययन जरूर करेंगे कि आखिर कहां कमी रही।

अपने ही गढ़ में इसलिए हार गई कांग्रेस

1. भाजपा ने कमलनाथ नहीं, सीधे नकुल पर किए अटैक

भाजपा नेताओं ने छिंदवाड़ा में कमलनाथ के प्रति जनता में विशेष छवि होने से उन्हें नहीं छेड़ा। पूरा ध्यान नकुल पर केंद्रित किया। भाजपा नेता लगातार कहते रहे कि नकुल ने संसदीय क्षेत्र के जनहित के मुद्दे नहीं उठाए। विकास की कोई कार्ययोजना सरकार के सामने पेश नहीं की। बंटी साहू को जिले का बेटा पेश किया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसी पर ध्यान केंद्रित किया। वोटरों को कांग्रेस की गुलाम मानसिकता से बाहर आने की प्रेरणा दी।

2. अमित शाह ने बिताई रात, हर रणनीति पर फोकस

भाजपा की राजनीति के चाणक्य अमित शाह ने पहले चरण के चुनाव प्रचार खत्म होने वाले दिन 16 अप्रेल को छिंदवाड़ा में रोड शो किया। उन्होंने पूरी रात बिताई। बंटी साहू के विरोधी गुट को साधा। जीत की रणनीति पर फोकस किया। सीएम डॉ. मोहन यादव 8 बार छिंदवाड़ा आए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभा की। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बूथवार कार्यकर्ताओं का उत्साह जगाया, ये जीत के बूस्टर बने।

3. कांग्रेस का अतिउत्साह, भाजपा ने असंतुष्ट साधे

नकुलनाथ ने ‘कमलनाथ के हनुमान’ और 1974 से कांग्रेस सदस्य दीपक सक्सेना तक को अपमानित किया। वे पार्टी से निकले तो कांग्रेस में भगदड़ सी रही। यह सिलसिला लोकसभा चुनाव के मतदान की तारीख 19 अप्रेल तक जारी रहा। आश्चर्य था कि कमलनाथ सब देखते रहे। उन्होंने किसी को भाजपा में जाने से नहीं रोका। वहीं, भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय सहित वरिष्ठ नेताओं को यहां जिताने का जिम्मा दिया। कांग्रेस में तोडफ़ोड़ की। बार-बार भाषणों में छिंदवाड़ा को गोद लेने की बात कही। इसका असर पड़ा।