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कैलाश पर्वत पर है शिवजी का घर, दूसरा घर है यहां, एक बार जरूर करें दर्शन

महाशिवरात्रि के मौके पर patrika.com आपको बता रहा है पचमढ़ी की वादियों में बसे जटाशंकर महादेव के बारे में...।

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भोपाल

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Manish Geete

Feb 17, 2020

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भोपाल। शिवजी का पहला घर कैलाश पर्वत पर माना जाता है। लेकिन, कम ही लोग जानते हैं कि उनका दूसरा घर भी है, जो मध्यप्रदेश के सतपुड़ा की वादियों में है।

मध्यप्रदेश के सतपुड़ा के जंगलों में घिरे पचमढ़ी की वादियों में स्थित है जटाशंकर धाम। इसे शिवजी का दूसरा घर भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भस्मासुर से बचने के लिए शिवजी ने पहले इटारसी के पास स्थित तिलक सिंदूर में शरण ली थी, उसके बाद जटाशंकर में छुपे थे। पचमढ़ी में शिवजी ने यहां अपनी विशालकाय जटाएं फैलाई थीं। चट्टानों का फैलाव देख ऐसा महसूस भी होता है। जटाशंकर धाम को भी शिवजी का दूसरा घर माना जाता है।

जटाशंकर धाम में बरसों से रह रही सिंधु बाई कहती हैं कि वे शिवजी की भक्त हैं। कई सालों पहले वह चली आई थी। दिनरात जंगल में रहना और भक्ति करना ही सिंधुबाई का काम है।

सिंधु बाई कहती है कि पौराणिक कथाओं में भी इसका उल्लेख मिलता है कि जब भस्मासुर शिवजी के पीछे पड़ गए थे उस समय शिवजी भागकर यही छुपे थे। पहाड़ों और चट्टानों के बीच बरगद के पेड़ों की झूलती शाखाएं देखकर लगता है कि शिवजी ने अपनी विशालकाय जटाएं फैला रखी हैं। इन्हीं कारणों से इस स्थान का नाम जटाशंकर पड़ा।

भक्त गुनगुनाते हैं सिंधू बाई के भजन
पहाड़ों के बीच वीराने में बैठकर सिंधू बाई बरसों से शिवजी के भजन गा रही है। उसके भजन और आवाज का जादू ऐसा है कि हर कोई श्रद्धालु उसके भजन सुनने के लिए रुक जाता है। सिंधू बाई के भजनों की सीडी भी काफी लोकप्रिय हुई है। सिंधु बाई नाम की यह महिला दो दशक पहले महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के गोरज गांव से यहां आकर रहने लगी थी। वह क्यों आई इस बारे में वह सिर्फ इतना कहती है कि शिवजी ही मुझे यहां तक ले आए। सिंधु बाई को स्थानीय लोग भक्तन बाई के नाम से भी पुकारते हैं।

सुनिए अम्मा की प्रार्थना
इस भजन में सिंधु बाई ने शिवजी की तारीफ की है और साथ में यह भी प्रार्थना की गई है कि आपके गले में सर्प की माला, भभूत लगाए, हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए शिवजी, तो कैसे पूजा करूं, मुझे डर लागे।

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जड़ी-बूटियां बेचकर पालती है पेट
चट्टानों में रहने वाली यह सिंधु बाई जडी-बूटियां बेचकर अपना पेट पालती है। वह बताती है कि पचमढ़ी के जंगलों में जड़ी-बूटियों का खजाना है। इसे जंगलों से लाते हैं और बेचते हैं। इन जड़ीबूटियों के सेवन से कई लोगों को बीमारियों में फायदा हुआ है।


शिवजी का दूसरा घर है पचमढ़ी
पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर माना जाता है। भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए जिन कंदराओं और खोहों में छुपे थे वह सभी स्थान पचमढ़ी में ही हैं। वैसे तो पूरे सालभर यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन श्रावण में और शिवरात्रि ? के दौरान सैंकड़ों भक्त यहाँ पूजा करने के लिए आते हैं। श्रावण में यहां मेला जैसा नजारा रहता है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सिंधु बाई बताती हैं कि यहां आने वालों के कष्ट दूर हो जाते हैं।

ऐसे पहुंच सकते हैं जटाशंकर
भोपाल से यह स्थान करीब 186 किलोमीटर दूर है। भोपाल, होशंगाबाद, इटारसी, छिंदवाड़ा और जबलपुर से सीधी बसें भी चलती हैं। इसके अलावा रेल मार्ग से जाने वालों के लिए पिपरिया रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पिपरिया रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद लोकल वाहन मिल जाते हैं। जो दो घंटे में पचमढ़ी पहुंचा देते हैं। इसके अलावा सबसे नजदीकी हवाई अड़्डा भोपाल और जबलपुर है।