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manoj shukla- मनोज शुक्ला ‘मुंतशिर’ के वो बयान जो आज भी चर्चाओं में हैं

गीतकार मनोज मुंतशिर अपने बेबाक बयानों से हमेशा चर्चाओं में रहते हैं...। आज वे सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं...।

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भोपाल

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Manish Geete

Jun 01, 2023

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जाने-माने गीतकार और फिल्म पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला अपनी बेबाक राय और बयानों से हमेंशा सुर्खियों में बने रहते हैं। पिछले कुछ दिनों पहले भोपाल में ही दिए उनके बयान पर देशभर में हल्ला मच गया था। आइए जानते हैं उनके चर्चित बयान, जिन पर आज भी चर्चा होती है।

जनवरी 2023

सतना आए मुंतशिर का यह बयान भी काफी चर्चाओं में रहा। तेरी मिट्टी में मिल जावां के गीतकार और फिल्मी पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला (manoj shukla) का कहना था कि हमारे देश में पढ़ाए जा रहे सेलेक्टिव इतिहास में कई लूप ***** हैं। हमें यह तो पढ़ा दिया जाता है कि ताजमहल किसने बनवाया, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि सोमनाथ, काशी-मथुरा को किसने उजाड़ा। हमें यह तो बताया जाता है कि गांधी को किसने मारा, लेकिन यह नहीं पढ़ाया जाता कि गुरु तेगबहादुर के बेटों को किसने मारा।

जनवरी 2023

सतना के एक कार्यक्रम में धीरेंद्र शास्त्री की तरीफ करते हुए मुंतशिर ने उनके विरोधियों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि बागेश्वर धाम महाराज ने धर्मांतरण को रोकने का बहुत बड़ा काम किया है और जो आज उनके विरोध में हैं, वे क्या धर्मांतरण के विरोध में इतने मुखर हुए थे।

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मार्च 2023

राहुल के बयान पर मुंतशिर का जवाब

मनोज शुक्ला (manoj shukla) कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सलाह देकर सुर्खियों में आ गए थे। 25 मार्च को राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेस कर सरकार पर हमला बोला था। इस दौरान जब मीडिया ने माफी मांगने पर सवाल पूछा तो कहा कि मेरा नाम राहुल गांधी है, सावरकर नहीं। सोशल मीडिया पर यह बयान खूब चर्चाओं में रहा। इस पर मनोज मुंतशिर की प्रतिक्रिया भी खूब चर्चाओं में रही। मुंतशिर ने कहा था कि जब तक अनावश्यक रूप से सावरकर का नाम नहीं लिया गया, मैं इस विषय पर चुप रहा, लेकिन अब कहना पड़ेगा कि युवराज एक बार देशप्रेम के लिए काला पानी जाओ। कोल्हू में बैल की तरह जुतो, दो कटोरे पानी में पूरा दिन गुजारो, जेल की दीवारों पर मां भारती की स्तुति में 6 हजार कविताएं लिखो, फिर सावरकर पर टिप्पणी करना। अपनी तुलना करनी है तो किसी छोटे-मोटे अपराधी से करो, उस से नहीं जो भारत भक्ति का अपराध करके धन्य हो गया।

दिसंबर 2022

विदेशी माता से पैदा हुआ पुत्र कभी राष्ट्रभक्त नहीं हो सकता

मनोज शुक्ला मुंतशिर ने कहा था कि हमें दुख होता है जब निहायत गैर जिम्मेदार राजनेता कहता है कि हमारे देश के सैनिक चाइनीज सैनिकों से पिट गए। इतनी शर्मनाक भाषा का प्रयोग कैसे करता है कोई, लेकिन मैं उसे क्या दोष दूं। मैंने चाणक्य को पढ़ा है। मैं आचार्य विष्णुगुप्त चारणक्य के स्टेटमेंट को कोट कर रहा हूं- विदेशी माता से पैदा हुआ पुत्र कभी राष्ट्रभक्त नहीं हो सकता है। मुंतशिर ने कहा कि भारत दुनिया में ऐसा अकेला देश है, जहां देशभक्ति सिखानी नहीं पड़ती, हम इसे डीएनए में लेकर पैदा होते हैं। यह बात मंतशिर ने भोपाल के रवींद्र भवन में ही कही थी।

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दिसंबर 2022
मां के प्यार का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं

मां के प्यार का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है। आपने आखिरी बार अपनी मां की तारीफ कब की थी। मैंने रिश्तों की तमाम किताबें पढ़ी है लेकिन मां जैसा कोई नहीं। प्रेग्नेंसी स्ट्रिप पर सिर्फ एक लकीर बनकर दिखा था, तब से मां हम पर जान देती है। उन्होंने कहा कि मां को पागलखाने में भी बच्चों का नाम याद रहता है। हिसाब लगाकर देखें तो दुनिया के हर रिश्ते में मां का प्यार 9 महीने से ज्यादा ही निकलेगा। लेकिन हम सबने मां को टेकन फॉर ग्रांटेड लिया है। भारतीय धार्मिक ग्रंथों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि बाबा वाल्मीकि की रामायण को नासा भी नहीं ठुकरा सकता। हर चीज के पीछे सांइस हैं। मैं आज की युवा पीढ़ी से कहना चाहता हूं कि अगर अपना आइडियल ढूढ़ रहे हैं तो श्रीराम को अपनाइए। साइकॉलोजी पर लिखी हुई पहली पुस्तक गीता है। श्रीमद्भगवदगीता को धार्मिक ग्रंथ की तरह पढ़ने की बजाय लाइफ स्किल बुक की तरह पढ़े, ये जीवन जीना सिखाती है। हमारे फौजियों ने देशप्रेम बाबा वाल्मिकी की रामायण और श्रीमदभगवदगीता से सीखा है।

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अक्टूबर 2022

प्रभास और सैफ अली खान की फिल्म आदिपुरुष (adipurush) पर मचे घमासान के बीच मनोज मुंतशिर ने कहा था कि हमने जो एक मिनट 35 सेकंड का टीजर देखा है, उसमें साफ दिख रहा है कि रावण ने त्रिपुंड लगाया है। मैंने जितना देखा है उतने की बात कर रहा हूं। बाकी इसके अलावा भी मेरे पास दिखाने को बहुत कुछ है। मनोज ने पूछा- कौन सा खिलजी त्रिपुंड लगाता है, तिलक, जनेऊ और रुद्राक्ष धारण करता है। जो हमारे रावण ने टीजर में किया है। दूसरी बात हर युग की बुराई का अपना चेहरा होता है। रावण मेरे लिए बुराई का चेहरा है, अलाउद्दीन खिलजी इस दौर की बुराई का चेहरा है और यदि वो मिलता-जुलता भी है, हमने उनके इंटेंशनली ऐसा नहीं किया है, लेकिन यदि मिल भी गया तो मुझे लगता नहीं कि इसमें कोई ऐतराज की बात है। खिलजी तो कोई नायक ही नहीं है, तो यदि रावण का चेहरा उससे मिलता है तो उसमें कोई बुराई नहीं है।